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रोचक-रोमांचक होगा पश्चिमी उत्तर प्रदेश का चुनाव

प्रायोजित प्रचार में मस्त रालोद-सपा, चुप्पी साधे सेंध लगा रही चुस्त बसपा

By RNI Hindi Desk 
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दीनबंधु कबीर की कलम से

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में खास तौर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश का चुनाव काफी रोचक होने जा रहा है। हर तरफ मीडिया का प्रायोजित शोर सपा-रालोद को लेकर है, लेकिन बसपा किस तरह चुप्पी साधे सेंध लगा रही है, उसे देखना-समझना काफी दिलचस्प है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 21 सीटें ऐसी हैं, जहां भाजपा, बसपा और सपा-रालोद तीनों के उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। इन सीटों पर पिछले चुनाव और जातिगत समीकरण के हिसाब से विश्लेषण करें तो पाएंगे कि इसमें बसपा, सपा-रालोद गठबंधन को बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है। ऐसी चार सीटें हैं जिस पर बसपा और भाजपा का सीधा मुकाबला है। जबकि ऐसी तीन सीटें हैं जहां भाजपा को बसपा से नुकसान हो सकता है। 14 सीटें ऐसी हैं, जहां सपा-रालोद गठबंधन को बसपा से सीधा खतरा है।

बसपा से सीधा मुकाबला

  1. इगलास विधानसभा सीटः बसपा भाजपा की सीधी टक्कर

इगलास विधानसभा सीट पर भाजपा के राजकुमार सहयोगी विधायक हैं। इगलास विधानसभा सीट से चौधरी चरण सिंह की पत्नी और उनकी बेटी भी विधायक रही हैं। इसलिए रालोद ने जाट समाज को अपनी तरफ करने की कोशिश की है। मगर बसपा यहां पिछली बार दूसरे स्थान पर थी। इस बार मुकाबला भाजपा-बसपा में है।

यहां से इस बार के उम्मीदवार हैं, भाजपा के राज कुमार सहयोगी, सपा-रालोद के बीरपाल सिंह दिवाकर और बसपा के सुशील कुमार जाटव। इगलास सीट जाट बाहुल्य है। इस सीट पर करीब 1 लाख जाट वोटर हैं, जबकि ब्राह्मण 80 हजार, अनुसूचित जातियां 50 हजार, बघेल 30 हजार, वैश्य 20 हजार हैं। यहां जाट और ब्राह्मण वोटर जिसकी तरफ होंगे, जीत उसकी होगी। वर्ष 2017 के चुनाव में यहां से भाजपा के राजवीर दिलेर जीते थे। इन्हें, 128000 वोट मिले थे। बसपा के राजेंद्र कुमार को 53200 वोट मिले थे। रालोद के सुलेखा सिंह को 28141 वोट मिले थे और कांग्रेस के गुरुविंदर सिंह को 20934 वोट मिले थे।

  1. छाता (मथुरा) विधानसभा सीटः भाजपा का बसपा से मुकाबला

छाता विधानसभा सीट पर बसपा जाट वोटों के सहारे टक्कर दे रही है। यहां से भाजपा ने मौजूदा विधायक चौधरी लक्ष्मी नारायण को उतारा है, जबकि बसपा ने सोनपाल सिंह जाट को उतारा है। पिछले चुनाव में बसपा तीसरे स्थान पर थी, मगर इस बार कड़ा मुकाबला दे रही है। रालोद पिछली बार चौथे स्थान पर थी। सपा के साथ आने का भी उसे यहां खास फायदा नहीं होगा।

इस बार छाता विधानसभा सीट से भाजपा से चौधरी लक्ष्मी नारायण, सपा-रालोद से तेजपाल सिंह और बसपा से सोनपाल सिंह जाट खड़े हैं। छाता सीट पर जाट 90 हजार, ठाकुर (क्षत्रिय) 70 हजार, ब्राह्मण 45 हजार, जाटव 30 हजार, मुस्लिम 15 हज़ार, गुर्जर 15 हजार, वाल्मीकि 15 हजार, बघेल 15 हजार और अन्य जातियां 50 हजार हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में यहां से भाजपा के चौधरी लक्ष्मी नारायण जीते थे। इन्हें 117537 वोट मिले थे। निर्दलीय अतुल सिंह को 53699 वोट मिले थे। बसपा के मनोज पाठक को 41290 वोट मिले थे और रालोद के ऋषि राज को 9801 वोट मिले थे।

