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सावधान! अब दिल्ली के बाद दून में भी सांस लेने में घुटन का खतरा बढ़ा, वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर

यह बताने की जरूरत नहीं है कि हवा के बिना जीवन संभव नहीं है, लेकिन हम जिस हवा में सांस ले रहे है वो कितनी शुद्ध है, ये जानना बेहद जरुरी है क्योंकि, हवा जितनी बेहतर होगी, हम उतने ही स्वस्थ रहेंगे।

By RNI Hindi Desk 
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रिपोर्ट:पायल जोशी
देहरादून: यह बताने की जरूरत नहीं है कि हवा के बिना जीवन संभव नहीं है, लेकिन हम जिस हवा में सांस ले रहे है वो कितनी शुद्ध है, ये जानना बेहद जरुरी है क्योंकि, हवा जितनी बेहतर होगी, हम उतने ही स्वस्थ रहेंगे। इस बारे में हमें गंभीर चिंता करने की जरूरत है। वजह यह कि उत्तराखंड के देहरादून में वायु प्रदूषण (पीएम-10 व पीएम-2.5) का ग्राफ मानक से दोगुना हो चुका है। इस तरह वायु प्रदूषण की रोकथाम के प्रयास के अभाव में कहीं न कहीं हम वायु प्रदूषण के मामले में दिल्ली की तरफ बढ़ते दिख रहे हैं।

बता दें कि वार्षिक आधार पर पार्टिकुलेट मैटर (particulate matter)10 का ग्राफ 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर और पीएम-2.5 का ग्राफ 40 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर होना चाहिए। दून की बात करें तो यहां पीएम-10 और पीएम-2.5 का ग्राफ क्रमश: 157 व 89 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर को पार कर चुका है। हालांकि, एयर क्वालिटी इंडेक्स के मामले में देहरादून, ऋषिकेश, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर, काशीपुर, रुद्रपुर और हल्द्वानी शहर मध्यम श्रेणी में आते हैं।

यहां AQI 200 से नीचे है, लेकिन एक्यूआइ के औसत से इतर सांस के माध्यम से सीधे फेफड़ों में जाने वाले धूल कण पीएम-10 व 2.5 को किसी भी कीमत पर अनदेखा नहीं किया जा सकता। यह धूल कण सीधे तौर पर बताते हैं कि हमारी हवा कैसी है। दून के अलावा बाकी शहरों में पीएम-10 व 2.5 का ग्राफ कम है, मगर यहां भी हवा की गुणवत्ता मानक के अनुरूप नहीं रही।

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