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14 साल से राह बनने का इंतजार कर रहे हैं लोग, न जाने कब होगा पूरा..

जहां देश मे एक तरफ पूर्वांचल एक्सप्रेसवे जैसे हाईवे का निर्माण हो रहा है तो वहीं दूसरी ओर आम जनता को 2 किमी की लोकल रोड के निर्माण के लिये 14 साल से इंतजार करना पड़ रहा है।

By RNI Hindi Desk 
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रिपोर्ट: अनुष्का सिंह

देहारादून: जहां देश मे एक तरफ पूर्वांचल एक्सप्रेसवे जैसे हाईवे का निर्माण हो रहा है तो वहीं दूसरी ओर आम जनता को 2 किमी की लोकल रोड के निर्माण के लिये 14 साल से इंतजार करना पड़ रहा है।

दरअसल हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के टिहरी की। जहाँ सड़क निर्माण के लिए वित्तीय स्वीकृति मिलने और टेंडर प्रक्रिया के बाद भी 14 साल में दो किमी सड़क नहीं बन पाई है। जिस पर अब ग्रामीणों का आरोप है कि लोक निर्माण विभाग के अधिकारी सड़क निर्माण के लिए फिर से एस्टीमेट मांगे जाने की बात कहकर उन्हें गुमराह कर रहे हैं।

आपको बता दे कि टिहरी जिले के जौनपुर विकासखंड के नैनबाग तहसील के अंतर्गत दिल्ली-यमुनोत्री नेशनल हाईवे को जोडऩे वाला रोड़ सुमनक्यारी-बणगांव-सुरांसू-खरक-कांडी मोटर मार्ग है। इस रोड की कुल लम्बाई 12 किमी की थी। जिसके के चलते इस रोड़ को बनाने का कार्य 2003-04 मे शुरु किया गया था, उस वक्त मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी का शासन था। कार्य की शुरुआत मे सुमनक्यारी से खरक गांव तक 12 किमी सड़क के लिए टेंडर पास हुआ और 2007 तक 10  किमी की सड़क बन कर तैयार हुई।

जिसके बाद आगे की 2 किमी की सड़क की कटिंग भी हो गई, लेकिन उसके बाद आज तक उस सड़क का काम रुका हुआ है और सड़क ऐसे ही आधी- अधूरी पड़ी हुई है। जिससे परेशान होकर गांव के लोगो ने कई बार लेनिवि को जानकारी दी। जिस पर अधिकारियों की तर्फल से हमेशा यही प्रतीक्रीया आई के हले का बजट खर्च हो गया है, इसके लिये फिर से एस्टीमेट बना रहे हैं।

जिस पर गावँ के प्रधान सारदार सिंह रावत और विनिता रावत का पूछना है कि जब वित्तीय स्वीकृति व टेंडर प्रक्रिया 12 किमी के लिए थी तो दो किमी का पैसा कहां खर्च किया गया, इसका जवाब अधिकारियों के पास नहीं है।

आपको बता दे की खरक गांव के लोगो का कहना है कि 2019 के लोकसभा चुनावों से पूर्व ग्रामीणों ने मतदान नहीं करने की बात कही थी, तब अधिकारियों ने ग्रामीणों से वार्ता कर आश्वासन दिया था कि शीघ्र ही सड़क निर्माण किया जाएगा, लेकिन आज तक इस पर कार्रवाई नहीं हुई।

बता दे की नैनबाग तहसील के सभी गांव सड़क से जुड चुके हैं, सिर्फ खरक और मेलगढ गांवों के साथ यह भेदभाव की यह स्थीती बनी हुई है। सड़क नहीं होने से काश्तकारों को अपनी नकदी फसलों को सड़क तक पहुंचाने और बीमारी की स्थिति में बहुत परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है।

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