 

  1. गोवर्धन (मथुरा) विधानसभा सीटः भाजपा से बसपा मुकाबिल

गोवर्धन विधानसभा सीट पर पिछली बार बसपा दूसरे स्थान पर रही थी। इस बार कड़ी टक्कर दे रही है। इस सीट पर ठाकुर वोट सबसे ज्यादा हैं। बसपा ने पिछली बार दूसरे स्थान पर रहे राजकुमार रावत पर ही इस बार भी भरोसा जताया है, जबकि भाजपा ने करिंदा सिंह का टिकट काटकर मेघश्याम सिंह को उतारा है। यहां मुस्लिम वोट कम हैं, ऐसे में पिछली बार तीसरे स्थान पर रही रालोद को खास फायदे की उम्मीद नहीं है। इस बार गोवर्धन सीट से भाजपा के मेघश्याम सिंह, सपा-रालोद के प्रीतम सिंह और बसपा के राज कुमार रावत मैदान में हैं। इस सीट पर लगभग 3 लाख 10 हजार मतदाता हैं। जिसमें ठाकुर (क्षत्रिय) 80 हजार, जाटव 40 हजार, ब्राह्मण 50 हजार, जाट 50 हजार, ओबीसी 35 हजार, वैश्य 25 हजार और मुस्लिम 10 हजार हैं। 2017 के चुनाव में यहां से भाजपा के करिंदा सिंह जीते थे। इन्हें 93538 वोट मिले थे। बसपा से राज कुमार रावत को 60529 वोट मिले थे और रालोद के नरेंद्र सिंह को 40999 वोट मिले थे।

  1. खैरागढ़ (आगरा) विधानसभा सीटः भाजपा की भिड़ंत बसपा से

खैरागढ़ (आगरा) विधानसभा सीट पर बसपा का भाजपा से कड़ा मुकाबला होना तय है। क्योंकि पिछले चुनाव में बसपा ने जिस उम्मीदवार को उतारा था, इस बार उसे भाजपा ने चुनाव मैदान में उतारा है। पिछली बार यहां से बसपा के टिकट पर भगवान सिंह कुशवाहा दूसरे स्थान पर रहे थे। इस बार वे भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। जबकि बसपा ने गंगाधर सिंह कुशवाहा को टिकट दिया है। ठाकुर वोटों के साथ ही बसपा का परंपरागत दलित और पिछड़ा वोट मुकाबले को कड़ा और रोचक बना रहा है। इस बार के चुनाव में भाजपा से भगवान सिंह कुशवाहा, सपा-रालोद से रौतान सिंह और बसपा से गंगाधर सिंह कुशवाहा मैदान में हैं। खैरागढ़ विधानसभा में लगभग 3 लाख 9 हजार मतदाता हैं। यहां ठाकुर (क्षत्रिय) 75 हज़ार, ब्राह्मण 65 हज़ार, जाट 20 हज़ार, जाटव 20 हज़ार और मुस्लिम 10 हज़ार हैं। 2017 के चुनाव में यहां से भाजपा के महेश कुमार गोयल जीते थे। इन्हें 93510 वोट मिले थे। बसपा के भगवान सिंह कुशवाहा को 61511 वोट मिले थे। कांग्रेस की कुसुमलता दीक्षित तीसरे स्थान पर रही थीं।

भाजपा को बसपा से नुकसान का खतरा

  1. 1. कैराना विधानसभा सीट: बसपा के ब्राह्मण चेहरे से भाजपा को नुकसान

कैराना विधानसभा सीट पर भाजपा की मृगांका सिंह पिछला चुनाव नाहिद हसन से हार गईं थीं। इस बार भी समीकरण वही हैं। बसपा ने ब्राह्मण चेहरा उतारा है, इसलिए सपा-रालोद की प्रत्याशी नाहिद हसन की बहन इकरा को सीधा फायदा मिलता दिख रहा है। इस बार यहां से भाजपा की मृगांका सिंह, सपा-रालोद की इकरा और बसपा के राजेंद्र सिंह उपाध्याय चुनाव मैदान में हैं। कैराना में मुस्लिम मतदाता ज्यादा हैं। इनमें गुर्जर भी हैं। इनके बाद कश्यप और जाट वगैरह आते हैं। मुस्लिम वोट आपस में नहीं बंटते, तो मुस्लिम कैंडिडेट आसानी से जीत जाते हैं। भले ही वो किसी भी पार्टी से हों। वोट बंटने पर हिंदू जीतता है। यहां कुल वोटर: 2,99,980 हैं। इनमें ब्राह्मण: 11 हजार (3.5%), क्षत्रिय: 4,800, वैश्य: 7,000, मुस्लिम: 1,24,120 (42.19%), गुर्जर: 25 हजार (11%), कश्यप: 34 हजार (11.65%), SC: 36 हजार (12.15%) हैं।

