नेचर लर्वस के लिये तो पहाड़ पसंदीदा स्थान है, और पहाड़ों की सुंदरता को देखने के लिये उत्तराखंड से अच्छी ज्गह और कहां होगी। आज हम नेचर लवर्स के लिये एक बड़ी ही खुशी की खबर लाये हैं।
रिपोर्ट: अनुष्का सिंह
देहरादून: आज- कल की स्ट्रेस भरी ज़िन्दगी और प्रदूषण भरे वातावरण से ब्रेक लेने के लिये लोग खुले में हवा खाना पसंद करते हैं। नेचर लर्वस के लिये तो पहाड़ पसंदीदा स्थान है, और पहाड़ों की सुंदरता को देखने के लिये उत्तराखंड से अच्छी ज्गह और कहां होगी। आज हम नेचर लवर्स के लिये एक बड़ी ही खुशी की खबर लाये हैं।
दरअसल प्रकृति प्रेमियों के लिए वन विभाग का रौंसलीखाल-कौड़िया-खुरेत ईको टूरिज्म सर्किट बनकर तैयार हो गया है। जी हाँ, अब उत्तराखंड में टिहरी आने वाले सैलानी जल्द ही हसीन वादियों के बीच ईको टूरिज्म का लुत्फ उठा पाऐंगे।
आपको बता दे कि टूरिज्म सर्किट से प्रकृति आधारित पर्यटन के साथ ही स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए दरवाजे भी खुलेंगे। इसमे पर्यटको को खेत-खलिहान, मिट्टी के घर, स्वच्छ वातावरण, वन्य जीव और हरियाली का नजारा देखने को मिलेगा।
जैसा की हम सभी जानते हैं गढ़वाल की वादियां सौंदर्य से भरपूर हैं। लेकिन इसके बाद भी 71 फीसद वन भूभाग वाले राज्य में पर्यटन गतिविधियां कुछेक क्षेत्रों तक ही सिमटी हुई हैं। जिसके चलते पर्यटन को बढ़ाने के लिए अब प्रकृति से छेड़छाड़ किए बगैर ईको टूरिज्म की प्रयास अब तेज होने लगी है। वन विभाग ने रौंसलीखाल-कौड़िया-खुरेत ईको टूरिज्म सर्किट का निर्माण कार्य पूरा कर दिया है।
आपको बता दे कि रौंसलीखाल में आठ मिट्टी के घर बनाए गए हैं। यहां युवाओं को प्रकृति से जोड़ने के लिए नेचर एजुकेशन भी दी जाएगी। साथ ही स्थानीय उत्पादों को प्रमोट करने के लिए एक स्टाल भी लगाया जाएगा।
इको टूरिज्म सर्किट का जल्द ही उद्घाटन किया जाएगा। इसके जरिये पर्यटकों को प्रकृति से जोड़ने व संरक्षण का संदेश भी दिया जाएगा। सर्किट के जरिये स्थानीय युवाओं को घर बैठे रोजगार भी मिल सकेगा।