खराब तरीके से बनाए गए डीपफेक वीडियो या ऑडियो को समझना या पहचानना आसान होता है। परंतु प्रोफेशनल रूप से बनाए गए डीपफेक वीडियो को पहचानना अमूमन कठिन हो सकता है। कुछ ऐसी विशेषताएं हैं जो डीपफेक वीडियो या ऑडियो को समझने में मदद कर सकती हैं।
डीपफेक का अभिप्राय एक ऐसे भ्रामक कंटेंट के पार्ट से है जो आमतौर पर वीडियो या ऑडियो होता है। जिसमें एआई का उपयोग करके उस वीडियो या ऑडियो के सामग्री से छेड़छाड़ कर वास्तविक ढांचे में हेर-फेर कर दिया गया हो।
डीपफेक की टेक्नोलॉजी में निर्माता, एआई का उपयोग कर किसी वास्तविक वीडियो के फुटेज को समझकर उसके हाव-भाव और भौतिक विशेषताओं के आधार पर किसी नए और फेक सामग्री का निर्माण कर सकता है।
इसमें कोई दो राय नहीं कि डीपफेक खतरनाक नहीं हो सकता है, इसका सबूत आप रश्मिका मंदाना और पीएम मोदी के वीडियो से समझ सकते हैं। जिसका संज्ञान लेते हुए मंदाना और पीएम मोदी, दोनों ने ही अपनी नराजगी को सोशल मीडिया पर साझा किया है। ऐसे में कहा जा सकता है कि, डीपफेक गलत सूचनाओं का निर्माण इस प्रकार से कर सकता है! कि वह सच प्रतीत हो और जिससे यह भ्रम भी उत्पन्न न हो कि उस वीडियो के संबंधित और विश्वसनीय स्रोत से कुछ छेड़छाड़ हुआ है।