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उत्तराखंड चुनाव से पहले समझ लें चुनावी गणित, किस पार्टी के हैं कितने विधायक, क्या कहती है सर्वे रिपोर्ट?

Understand the electoral math Before the Uttarakhand elections; उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले सियासी उठापटक तेज। कभी नाराज हुए हरीश रावत, तो कभी हरक सिंह। जानें क्या कहती है

By Amit ranjan 
Updated Date

नई दिल्ली : उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले लगातार राज्य में लगातार सियासी उठापटक चल रहा है। कभी कांग्रेस से नाराज होकर हरीश रावत खफ़ा हो जाते है, तो कभी बीजेपी से हरक सिंह रावत। हालांकि हरीश रावत एक बार फिर एक्टिव हो गये है, क्योंकि उन्हें कांग्रेस ने मना लिया है। इस कारण वे एक बार फिर कांग्रेस के गुणगान करने में लगे हुए है। वहीं दूसरी तरफ बात रहीं हरक सिंह रावत की, तो बीजेपी का कहना है कि उन्होंने उन्हें मना लिया है।

क्यों नाराज हुए थे हरक सिंह रावत

आपको बता दें कि गुरुवार रात को हरक सिंह रावत ने अपनी ही सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए इस्तीफा दिया था। उनके मुताबिक राज्य सरकार कोटद्वार में ( स्वीकृत करने को लेकर) मेडिकल कॉलेज को लटका रही है। रावत ने कहा कि ऐसी परिस्थिति में वो अब काम नहीं कर सकते हैं।

दूर कर दी गई है हरक सिंह रावत की चिंता

वहीं एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार बीजेपी विधायक उमेश शर्मा काऊ ने कहा कि हरक सिंह रावत की चिंताएं दूर कर दी गई है और कोई कहीं नहीं जा रहा है। बता दें कि उमेश शर्मा काऊ को ही हरक सिंह रावत को मनाने की जिम्मेदारी दी गई थी। उमेश शर्मा काऊ ने कहा कि हरक सिंह रावत के मुद्दे को गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी नेता अनिल बलूनी और सीएम पुष्कर सिंह धामी के संयुक्त प्रयास के बाद हल कर लिया गया है।

बीजेपी के सिपाही के तौर पर करेंगे काम

उन्होंने कहा कि कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज बनाने के उनके प्रस्ताव को स्वीकर कर लिया गया है और उन्हें जानकारी दी गई है कि इसके लिए बजट सोमवार तक जारी कर दिया जाएगा। उमेश शर्मा काऊ से जब पूछा गया कि क्या हरक सिंह रावत इस्तीफा नहीं देने को तैयार हो गए हैं, तो इसके जवाब में उन्होंने कहा कि कोई कहीं नहीं जा रहे है। उन्होंने कहा कि हम बीजेपी के सिपाही के तौर पर काम करेंगे।

उमेश शर्मा काऊ को लेकर भी चर्चाएं

दिलचस्प ये है कि उत्तराखंड में काऊ के इस्तीफे को लेकर भी चर्चा हो रही है। हालांकि, विधायक के बेटे गौरव शर्मा ने इस बात का खंडन करते हुए कहा कि शुक्रवार रात कुछ टीवी चैनलों ने जब इस खबर को दिखाया तो वे हैरान रह गए। एजेंसी के अनुसार अटकलों के शुरू होने के तुरंत बाद काऊ को दिल्ली से एक फोन आया और वह रावत से मिलने गए, कहा जा रहा है वे हरक सिंह रावत को मनाने गए हैं।

बता दें कि हरक सिंह रावत और काऊ दोनों उन 10 विधायकों में शामिल थे, जिन्होंने 2016 में हरीश रावत के खिलाफ बगावत की थी और भाजपा में शामिल हो गए थे। हरक सिंह रावत धामी के कैबिनेट में वन मंत्री का पद संभालते हैं।

1989 में बीजेपी के साथ शुरू किया था अपना राजनीतिक करियर

तीन बार कैबिनेट मंत्री रहे हरक सिंह रावत ने 1989 में बीजेपी के साथ अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था, लेकिन बाद में वह बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) और फिर कांग्रेस में शामिल हो गए थे। रावत साल 2016 में फिर से बीजेपी में शामिल हो गए थे। राजपूत जाति से ताल्लुक रखने वाले हरक सिंह रावत ने 2016 में कांग्रेस आलाकमान से बगावत कर बीजेपी का दामन थामा था।

