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उत्तराखंड: बारिश की वजह से बर्बाद हुआ किसान, अब इतने में बिक रही है गहत की दाल…

इस बार लोगों के लिए जाड़ों में गहत की दाल खाना आसान नहीं होगा। बता दें कि भारी बारिश के कारण गहत की खेती का काफी नुकसान हुआ है। बीते अक्टूबर में हुई अतिवृष्टि ने तो गहत उत्पादक काश्तकारों की कमर तोड़कर रख दी।

By RNI Hindi Desk 
Updated Date

रिपोर्ट:पायल जोशी

नैनीताल: इस बार लोगों के लिए जाड़ों में गहत की दाल खाना आसान नहीं होगा। बता दें कि भारी बारिश के कारण गहत की खेती का काफी नुकसान हुआ है। बीते अक्टूबर में हुई अतिवृष्टि ने तो गहत उत्पादक काश्तकारों की कमर तोड़कर रख दी।  बता दें कि  भारी बारिश से 60 प्रतिशत गहत की खेती बर्बाद हो गई, जिसके कारण कम उत्पादन होने से बाजार में भी गहत की दाल आसानी से नहीं मिल पा रही है।

आपको बता दें कि जनपद के विभिन्न हिस्सों में गहत की दाल उगाई जाती है, जिसकी तासीर गर्म होने के चलते जाड़ों में लोग इसे बेहद चाव से खाते हैं, जिसके कारण बाजार में किसानों को इसके अच्छे दाम मिलते हैं। चम्पावत की बाजार से पर्वतीय मूल के बाहर बसे लोग गहत की दाल बड़ी मात्रा में खरीद कर ले जाते हैं, और यहां की गहत दिल्ली और मुंबई तक भी जाती है। लेकिन इस बार अधिक बारिश से गहत का उत्पादन प्रभावित हुआ है।

सितंबर और अक्टूबर माह में गहत की खेती को काफी अधिक नुकसान पहुंचा, जिसका परिणाम यह है कि अब बाजार में गहत की दाल ढूंढने पर भी नहीं मिल पा रही है। गत वर्षों तक गहत की दाल बाजार में आसानी से 100 से 120 रुपया किलो में मिल जाती थी, जो इस बार 140 से 150 रुपये किलो तक बिक रही है। हालांकि काश्तकार अपने घर में थोक में 110 से 120 रुपये किलो तक गहत बेच रहे हैं। लोहाघाट निवासी दिवाकर पांडेय ने बताया कि बाजार में गहत भी काफी कम आया है, जिसके चलते गहत खरीदने के लिए उन्हें लोहाघाट से 35 किमी दूर धौन से लगे अमौन गांव जाना पड़ा। बताया कि गांव में जाकर भी उन्हें 110 रुपये के भाव से गहत खरीदनी पड़ी।

काश्तकार पूरन सिंह, नरेश चंद्र ने बताया कि इस बार अधिक बारिश होने से गहत की 60 प्रतिशत के करीब फसल बर्बाद हो गई। मुख्य कृषि अधिकारी ने बताया कि इस सीजन में बारिश अधिक होने से गहत उत्पादन प्रभावित हुआ है। फसल को कितना नुकसान पहुंचा इसका वास्तविक आकलन किया जा रहा है।

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