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मालदीव से भारत की दूरी 1792 किलोमीटर वहीं लक्षद्वीप के ट्रिप के लिए जाना होगा आपको सिर्फ 400 किलोमीटर दूर

3 जनवरी को लक्षद्वीप यूनियन टेरटरी घूमने गए भारत के प्रधानमंत्री ने जबसे सोशल मीडिया पर लक्षद्वीप को किए गए पोस्ट को लेकर मालदीव के तीन मंत्रियों के द्वारा विवादित बयान देने के बाद यब मामला बहुत आगे बढ़ चुका है। भारत के लोग मालदीव के नेताओं के इस रवैये को लेकर बहुत नराज हैं और ट्विटर पर लगातार #boycotMaldives ट्रेंड में चल रहा है। ऐसे में आइए जानते हैं कि भारत के सबसे छोटे केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप के बारे में।

By RNI Hindi Desk 
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3 जनवरी को लक्षद्वीप यूनियन टेरटरी घूमने गए भारत के प्रधानमंत्री ने जबसे सोशल मीडिया पर लक्षद्वीप को किए गए पोस्ट को लेकर मालदीव के तीन मंत्रियों के द्वारा विवादित बयान देने के बाद यब मामला बहुत आगे बढ़ चुका है। भारत के लोग मालदीव के नेताओं के इस रवैये को लेकर बहुत नराज हैं और ट्विटर पर लगातार #boycotMaldives ट्रेंड में चल रहा है। ऐसे में आइए जानते हैं कि भारत के सबसे छोटे केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप के बारे में।

 

बता दें कि 7 जनवरी को भारत में गूगल जैसे वेबसाइट्स पर सबसे ज्यादा सर्च किया जाने वाला कीवर्ड बन गया है लक्षद्वीप। वहीं ट्रैवल बुकिंग साइटों पर भी इस टेरटेरी को लेकर काफी सर्च और बुकिंग किये जा रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से मालदीव के मंत्रियों द्वारा विपत्तिजनक बयान देने के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मालदीव की बजाए लक्षद्वीप जाने का कैंपेन जोरों से चलाया जा रहा है।

 

अब बात करते हैं पाकिस्तान के बारे में जो लक्षद्वीप को अपने हाथ से जाता देखता रहा और आयरन मैन ने इस स्थान पर अपना राष्ट्रीय ध्वज पहले फहराकर भारत का अभिन्न अंग बना दिया।

 

सरदार पटेल की सूझबूझ से भारत का अभिन्न अंग बन गया लक्षद्वीप

कोच्चि से करीब 400 किलोमीटर दूर लक्षद्वीप को आयरन मैन ने समझदारी से भारत में शामिल किया और पाकिस्तान देखता रहा

कोच्चि से करीब 400 किलोमीटर की दूरी पर स्थित लक्षद्वीप का इतिहास 3500 सालों से भी पुराना है। हमें बौद्ध धर्म के जातक कहानियों में इस द्वीप समूहों का उल्लेख मिलता है। ऐसा माना जाता है कि बौद्ध भिक्षु संघमित्र इन द्वीपों पर विरह किए थे। बता दें कि लक्षद्वीप का क्षेत्रफल 32 वर्ग किलोमीटर में फैला है, जिसकी राजधानी कवरत्ती है, ये द्वीप कुल 36 द्वीप समूहों से मिलकर बना है।

 

इसकी अबादी की बात करें तो 2011 में हुई जनगणना के अनुसार यहाँ की कुल अबादी 64,773 थी जिसमें पुरुषों की संख्या 33 हजार 123 और महिलाओं की संख्या 31 हजार 350 आंकी गई है। वहीं धर्म के आधार पर देखें तो 96 फीसद मुस्लिम आबादी है और बोली जाने वाली भाषा मलयालम और मह्हे है।

 

अब इसके इससे पहले के इतिहास को जानते हैं…

ऐसा माना जाता है कि 661 ईस्वी में मदीना से शेख उबैदुल्लाह यहां पहुंचे थे और इस्लाम का प्रचार-प्रसार किया था। आज भी एंड्रोट द्वीप में उनकी कब्र स्थित है। वहीं 11वीं शताब्दी में केरल के साथ ये द्वीप भी चोल साम्राज्य के अंतर्गत आ गया था। ये द्वीप पुर्तगालियों और टीपू सुल्तान के शासन से होते हुए 18वीं शताब्दी में ब्रिटिश शासन के अधीन आ गया जो देश के आजाद होने तक उन्हीं के हाथ में रहा और बाद में यह द्वीप भारत गणराज्य के अधीन हो गया।

 

औपनिवेश से भारत की आजादी और देश का बंटवारा

Iron Man wisely included Lakshadweep, about 400 kilometers from Kochi, into India and Pakistan kept watching