वर्ष 2017 के चुनाव में कैराना से सपा उम्मीदवार नाहिद हसन जीते थे। इन्हें 98830 वोट मिले थे। भाजपा की मृगांका सिंह को 77668 वोट मिले थे। रालोद के अनिल कुमार को 19992 वोट मिले थे। बसपा के दिवाकर देशवाल के 6888 वोट मिले थे।

  1. 2. स्याना (बुलंदशहर) विधानसभा सीट: ब्राह्मण वोटों में बसपा लगा सकती है सेंध

स्याना विधानसभा सीट पर सपा-रालोद ने दिलनवाज खान को उतारा है जो पिछली बार बसपा के टिकट से चुनाव लड़ कर दूसरे स्थान पर रहे थे। यहां मुस्लिम और दलित मतदाता सबसे ज्यादा हैं। भाजपा ने मौजूदा विधायक देवेंद्र सिंह को उतारा है। हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण की उम्मीद लगाए बैठी भाजपा को बसपा के सुनील भारद्वाज से खतरा है। ब्राह्मण चेहरा होने की वजह से भाजपा के वोट बंट सकते हैं। इस बार यहां से भाजपा के देवेंद्र सिंह लोधी, सपा-रालोद के दिलनवाज खान और बसपा के सुनील भारद्वाज चुनाव मैदान में हैं।

बुलंदशहर जिले के स्याना विधानसभा में लगभग 3 लाख 70 हजार मतदाता हैं। स्याना विधानसभा सीट के जातिगत समीकरण के अनुसार यहां मुस्लिम और दलित मतदाता प्रभावी नजर आते हैं। लोधी, ब्राह्मण, ठाकुर और वैश्य मतदाता भी अहम भूमिका में हैं। मुस्लिम 52 हज़ार, जाटव 50 हज़ार, बाल्मीकि 5 हज़ार, लोधी 70 हजार, कश्यप 15 हजार, ब्राह्मण 30 हज़ार, ठाकुर (क्षत्रिय) 45 हजार, वैश्य 10 हज़ार, गुज्जर 17 हजार, जाट 38 हजार, प्रजापति 10 हजार और अन्य 40 हज़ार हैं।

वर्ष 2017 के चुनाव में यहां से भाजपा के देवेंद्र सिंह लोधी 125854 वोट पाकर जीते थे। बसपा के दिलनवाज खान 54224 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर थे। रालोद के ठाकुर सुनील सिंह 22420 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे।

  1. 3. बरौली विधानसभा सीट: पिछड़े वोटों के सहारे बसपा बिगाड़ सकती है खेल

भाजपा ने बरौली विधानसभा सीट से जयवीर सिंह को टिकट दिया है, जो पिछले चुनाव में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे और दूसरे स्थान पर रहे थे। इन्हें मिले 86 हजार से ज्यादा वोटों में बड़ा हिस्सा पिछड़े वोटों का था। यह वोट अगर जयवीर सिंह के साथ नहीं जाते तो उन्हें दिक्कत होगी। रालोद ने प्रमोद गौड़ को उतारा है। मुस्लिम वोटों के साथ ही ब्राह्मण वोट इनके साथ गए तो भाजपा की राह मुश्किल होगी। इस बार यहां से भाजपा के ठाकुर जयवीर सिंह, सपा-रालोद  के प्रमोद गौड़ और बसपा के  नरेंद्र शर्मा उम्मीदवार हैं। यहां लगभग 3 लाख 55 हजार मतदाता हैं। यहां मुस्लिम 30 हज़ार, वैश्य 3 हज़ार, ब्राह्मण 27 हज़ार, ठाकुर (क्षत्रिय) 66 हज़ार, अन्य जनरल 7 हज़ार, जाट 22 हज़ार, कुम्हार 5 हज़ार, लोधी 45 हज़ार, यादव 1 हजार, गड़रिया 20 हजार, कहार 4 हजार, नाई 4 हजार, बंजारा 6 हजार, अन्य पिछड़ी जातियां 3 हज़ार, जाटव 43 हजार, वाल्मीकि 6 हजार, खटीक 10 हजार और धोबी 5 हजार, अन्य अनुसूचित जाति/जनजाति 6 हजार हैं।

