शुक्रवार मेरठ सहित देशभर के एलोपैथ चिकित्सक हड़ताल पर रहे। आयुर्वेदिक चिकित्सकों को सर्जरी की अनुमति के आद एलोपैथ चिकित्सकों की एसोसिएशन आइएमए ने आंदोलन छेड़ दिया। पश्चिम यूपी में इमरजेंसी की सेवा छोड़कर अन्य सेवाएं शुक्रवार को ठप कर दी गईं। मेरठ में निजी डॉक्टर सुबह छह बजे से सांकेतिक हड़ताल पर हैं।
निजी अस्पतालों की ओपीडी में मरीज नहीं देखे गए, साथ ही इलेक्टिव ओटी भी बंद कर दी गई। जबकि सरकारी अस्पतालों में स्थिति सामान्य है और पूर्व की ही भांति मरीज देखे गए। मेरठ में आइएमए की हड़ताल के बीच कोविड-19 की वजह से कहीं प्रदर्शन नहींं हो रहा था। लेकिन प्राइवेट अस्पतालों ने ओपीडी बंद कर रखी है।
आयुर्वेदिक डाक्टरों को सर्जरी की अनुमति देने संबंधी सरकार के फैसले के विरोध में शुक्रवार को आइएमए के आह्वान पर डाक्टरों ने ओपीडी सेवाएं बंद कर महज इमरजेंसी में ही मरीजों को देखा। अपनी मांगों को लेकर मेरठ में आइएमए ने प्रधानमंत्री, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री, मुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री को मांग पत्र भेजा। निजी डाक्टरों की हड़ताल की वजह से मरीजों को परेशानी हुई। सर्दी-बुखार के इलाज के लिए मरीज सरकारी अस्पतालों की ओर रुख किए। डाक्टरों की यह हड़ताल सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक चली।
आईएमए मेरठ चैप्टर के वित्त सचिव डॉ अमित उपाध्याय ने बताया कि करीब छोटे बड़े 600 अस्पताल व क्लीनिक ने असहयोग आंदोलन के तहत अपनी सेवाएं नहीं दी। आंदोलन में गंभीर मरीजों को परेशानी न हो इसके लिए इमरजेंसी सेवाएं दी गई। बैठक में आंदोलन अन्य बिंदु पर चर्चा की जाएगी। शाम छह बजे तक सेवाएं नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि आयुर्वेदिक डाक्टरों को सर्जरी की अनुमति देना मरीजों के हित में उचित नहीं है। इससे तमाम तरह की जटिलताएं होंगी, जिसका सबसे अधिक नुकसान मरीजों को हुआ । ऐसे में सरकार को इस फैसले पर विचार करने की जरूरत है।
आइएमए की हड़ताल से मरीज परेशान
आइएमए की हड़ताल से ओपीड़ी पूरी तरह ठप रही। केवल इमरजेंसी ओर कोविड के मरीज देखे गए। इससे दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों तथा अन्य जनपदों से आने वाले मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हड़ताल से अनभिज्ञ बहुत से मरीज आकर भटक रहे हैं और बैरंग वापस जाने को विवश हुआ हैं। मेरठ मे करीब 600 छोटे और बडे़ अस्पताल बंद रहे और उन्होंने अपनी सेवाएं नहीं दी।