सीएए के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ लखनऊ में लगाए गए पोस्टर्स को योगी सरकार फिलहाल नहीं हटाएगी, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि यह पोस्टर्स लोगों की निजता का हनन कर रहे है और सरकार इसे हटाए लेकिन योगी सरकार ने साफ़ कर दिया है की वो अदालत के निर्णय का सम्मान करती है और अब सुप्रीम कोर्ट जायेगी।
चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने कहा था कि यूपी सरकार हमें यह बता पाने में नाकाम रही कि चंद आरोपियों के पोस्टर ही क्यों लगाए गए, जबकि यूपी में लाखों लोग गंभीर आरोपों का सामना कर रहे हैं।
आपको बता दे कि 19 दिसंबर, 2019 को जुमे की नमाज के बाद लखनऊ के चार थाना क्षेत्रों में हिंसा फैली थी। ठाकुरगंज, हजरतगंज, कैसरबाग और हसनगंज में तोड़फोड़ करने वालों ने कई गाड़ियां भी जला दी थीं।
राज्य सरकार ने नुकसान की भरपाई प्रदर्शनकारियों से कराने की बात कही थी। इसके बाद पुलिस ने फोटो-वीडियो के आधार पर 150 से ज्यादा लोगों को नोटिस भेजे। जांच के बाद प्रशासन ने 57 लोगों को सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का दोषी माना और उनके पोस्टर चिपका दिए।