वर्ष 2017 के चुनाव में यहां से भाजपा के दलवीर सिंह जीते थे। इन्हें 125545 वोट मिले थे। बसपा के ठाकुर जयवीर सिंह को 86782 वोट मिले थे। कांग्रेस के केशव सिंह को 17238 वोट मिले थे। रालोद के नीरज शर्मा 1829 वोट मिले थे।

सपा-रालोद गठबंधन को बसपा से सीधा नुकसान

  1. शामली विधानसभा सीट: जाट समीकरण में रालोद के लिए वोट-कटवा बन रही बसपा

पिछली बार बसपा ने शामली से मुस्लिम उम्मीदवार उतारा था। इस बार भाजपा ने मौजूदा विधायक तेजेंद्र सिंह निर्वाल और रालोद ने प्रसन्न चौधरी को उतारा है। बसपा ने जाट वोटों में सेंध लगाने के लिए बिजेंद्र मलिक जाट को उतारा है। फायदा भाजपा को होना तय माना जा रहा है। शामली में इस बार भाजपा से तेजेंद्र सिंह निर्वाल, सपा-रालोद से प्रसन्न चौधरी और बसपा से ब्रिजेंद्र मलिक जाट चुनाव मैदान में हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में जाट 70 हजार, मुस्लिम 65 हजार, कश्यप 25 हजार, गुज्जर 20 हजार, ब्राह्मण 12 हजार, वैश्य 30 हजार और दलित 45 हजार हैं। 2017 में यहां से भाजपा के तेजेंद्र निर्वाल जीते थे। उन्हें, 70085 वोट मिले थे। कांग्रेस के पंकज कुमार मलिक को 40365 वोट मिले थे। रालोद के बिजेंद्र सिंह को 33551 वोट मिले थे और बसपा के मोहम्मद इस्लाम को 17114 वोट मिले थे।

  1. बुढ़ाना विधानसभा सीटः मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाएगी बसपा

बुढ़ाना विधानसभा सीट पर रालोद और सपा के मुस्लिम वोट-बैंक में बसपा सेंध लगा रही है। इस सीट पर मुस्लिम वोटर सबसे ज्यादा हैं। सपा से गठबंधन के कारण रालोद को यह वोट मिलने का भरोसा है। बसपा ने मुस्लिम उम्मीदवार उतारा है, ताकि मुस्लिम वोट-बैंक में सेंध लगा सके। इसका फायदा भाजपा को होगा। इस बार यहां से भाजपा के उमेश मलिक, सपा-रालोद के राजपाल बालियान और बसपा के हाजी मोहम्मद अनीश चुनाव मैदान में हैं। बुढ़ाना विधानसभा सीट पर कुल 3,30,066 वोटर हैं। इनमें 1,83,592 पुरुष और 1,46,472 महिला वोटर हैं। इस सीट पर सबसे ज्यादा मुसलमान हैं। यहां मुस्लिम वोट 70,000, जाटव 30,000, जाट 25,765, ब्राह्मण 25,500, गुर्जर 31,800, सैनी 4,432, प्रजापति 2,100, पाल 4,500, कश्यप 28,000, वाल्मीकि 6,900, खटीक 3,200, ठाकुर 21,000, वैश्य 5,200, त्यागी 9,300, लोधी 1,800, उपाध्याय 566, विश्वकर्मा 2,400, सुनार 5,500, कोरी 1,500 और नाई 1,500 हैं। वर्ष 2017 के चुनाव में यहां से भाजपा के उमेश मलिक जीते थे। इन्हें 97781 वोट मिले थे। सपा के प्रमोद त्यागी को 84580 वोट मिले थे। बसपा की सईदा बेगम को 30034 वोट मिले थे और रालोद के योगराज सिंह को 23732 वोट मिले थे।