1947 में लंबी लड़ाई के बाद देश आजाद तो हुआ परंतु आजाद होने के साथ देश के बंटवारे की समस्या आन खड़ी हुई। अब भारत और पाकिस्तान नाम से दो देश बनने लगे थे जिसको लेकर कई रियासतों में वाद-विवाद बहुत ज्यादा बढ़ गया था और कौन-सा रियासत किस देश में जाएं इस पर बहुत मोलभाव होने लगा था। ऐसे में उस वक्त लक्षद्वीप की हरी-भरी धरती पर दोनों ही देशों ने ध्यान नहीं दिया था। बता दें कि यहां की अधिकांश आबादी मुस्लिम बहुल है, पर इसका जुड़ाव भारत के मालाबार कोस्टयार्ड से जुड़ा हुआ था।

 

 

जब रियासतों को जोड़ने में भारत के गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल को कामयाबी मिली तो उनका ध्यान लक्षद्वीप के भौगोलिक महत्व का अंदाजा था। उन्होंने राजनीतिक सूझबूझ दिखाते हुए तुरंत मुदलियार बंधुओं को शिप और जवानों के साथ लक्षद्वीप जाने को कहा। बता दें कि रामस्वामी मुदलियार मैसूर के 24वें और आखिरी दीवान थे, जबकि उनके भाई लक्ष्मण स्वामी मुदलियार उस समय मैसूर के फेमस डॅक्टर थे।

 

 

जिस समय भारत अपनी सेनाएं भेज रहा था उसी दौरान पाकिस्तान ने भी अपना उस समय का सबसे मजबूत युद्धपोत लक्षद्वीप की तरफ भेजा था पर जब यह पोत वहाँ पहुँचा तो उस द्वीप पर भारतीयों ने पहले ही तिरंगा फहरा रखा था। ऐसे में पाकिस्तान उल्टे पैर पाकिस्तान लौट गए।

 

 

1956 में राज्यों के पुनर्गठन

 

1956 में राज्यों के पुनर्गठन के दौरान लक्षद्वीप को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया और 1973 के बाद इसका नाम लक्षद्वीप रखा गया। बता दें कि इससे पहले इस द्वीप को लक्कादीव, मिनिकॉय, अमीनदीवी कहा जाता था।

 

लक्षद्वीप में केवल 10 द्वीपों पर ही आबादी

 

लक्षद्वीप कुल 36 द्वीपों का एक समूह है, जिसमें सिर्फ 10 द्वीप ही रिहायशी हैं जिनके नाम- कवरत्ती, अगत्ती, अमिनी, कदमत, किलातन, चेतलाट, बिट्रा, आनदोह, कल्पनी और मिनिकॉय है। बिट्रा में 271 और बंगारम द्वीप में केवल 61 लोग ही रहते हैं। बाकी 26 द्वीप वीरान या वहां जाना वर्जित हैं। लक्षद्वीप में पर्यटन के क्षेत्र में उद्योग बढ़ रहा है, लेकिन आज भी वहां की मुख्य जीविका का जरिया मछली पकड़ना और नारियल की खेती करना ही है।

 

लक्षद्वीप में सिर्फ एक लोकसभा सीट है। 1967 से 1999 तक कांग्रेस के पीएम सईद ही सांसद रहे हैं। 2004 में यहां सत्ता पलटी और पहली बार जनता दल की जीत के साथ यहाँ अन्य बदलाव होना शुरू हुआ। इसके बाद फिर एक बार साल 2009 में कांग्रेस ने वापसी की। 2014 में यहां एनसीपी ने जीत दर्ज की और 2019 में उसे दोबारा बरकरार रखा। वर्तमान में मोहम्मद फैजल एनसीपी से यहाँ के सांसद हैं।

 

यहां का प्रशासक, केंद्र सरकार नियुक्त करती है। साल 2020 से यहां के प्रशासक प्रफुल खोड़ा पटेल हैं। पटेल मूलत: गुजरात के भाजपा के नेता और मंत्री रह चुके हैं। उनके फैसलों के चलते लक्षद्वीप अक्सर सुर्खियों में रहता है। उन्होंने गोमांस पर बैन लगाया और शुक्रवार की सार्वजनिक छुट्टी को रविवार की छुट्टी में बदल दिया था। जिसका वहाँ के सांसद मोहम्मद फैजल ने विरोध किया था और उन्होने अपनी बात रखते हुए कहा था कि प्रशासक अपनी मनमानी चलाते हैं, जबकि उन्हें चुने हुए प्रतिनिधि से चर्चा करके फैसले लेना चाहिए।

 

लक्षद्वीप और मालदीव में क्या है समानता

 

लक्षद्वीप और मालदीव में एक बड़ी एकरूपता यहां के सफेद रेत से ढंके समुद्री किनारे हैं। इस रेत में समुद्र का पानी नीला नजर आता है वहीं भारत के अन्य समुद्री किनारों की रेत पीली है। सरकारी वेबसाइट tourism.gov.in में लक्षद्वीप को लेकर अक्टूबर 2017 से जून 2018 की एक रिपोर्ट पेश की है। जिसके अनुसार वहां कुल होटलों और रिसॉर्ट को मिलाकर संख्या केवल 19 हैं। जिसमें इस समय कुल 34,332 टूरिस्ट पहुंचे थे। वहीं हिंदुस्तान टाइम्स की एक खबर के अनुसार 2021-2022 में 18,590 टूरिस्ट लक्षद्वीप पहुंचे थे।