पिछली कई सरकार में मंत्री रह चुके हैं हरक सिंह

हरक सिंह ने रावत पहली बार 1991 में पौड़ी से चुनकर विधानसभा आए थे। गौरतलब है कि उस समय उत्तराखंड उत्तर प्रदेश का ही हिस्सा था. वह 2017 में कोटद्वार विघानसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीते थे। हरक सिंह रावत उत्तराखंड विधानसभा विपक्ष के नेता रह चुके हैं। वे 1991 से अब तक यूपी और उत्तराखंड विधानसभा के सदस्य भी रहे हैं। हरक सिंह रावत उत्तराखंड की पिछली कई सरकार में मंत्री रह चुके हैं। वह तीरथ सिंह रावत सरकार में भी कैबिनेट मंत्री थे। उनके पास वन और आयुष मंत्रालय विभाग था।

किस पार्टी के कितने विधायक

वर्ष 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 70 में से 56 सीटों पर जीत दर्ज की थी। उससे पहले वहां कांग्रेस की सरकार थी। इस तरह देखें तो प्रदेश में भाजपा के कुल 56 विधायक हैं। प्रदेश में कांग्रेस के 10 विधायक ही हैं। इसके अलावा दो सीटों पर निर्दलीय जबक‍ि दो सीटें रिक्त हैं। एक सीट पर एंग्लो इंडियन समुदायक के नामित विधायक हैं।

इस बार भी लड़ाई भाजपा और कांग्रेस के बीच

2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में इस बार भी मुख्ये लड़ाई भाजपा और कांग्रेस के बीच ही दिख रही है। प्रदेश के युवाओं को साधने के लिए भाजपा ने इस साल 4 जुलाई को पुष्कर सिंह धामी को प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया। जानकार मानते हैं क‍ि पार्टी को जातीय समीकरण साधने के लिए राजपूत चेहरे की जरूरत थी। इस लिहाज से भी पुष्कर सिंह धामी पार्टी के सभी मानकों पर फिट बैठे, इसलिए उन्हें  पार्टी की कमान सौंपी गयी, और वे कम उम्र के सीएम बनें, बीजेपी युवाओं को साधने में लगी है। धामी दावा कर रहे हैं क‍ि इस बार बीजेपी में प्रदेश की 60 सीटें जीतेगी। इसके लिए वे कई जिलों की यात्रा भी कर रहे हैं।

उधर कांग्रेस ने हरीश रावत की नाराजगी खत्म करने का दावा कर रही है। खबरों की मानें तो इस चुनाव भी वे कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री चेहरा वही होंगे।

सर्वे के अनुसार प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर

एक सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा की परेशानी बढ़ा सकती है। सर्वे के मुताबिक उत्तराखंड के 40 फीसदी वोटर बीजेपी के पक्ष में हैं तो वहीं कांग्रेस के पक्ष में करीब 36 फीसदी मतदाता है। इसके अलावा 13 फीसदी मतदाता आम आदमी पार्टी की तरफ है। अन्य के खाते में करीब 11 फीसदी मतदाताओं का झुकाव है। सर्वे में साफ है कि उत्तराखंड के चुनावी रण में असल मुकाबला बीजेपी-कांग्रेस के बीच ही है।

रिपोर्ट बताती है कि बीजेपी के खाते में 33 से 39 सीटें जाती हुई दिखाई दे रही है। इसके अलावा कांग्रेस के हिस्से में 29 से 35 सीटों का अनुमान जताया जा रहा। 1-3 सीटें आप के खाते में, जबकि अन्य के खाते में 0-1 सीट जाने का अनुमान है।

आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर आयोग का बड़ा कदम

आगामी विधानसभा चुनाव में उत्तराखंड में वोट डालने के लिए मतदाताओं को एक घंटे का अतिरिक्त समय मिलेगा। भारत निर्वाचन आयोग ने यहां मतदान का समय एक घंटे बढ़ाने का निर्णय लिया है। मतदान अब सुबह आठ से शाम छह बजे तक चलेगा। पहले इसकी समयावधि सुबह आठ से शाम पांच बजे तक नियत थी। चुनाव की तैयारियां परखने राज्य के दौरे पर आए मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा ने शुक्रवार को पत्रकार वार्ता में यह ऐलान किया। उन्होंने कहा कि इस निर्णय के पीछे मंशा यही है कि विषम भूगोल वाले इस राज्य में लोग अधिक से अधिक मताधिकार का प्रयोग कर सकें। आयोग का लक्ष्य इस बार मतदाताओं को जागरूक कर मतदान प्रतिशत बढ़ाना भी है।

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