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अमरोहा में खोला जाए मेडिकल साइंस कालेजः कुंवर दानिश अली

By Amit ranjan 
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मुमताज़ आलम रिज़वी

नई दिल्लीः बसपा के अमरोहा से सांसद और मुसलिम लीडर कुंवर दानिश अली ने एक बार फिर आम जनता के मुद्दे उठाये। दलितों, आदिवासियों,पिछड़ों के मुद्दे उठाने वाले सांसद कुँवर दानिश अली ने आज संसद में The National Institute of Pharmaceutical Education and Research (Amendment) Bill, 2021 पर चर्चा के दौरान दलितों, आदिवासी, पिछड़े और वंचित समाज के ऊपर हो रहे मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर और मेडिकल साइंस में रिसर्च के लिए ट्रायल्स के खिलाफ आवाज उठाई तथा अपने लोक सभा क्षेत्र अमरोहा में मेडिकल साइंस कॉलेज खोलने की मांग की।

बिल पर विस्तार से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा के आज बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर जी का परिनिर्वाण दिवस है। आज हम जिस संस्था में खड़े हैं, यह बाबा साहेब की देन है। उन्होंने ऐसा संविधान बनाया कि देश के दबे-कुचले वंचित समाज के लोग आ कर इस सदन में अपनी बात रख सकें। आज यहां पर बहुत ही महत्वपूर्ण बिल, The National Institute of Pharmaceutical Education and Research (Amendment) Bill, 2021 पर चर्चा हो रही है। बिल में जो संशोधन लाए गए हैं, स्टैंडिंग कमेटी ने भी उनको स्क्रूटनाइज किया है। वो इस बिल के समर्थन में बोलने के लिए खड़े हुए। उन्होंने मंत्री जी को सलाह दी कि जितने इंस्टीट्यूट्स बने हैं, सबसे पहले मोहाली में यह बना है, उसके बाद छ: इंस्टीट्यूट्स देश के विभिन्न कोनों में बने हैं। ये अहमदाबाद, गुवाहाटी, हैदराबाद, हाजीपुर और रायबरेली में बने हैं। इनमें से केवल मोहाली में एक ऐसा इंस्टीट्यूट है, जिसके पास अपनी बिल्डिंग है। आज कोविड-19 के बाद हमारे देश में मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर और मेडिकल साइंस में रिसर्च के विषय में कम से कम चर्चा हो रही है और देश में जागरूकता भी आई है।

 

उन्होंने कहा कि दवाइयां टेस्ट करने में जितने ट्रायल्स होते हैं, उनकी एकाउंटिबिलिटी थोड़ी सख्त करनी चाहिए। यह देखने में आया है कि जो मल्टी नेशनल विदेशी कम्पनीज हैं, वे भारत की कम्पनीज के साथ टाई-अप करके हिंदुस्तान के लोगों पर ट्रायल्स करते हैं। जो लोग दलित हैं, आदिवासी हैं, पिछड़े और वंचित समाज के हैं, उनके ऊपर ऐसे ट्रायल्स ज्यादा होते हैं। इसकी एकाउंटेबिलिटी सरकार को तय करनी चाहिए

 

डॉ. बाबा साहब अम्बेडकर जी ने हमें वह ताकत दी कि हम वंचित समाज की बात इस को सदन में रख सकें। सत्ता पक्ष के सदस्य को यह भी दर्द हो रहा है हम यहां वंचित समाज की बात कर रहे हैं।  यदि दलित, आदिवासी, पिछड़े समाज के लोगों पर कोई रिसर्च होती है, ट्रायल होता है, उसके लिए सख्त कानून बनना चाहिए, इसके लिए भी इन्हें दर्द हो रहा है।उन्होंने सत्ता पक्ष के सदस्य निशिकांत जी को उनका वक्तव्य स्मरण कराया जब उन्होंने दलित और आदिवासी समाज से पैर धुलवाने की बात कही थी।

 

आगे उन्होंने कहा कि रिसर्च के लिए सरकार को और ज्यादा फंड्स देने की आवश्यकता है। रिसर्च करने वाले इंस्टीट्यूट्स को जो फंड जा रहा है, वह बहुत कम है। प्राइवेट सेक्टर ने भी इस फील्ड में बहुत काम किया है। जामिया हमदर्द डीम्ड यूनिवर्सिटी है। वहां की फार्मा की डिग्री की बहुत वैल्यू है और विदेशों से भी लोग वहां आते हैं। हमारे यहां दवाइयों की बहुत अच्छी कम्पनियां हैं, जिन्होंने बहुत अच्छा काम किया है। सिपला कम्पनी ने और ऐसी दो-तीन कम्पनियों ने दवाइयों के क्षेत्र में बहुत अच्छा काम किया है।

महोदय, मेरा क्षेत्र वेस्टर्न यूपी में आता है। मैं मंत्री जी से चाहता हूं कि एक ऐसा इंस्टीट्यूट मेरे लोक सभा क्षेत्र अमरोहा को भी देंगे, जो कि दिल्ली एनसीआर के नजदीक है, तो मैं आपका आभारी रहूंगा। शायद हो सकता है कि उत्तर प्रदेश की सरकार ने प्रपोजल नहीं भेजा होगा या नहीं भेजेगी, लेकिन मेरी आपसे यही मांग है। उत्तर प्रदेश बहुत बड़ा राज्य है। वहां आपने रायबरेली में एक इंस्टीट्यूट पिछली सरकार ने दिया है। वह भी क्यों दिया होगा और उसकी आज क्या स्थिति है, इस बारे में सब जानते हैं। मैं चाहता हूं कि उत्तर प्रदेश में कम से एक एक और इंस्टीट्यूट कम से कम मेरे लोक सभा क्षेत्र में दिया जाना चाहिए और इन इंस्टीट्यूट्स में जो रिसर्च हो रही है, चाहे पेटेंट दवाइयों पर ही क्यों न हो, हम लोग बहुत जागरुक नहीं हैं। हमारे यहां रिसर्च होती है और बहुत काम होता है, लेकिन सरकार को ऐसे पेटेंट कराने में साइंटिस्ट्स की मदद करनी चाहिए, उसमें कहीं न कहीं हम कमी देखते हैं।