मालदीव के टूरिस्टों को लुभाने में लक्षद्वीप के सामने कई बड़ी चुनौतियां मौजूद हैं…

जहाँ मालदीव पूरी तरह से टूरिस्ट डेवलप द्वीप है और वहां करीब 250 होटल और रिसॉर्ट के साथ हर लग्जरी उपलब्ध है। वहीं लक्षद्वीप में अभी तक टूरिज्म इंफ्रास्ट्रक्चर पूरी तरह से डेवलप नहीं हो पाया है।

 

लक्षद्वीप में कोई एयरपोर्ट नहीं वहाँ केवल एक रनवे स्ट्रिप है जो अगत्ती द्वीप में स्थित है और यहाँ कोई सीधी फ्लाइट भी लक्षद्वीप के लिए नहीं जाती है। आपको अगर यहां जाना है तो पहले कोच्चि फिर लक्षद्वीप के लिए साधन लेना होगा। जबकि वहीं मालदीव का बाक की जाए तो वहाँ के लिए सीधी फलाइट उड़ान भरती है।

 

जहाँ लक्षद्वीप में एंट्री के लिए परमिट की जरूरत है और उसके बाद ऑनलाइन डॉक्यूमेंट्स देने के बाद भी ऑफलाइन डॉक्यूमेंट्स दिखाना पड़ता है।वहीं लक्षद्वीप जाने के बाद, लक्षद्वीप प्रशासन की ओर से एक क्लियरेंस सर्टिफिकेट जारी होता है। ऐसे में जहां भी टूरिस्ट रहते हैं वहां के लोकल पुलिस स्टेशन से वेरिफिकेशन करवाना पड़ता है। वहीं मालद्वीव में वीजा ऑन अराइवल है। यानी टूरिस्ट विंडो पर पासपोर्ट दिखाकर तय राशि देकर वीजा ले सकते हैं।

 

लक्षद्वीप में अगर निर्माण कार्य होता है तो इससे इको सिस्टम बिगड़ने का खतरा रहता है। बता दें कि पिछले दिनों जब अगत्ती में एक नए रनवे निर्माण का काम शुरू हुआ तो उसे बीच में ही बंद करना पड़ा था, क्योंकि इससे कछुओं के आवास पर प्रभाव पड़ रहा था। इन परिस्थितियों के चलते ये खतरा लक्षद्वीप पर हमेशा बरकरार रहेगा कि जब भी यहां बड़े स्तर पर कंट्रक्शन या बदलाव हुए हैं तो यहां का नेचर खतरे में पड़ जाता है। जबकि मालदीव का इंफ्रास्ट्रक्चर पूरी तरह से बन चुका है।

 

लक्षदीप में इंटरनेट कनेक्टिविटी लिमिटेड है, केवल बीएसएनएल सर्विस प्रोवाइडर है। टूरिस्ट का मोबाइल फोन काम नहीं करता, क्योंकि और कोई मोबाइल फोन कंपनी का नेटवर्क ही नहीं है। नेटवर्क नहीं होने से डिजिटल और कार्ड पेमेंट में भी दिक्कत होती है। वहीं मालदीव में ऐसा नही है।

 

तमाम चुनौतियों के बावजूद लक्षद्वीप में टूरिज्म की संभावनाएं हैं। इस कारण एयरपोर्ट और रिसॉर्ट बनाने की तैयारी…

 

लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण ने साल 2021 में यहाँ के लिए एक टूरिस्ट प्रोजेक्ट की शुरूआत की था। जिसके अंतर्गत सुहेली, मिनिकॉय और कदमत जैसे द्वीपों के समुद्री तटों पर 230 विला, 140 वाटर विला और 370 कमरों वाला एक और विला बनाए जाने का प्रावधान है। जिसका प्रोजेक्ट कई ग्लोबल कंपनियों को पहले ही दे दिया गया है।

 

टाटा ग्रुप की कंपनी इंडियन होटल कंपनी लिमिटेड ने अगले कुछ सालों में दो-दो ताज ब्रांडेड रिसॉर्ट्स बनाने का घोषणा की है।

 

वहीं भारत सरकार मिनिकॉय द्वीप पर एयरपोर्ट बनाने जा रही है। इस नए एयरपोर्ट से फाइटर जेट्स, मिलिट्री एयरक्राफ्ट्स और कॉमर्शियल फ्लाइट्स का संचालन हो सकेगा। फिलहाल अभी इसका प्रस्ताव सरकार को भेजा दिया गया है और जल्द ही इसपर काम भी शुरू होने की संभावना है।

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