नई दिल्लीः बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्षी दलों को बीजेपी के खिलाफ एकजुट करने में जुटे हैं। वहीं भारतीय जनता पार्टी उनके ही फार्मूले से उन्हें टक्कर देने की तैयारी में है। विपक्षी दलों की एकता बैठक के बाद बीजेपी ने इसकी काट के लिए नया फॉर्मूला ढूंढ लिया है। महागठबंधन की चुनौती को पार पाने लिए बीजेपी ने खासकर बिहार को अपना टारगेट बनाया है। जिसके तहत बीजेपी छोटे-छोटे दलों को साधकर अपनी ताकत बढाने में जुटी है। लोक जनशक्ति पार्टी के दोनों धड़ों के साथ, जीतनराम मांझी, उपेंद्र पासवान, मुकेश सहनी को साथ लेकर बीजेपी आगे बढ़ने की तैयारी कर रही है। साथ ही उन नेताओं को साधा जा रहा है जो नीतीश कुमार से नाराज हैं।
हालांकि पूर्व सीएम जीतनराम माझी ने एनडीए में बीजेपी के साथ आने की पहले ही घोषणा कर दी है। वहीं जेडीयू से बाहर आए उपेंद्र कुशवाहा और वीआईपी पार्टी के मुकेश साहनी से बातचीत जारी है। इसके अलावा बीजेपी सामाजिक समीकरण को साधने का प्रयास कर रही है। बीजेपी के नेताओं का दावा है कि इस बार के चुनाव में पार्टी को पासवान, मल्लाह, कुशवाहा और कोइरी समुदाय का जबरदस्त समर्थन मिलेगा।
कुल मिलाकर बीजेपी को नए-पुराने सहयोगी दलों के साथ पिछड़ा और दलित समुदाय का बड़ा लाभ मिल सकता है। बिहार बीजेपी के अध्यक्ष सम्राट चौधरी कुशवाहा समाज से आते हैं और बिहार में कुशवाहा समुदाय के करीब 8 फीसदी वोट हैं। वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी भी इसी समुदाय से आते हैं। इसलिए बीजेपी को कुशवाहा समाज का समर्थन मिलना भी लगभग तय माना जा रहा है।