  1. चरथावल विधानसभा सीटः मुस्लिम वोट बैंक हथिया रही बसपा

चरथावल विधानसभा सीट पर भी बहुजन समाज पार्टी मुस्लिम वोट-बैंक हथियाने की कोशिश में लगी है। इस सीट पर भी मुस्लिम वोटर ज्यादा हैं। रालोद को सपा के इस वोट-बैंक का फायदा मिलने की उम्मीद है। मगर बसपा का मुस्लिम प्रत्याशी वोट हथिया सकता है। इसका फायदा भाजपा को होगा। इस बार यहां से भाजपा की सपना कश्यप, सपा-आरएलडी से पंकज मलिक और बसपा से सलमान सईद चुनाव मैदान में हैं। मुजफ्फरनगर जिले के चरथावल विधानसभा में लगभग 3 लाख 15 हजार मतदाता हैं। चरथावल विधानसभा सीट के जातिगत समीकरण के आधार पर मुस्लिम, चमार, कश्यप, जाट और ठाकुर जाति के वोटर सबसे ज्यादा हैं। मुस्लिम एक लाख, चमार 55 हज़ार, कश्यप 30 हज़ार, जाट 30 हज़ार और ठाकुर 20 हज़ार हैं। 2017 के चुनाव में भाजपा के विजय कुमार कश्यप को 82046 वोट मिले थे। सपा के मुकेश कुमार चौधरी को 58815 वोट मिले थे। बसपा के नूर सलीम राणा को 47704 वोट मिले थे और रालोद के सलमान जैदी को 14442 वोट मिले थे।

  1. पुरकाजी (मुजफ्फरनगर) विधानसभा सीट पर भी बसपा से सपा रालोद को नुकसान

पुरकाजी (मुजफ्फरनगर): विधानसभा सीट से पिछले चुनाव में सपा और रालोद अलग-अलग लड़े थे। तब बसपा के टिकट से लड़े अनिल कुमार तीसरे स्थान पर रहे थे। इस बार सपा-रालोद एक साथ हैं, प्रत्याशी अनिल कुमार हैं। मगर बसपा ने सुरेंद्र पाल सिंह को उतार वोट काटने की रणनीति रखी है। इस बार भाजपा से प्रमोद उटवाल, सपा-रालोद से अनिल कुमार और बसपा से सुरेंद्र पाल सिंह उम्मीदवार हैं। मुजफ्फरनगर जिले के पुरकाजी विधानसभा में लगभग 3 लाख 14 हजार मतदाता हैं। सबसे ज्यादा मुस्लिम, जाट, चमार, गुर्जर और त्यागी मतदाता हैं। करीब एक लाख मुस्लिम, 60 हजार चमार और 25 हजार जाट मतदाता हैं। उनके अलावा यहां पाल, ब्राह्मण, त्यागी और ठाकुर वोटर भी बहुत अधिक संख्या में हैं। 2017 के चुनाव में यहां से भाजपा के प्रमोद उटवाल जीते थे, जिन्हें 77491 वोट मिले थे। कांग्रेस के दीपक कुमार को 66238 वोट मिले थे। बसपा के अनिल कुमार को 46401 वोट मिले थे। रालोद की छोटी को 8227 वोट मिले थे और सपा की उमा किरण को 2570 वोट मिले थे।

  1. खतौली (मुजफ्फरनगर) विधानसभा सीट: बसपा ने उतारा मुस्लिम चेहरा

खतौली (मुजफ्फरनगर) विधानसभा सीट से सपा-रालोद ने सैनी प्रत्याशी उतारा है। सपा-रालोद को उम्मीद है कि चेहरे के आधार पर सैनी वोटों के साथ मुस्लिम वोट-बैंक भी उनके साथ आएगा। बसपा ने मुस्लिम चेहरा उतार इसी रणनीति को काटने की कोशिश की है। इस बार यहां से भाजपा के विक्रम सैनी, सपा-रालोद के राजपाल सिंह सैनी और बसपा के माजिद सिद्दीकी उम्मीदवार बनाए गए हैं। खतौली सीट पर 77 हजार मुस्लिम, 57 हजार चमार, 27 हजार सैनी, 19 हजार पाल और करीब 17 हजार कश्यप वोटर हैं। इनके अलावा यहां गुर्जर, प्रजापति, जाट, ठाकुर और वैश्य वोटर भी अधिक मात्रा में हैं।

