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Western UP में सपा-रालोद गठबंधन के लिए ‘एक तरफ कुआं, दूसरी तरफ खाई’

पहले चरण में पश्चिमी यूपी में 10 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल गठबंधन के लिए ‘एक तरफ कुआं, दूसरी तरफ खाई’ वाली स्थिति बन गई है। भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर और एआईएमआईएम प्रमुख असदउद्दीन ओवैसी सपा-रालोद गठबंधन की टेंशन बन गए हैं। इतना ही नहीं, टिकट कटने से नाराज बागी भी समीकरण खराब कर रहे हैं।

By RNI Hindi Desk 
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प्रभात रंजन दीन की कलम से

पश्चिमी यूपी में पहले चरण में 58 सीटों पर मतदान होना है। ऐसे में सभी दल एकदूसरे को शह मात देने की रणनीति बनाने में लगे हैं, लेकिन इस गन्ना बेल्ट में सपा और रालोद गठबंधन किसानों को लेकर तमाम घोषणाएं करने के बावजूद मतदाताओं की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर पा रहे हैं। टिकट वितरण में क्षेत्रीय और सामाजिक समीकरण गड़बड़ाने की वजह से दावेदारों और मतदाताओं दोनों में नाराजगी सामने आ रही है। इसी वजह से रालोद मुखिया जयंत चौधरी को यह कहना पड़ गया कि जो विरोध करेगा, उसके लिए रालोद के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो जाएंगे।

 

एआईएमआईएम(AIMIM) प्रमुख ने पिछले पांच-छह महीने में करीब 60 सभाएं कर मुसलिमों को जागृत करने का काम किया है और उन्होंने मुसलिम लीडरशिप डेवलप करने की बात कही है। इसका सबसे ज्यादा असर पश्चिमी यूपी की कई सीटों पर देखने को मिल रहा है। ओवैसी के 16 सीटों पर मुसलिम प्रत्याशी उतारने का असर कई सीटों पर गठबंधन के प्रत्याशियों में देखने को मिल रहा है। एक सीट पर सपा के एक प्रबल दावेदार मनमोहन झा गामा को भी साहिबाबाद से टिकट दिया गया है। इसका असर भी सीधा तौर पर दिख रहा है। इस बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि पश्चिमी यूपी में रालोद के बेस-वोट जाट और मुस्लिम में सेंधमारी हो चुकी है। जाट वोट भाजपा को, तो मुसलिम वोट ओवैसी को भी जाने की संभावना है।

मतदाताओं में भी गठबंधन के प्रत्याशियों को लेकर नाराजगी

चुनाव में रालोद का बेस वोट कहे जाने वाला मुसलिम और जाट समीकरण प्रभावी नहीं हो पा रहा है। एआईएमआईएम के कई सीटों पर मुसलिम प्रत्याशी उतारने से रालोद के बेस वोट बैंक को तगड़ा झटका लगा है। मतदाताओं में भी गठबंधन के प्रत्याशियों को लेकर कई सीटों पर नाराजगी है। ऐसे में दोनों दलों को एकदूसरे का वोट ट्रांसफर होता भी कम दिख रहा है।

सपा और रालोद में भी चल रही अंदरूनी खींचतान

सपा और रालोद में सीटों को लेकर किस प्रकार से रस्साकसी चल रही है। इसका एक उदाहरण मथुरा की मांट विधानसभा सीट है। इस सीट पर दोनों दलों ने अपने-अपने सिंबल पर प्रत्याशी उतार दिए हैं। ऐसे ही मेरठ की सिवालखास सीट पर दोनों दलों में खींचतान चल रही है, इससे दोनों दलों के दावेदारों में ऊहापोह की स्थिति है।

भीम आर्मी, बसपा और कांग्रेस गठबंधन के वोट बैंक में कर रही सेंधमारी

भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर का गठबंधन किसी दल से नहीं हो पाया है। चंद्रशेखर ने सपा पर दलितों की उपेक्षा का आरोप लगाया है और 33 सीटों पर अपने उम्मीदवार भी उतारे हैं। इसका असर गठबंधन की कई सीटों पर देखा जा रहा है। इसके अलावा बसपा और कांग्रेस के प्रत्याशी भी गठबंधन के वोट बैंक में सेंधमारी कर रहे हैं। मेरठ के सच संस्था के अध्यक्ष डॉ. संदीप पहल का कहना है कि सपा की रणनीति को देखकर लगता है कि वह खुद अपने प्रत्याशियों को हराने के लिए लड़ रही है।

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