नई दिल्ली : जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने हरिद्वार में धर्म संसद द्वारा तीन दिवसीय सम्मेलन में समाज विशेष के खिलाफ़ अभद्र भाषा और मुसलमानों की हत्या की खुली धमकी पर चिंता व्यक्त करते हुए इस पूरे मामले पर सरकार और प्रशासन की चुप्पी को ऐसे लोगों के लिए सहायक बताया और इसे देश के लिए “बेहद ख़तरनाक” करार दिया।
मौलाना महमूद मदनी ने गृह मंत्री अमित शाह, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखकर सम्म्मेलन के आयोजकों के खिलाफ़ क़ानूनी कार्यवाई की मांग की। मौलना मदनी ने अपने पत्र में लिखा है कि यहां जो हो रहा है वह देश में शांति और व्यवस्था और सांप्रदायिक सद्भाव के लिए एक गंभीर ख़तरा है, इसलिए मेरी मांग है कि आयोजकों और वक्ताओं के खिलाफ़ सख्त कार्रवाई की जाए।
गौरतलब है कि 17 से 19 दिसंबर तक चले “इस्लामी हिंदुस्तान में सनातन धर्म, समस्या और समाधान” विषय पर आयोजित इस सम्मेलन में कई वक्ताओं ने मुसलमानों के खिलाफ़ भड़काऊ और नफ़रत भरे भाषण दिए और खुले तौर पर मुसलमानों के नरसंहार का आह्वान किया। साथ ही हिंदू समुदाय को हथियारबंद होने का भी आह्वान किया।
कार्यक्रम के अध्यक्ष और संरक्षक यति नरसिंहानंद ने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा था कि, “अगर कोई हिंदू, लिट्टे चीफ़ प्रभाकरण बनना चाहता है, तो मैं पहले इस उद्देश्य के लिए 10 मिलियन रुपये की पेशकश करूंगा और शेष 100 करोड़ रुपये जुटा सकते हैं। यति नरसिंहानंद ने कहा था कि, हर हिंदू मंदिर को एक प्रभाकरण की जरूरत होती है, एक अन्य वक्ता, अनपूर्णनामा ने कहा कि यदि सौ हिंदुओं ने एक सेना बनाई और दो मिलियन मुसलमानों को मार डाला, तो इसे हिंदुओं की जीत घोषित किया जाएगा। प्रत्येक भारतीय नागरिक को उन्हें (मुसलमानों) को उखाड़ने के लिए सफाई अभियान में शामिल होना चाहिए, सब तैयार रहें और ऐसा करने की तैयारियों पर चर्चा भी करें।”
मौलाना मदनी ने गृह मंत्री अमित शाह, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को लिखे अपने पत्र में उक्त बयानों का उल्लेख किया और सरकार से देश के संविधान और कानून के राज की स्थापना करने एवं सभी नागरिकों की रक्षा के लिए ज़रूरी क़दम उठाने का भी आह्वान किया।