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टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन से करें ऑनलाइन अकाउंट्स को सुरक्षित, जानें क्या हैं इसके फायदे

By RNI Hindi Desk 
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नई दिल्ली : इस भागदौड़ भरे जिंदगी में चीजें ड़िजिटल होते चली जा रही हैं और ड़िजिटल दौर में सुरक्षा भी काफी अहम हो जाता है। ऐसे में आपके ऑनलाइन अकाउंट्स को सुरक्षित रखने में टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन अभी भी काफी कारगर सिस्टम है। इसे टू स्टेप वेरिफिकेशन के तौर पर भी जाना जाता है, जो कि आपके अकाउंट की एडिश्नल सिक्योरिटी के लिहाज से अहम फीचर कहा जा सकता है। यह जीमेल और फेसबुक सरीखे अन्य अकाउंट्स में एक्टिव किया जा सकता है। आइए जानते हैं इसके बारे में:

दरअसल, यह एक किस्म की सुरक्षा प्रणाली है। इसे लगाने के बाद आप अपने ऑनलाइन अकाउंट्स की सेफ्टी को और मजबूत कह सकते हैं। चूंकि, एक बार इसे एक्टिव करने के बाद पासवर्ड डालने के बाद अकाउंट में एंट्री/एक्सेस के लिए दूसरा प्रूफ देना होता है। यह फोन नंबर, सिक्योरिटी की और ऐप बेस्ड ऑथेंटिकेशन के जरिए हो सकता है।

मान लें कि आपके जीमेल या फेसबुक अकाउंट का पासवर्ड किसी को पता चल गया। वह उसके जरिए आपके खाते को एक्सेस करना चाहता है। इस स्थिति में वह पासवर्ड डालकर लॉग-इन का पहला चरण तो पास कर लेगा, मगर दूसरे चरण में उससे आगे एक और सबूत मांगा जाएगा। वह इसके बिना लॉग-इन नहीं कर पाएगा। हालांकि, इन दिनों हैकर्स ऑटोमेटेड बॉट्स के जरिए इस टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन वॉल को भी तोड़ दे रहे हैं, पर जरूरी नहीं कि हर केस में वे सफल हों।

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, हैकर भले ही बॉट्स की मदद से टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन को पास कर जाएं, मगर वे इसके बाद अकाउंट हैक नहीं कर सकते। उन्हें इसके लिए निशाना बनाए गए यूजर के पास से ऑथेंटिकेशन कोड की जरूरत होगी और अगर यूजर उसे शेयर नहीं करेगा, तब उसका अकाउंट सुरक्षित रहेगा।

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