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राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद कानून बना दिल्ली सेवा बिल, केंद्र सरकार ने जारी की अधिसूचना

दिल्ली सेवा कानून की खास बातों पर गौर करें तो दिल्ली सरकार में अधिकारियों के तबादला और नियुक्ति का फैसला राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (एनसीसीएसए) करेगा।

By Satyam Dubey 
Updated Date

राष्ट्रपति दौपदी मुर्मू से मंजूरी मिलने के बाद दिल्ली सेवा बिल कानून बन गया है। भारत सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अधिनियम 2023 को लागू करने की जानकारी दी। गृह मंत्री अमित शाह ने एक अगस्त को संसद में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 पेश किया था। यह कानून राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण पर अध्यादेश की जगह लेगा।

विपक्ष के विरोध के बावजूद मानसून सत्र में लोकसभा और राज्यसभा से पास कराकर दिल्ली सेवा बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा गया था। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बन गया है। कानून बनते ही भारत सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है।

दिल्ली सेवा कानून की खास बातों पर गौर करें तो दिल्ली सरकार में अधिकारियों के तबादला और नियुक्ति का फैसला राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (एनसीसीएसए) करेगा। इसके चेयरमैन मुख्यमंत्री होंगे और दो अन्य सदस्य मुख्यसचिव और गृह सचिव हैं। इस प्रक्रिया में सीएम अल्पमत में रहेंगे। वे अपनी मर्जी से कुछ नहीं कर सकेंगे।
दिल्ली विधानसभा द्वारा अधिनियमित कानून द्वारा बनाए गए कियी बोर्ड या आयोग के लिए नियुक्ति के मामले में एनसीसीएसए नामों के एक पैनल की सिफारिश उपराज्यपाल को करेगा। उपराज्यपाल अनुशंसित नामों के पैनल के आधार पर नियुक्तियां करेंगे।

इस कानून के मुताबिक अब मुख्य सचिव ये तय करेंगे कि कैबिनेट का निर्णय सही है या गलत। यानी कि अगर सचिव को लगता है कि मंत्री का आदेश कानूनी रूप से गलत है तो वो मानने से इंकार कर सकता है। कानून बनने के बाद आने के बाद अब सतर्कता सचिव चुनी हुई सरकार के प्रति जवाबदेह नहीं हैं। वे एलजी के प्रति बनाए गए प्राधिकरण के तहत ही जवाबदेह हैं।

इस कानून के बनने के बाद अगर मुख्यसचिव को यह लगेगा कि कैबिनेट का निर्णय गैर-कानूनी है तो वो उसे उपराज्यपाल के पास भेजेंगे। इसमें उपराज्यपाल को यह शक्ति दी गई है कि वो कैबिनेट के किसी भी निर्णय को पलट सकते हैं। यानी कि दिल्ली में जो भी अधिकारी कार्यरत होंगे, उन पर दिल्ली की चुनी हुई सरकार का कंट्रोल खत्म हो गया है, ये शक्तियां एलजी के जरिए केंद्र के पास चली गई हैं।

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