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Loksabha Election: कांग्रेस ने पीएम मोदी पर लगाया झूठ बोलने का आरोप, कहा ‘झूठ बोलने की सेंचुरी बना चुके प्रधानमंत्री’

कांग्रेस नेता ने कहा है कि पीएम अपनी सभाओं में भ्रामक बातें बोल रहे हैं। उन्होंने पूछा कि जब संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आरक्षण ख़त्म करने की पेशकश की थी, तब आप ख़ामोश क्यों थे। बीजेपी पर धर्म के आधार पर देश को बाँटने का आरोप लगाया।

By RNI Hindi Desk 
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कांग्रेस ने एक बार फिर पीएम नरेंद्र मोदी पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है। कांग्रेस नेता केके मिश्रा ने कहा है कि ये प्रधानमंत्री झूठ बोलने की सेंचुरी लगा चुके हैं और अपनी सभाओं में लगातार भ्रामक बातें बोल रहे हैं। इसी के साथ उन्होंने पीएम से कुछ सवाल भी किए हैं।

कांग्रेस नेता ने पीएम मोदी पर लगाया आरोप

कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के मीडिया सलाहकार केके मिश्रा ने एक्स पर लिखा है कि ‘समूचे ब्रह्मांड में जब “सत्य” बोलने वालों का नाम आता है तो जिक्र सिर्फ़ “राजा हरिश्चंद्र” का ही नाम आता है। और यदि झूठ बोलने वालों की चर्चा हो तो कौन?

दुर्भाग्य से हमारे PM नरेंद्र मोदी जी झूठ बोलने की सेंचुरी बना चुके हैं। देश – विदेश तक उनके इस कीर्तिमान की चर्चाएं होती रही हैं, मंगलवार को राजस्थान में चुनावी समर में उन्होंने कहा – दलितों,पिछड़ों का आरक्षण न ख़त्म होगा और न ही धर्म के आधार पर बंटेगा।’

प्रधानमंत्री से किए सवाल

इसी के साथ उन्होंने प्रधानमंत्री से कुछ सवाल भी किए है। उन्होंने लिखा है कि ‘PM सर, कृपाकर यह भी बता दीजिये RSS से भाजपा के रिश्ते क्या हैं ? जब संघ प्रमुख मोहन भागवत जी ने आरक्षण ख़त्म करने की पेशकश  की थी, तब आप ख़ामोश क्यों थे ? धर्म – जाति के नाम पर देश को बाँटने वाले कौन हैं ?कर्नाटक विधानसभा के गत संपन्न चुनाव में पीएम के रूप में हनुमान जी की जय के नारे के साथ सार्वजनिक सभा में मतदान करने की अपील करने वाले भी आप ही थे,किंतु तब यह दुकान क्यों पिट गई थी ?

अब फिर इस दौर में भी राम -हनुमान और कृष्ण के नाम पर आप और आपके अनुचर वोट की भीख क्यों मांग रहे हैं, आप तो विकासपुरुष हैं फिर मुद्दों की चर्चा क्यों नहीं? क्या यह पवित्र धर्म को अपवित्र करने का कुकृत्य नहीं है ? रहा प्रश्न “भारतीय नारी के सुहाग के  प्रतीक चिन्ह मंगलसूत्र, बिछिया और सिंदूर से मांग भरने के सम्मान” का तो उससे आपका ताल्लुक़ न होने से उसकी कद्र आप नहीं कर पाएंगे। लिहाज़ा, देश को कोई आश्चर्य नहीं है ? कृपाकार एक लोकतांत्रिक कहे जाने वाले देश की गरिमा – प्रतिष्ठा का तो सम्मान कीजिए ?’

 

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