2017 के चुनाव में यहां से भाजपा के विक्रम सिंह जीते थे, जिन्हें 94771 वोट मिले थे। सपा के चंदन सिंह चौहान को 63397 वोट मिले थे। बसपा के शिवन सिंह सैनी को 37380 वोट मिले थे और रालोद के शाहनवाज राणा को 12846 वोट मिले थे।

  1. 6. मीरापुर (मुजफ्फरनगर) विधानसभा सीट: बसपा ने पिछड़े वोट खींचे तो सपा को नुकसान

मुजफ्फरनगर जिले की मीरापुर विधानसभा सीट पर मुकाबला कड़ा है। पिछली बार सपा और रालोद अलग-अलग लड़े थे। सपा के प्रत्याशी लियाकत अली हजार से भी कम के अंतर से हारे थे। इस बार रालोद ने चंदन चौहान को उतारा है। सपा के साथ रहने से मुस्लिम वोट भी मिलने की उम्मीद है। मगर यहां समीकरण पिछड़े और जाट वोटों से बनेंगे। ऐसे में बसपा ने अगर पिछड़े वोटों में सेंध लगाई तो नुकसान सपा को होगा। यहां कुल मतदाता 2,73,236 हैं, जिसमें पुरुष 1,49,209 और महिलाएं 1,24,004 हैं। यहां पिछड़ों का 35 प्रतिशत मतदाता है। जाट गुर्जर, झोझा (मुस्लिम), कश्यप व पाल की बिसात बिछती नजर आ रही है। इस बार यहां से सपा-रालोद के चंदन चौहान, भाजपा के प्रशांत गुर्जर और बसपा के मोहम्मद शालिम उम्मीदवार हैं। वर्ष 2017 के चुनाव में यहां से भाजपा के अवतार सिंह भड़ाना जीते थे। उन्हें 69035 वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर सपा के लियाकत अली रहे थे। इन्हें 68842 वोट मिले थे। तीसरे नंबर पर बसपा के नवाजिश आलम खान थे, जिन्हें 39689 वोट मिले थे। रालोद के मिथिलेश पाल चौथे नंबर पर थे, इन्हें 22751 वोट मिले थे।

  1. 7. लोनी (गाजियाबाद) विधानसभा सीट: मुस्लिम वोटों में सेंधमारी करेगी बसपा

गाजियाबाद के लोनी विधानसभा सीट पर रालोद के उम्मीदवार मदन भैया पिछली बार तीसरे स्थान पर रहे थे। तब सपा ने भी अपना उम्मीदवार राशिद मलिक को उतारा था। इस बार सपा रालोद साथ है, लिहाजा मुस्लिम वोटों के भी साथ आने का भरोसा है। यहां मुस्लिम वोट-बैंक ही सबसे बड़ा है। बसपा ने भी मुस्लिम चेहरा उतारा है। बसपा पिछले चुनाव में दूसरे स्थान पर थी। ऐसे में रालोद का खेल बिगड़ सकता है। इस बार लोनी से भाजपा के नंद किशोर गुर्जर, सपा-आरएलडी के मदन भैया और बसपा के हाजी अकील चौधरी मुस्लिम चुनाव मैदान में हैं। लोनी विधानसभा में लगभग 4 लाख 55 हजार मतदाता हैं। सर्वाधिक मत जाट किसान और मुस्लिम वर्ग के हैं। उसके बाद पूर्वांचल के रहने वाले लोग और ब्राह्मण, गुर्जर, त्यागी, दलित, वाल्मीकि और गढ़वाल के अलावा अन्य ओबीसी मतदाता भी शामिल हैं। मुस्लिम 90 हजार, पूर्वांचली 40 हज़ार, गुर्जर 35 हज़ार, ब्राह्मण 30 हज़ार, दलित 30 हज़ार, वाल्मीकि 23 हज़ार, त्यागी 18 हज़ार, वैश्य 15 हज़ार, गढ़वाली 18 हज़ार और अन्य 2 लाख हैं।

वर्ष 2017 के चुनाव में यहां से भाजपा के नंदकिशोर 113088 वोट पाकर जीते थे। बसपा के जाकिर अली 70275 वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे। रालोद के मदन भैया को 42539 वोट और तीसरा स्थान मिला था।

  1. 8. मुरादनगर विधानसभा सीट: मुस्लिम और दलित समीकरण से बसपा बिगाड़ेगी खेल

मुरादनगर विधानसभा सीट पर पिछले चुनाव में बसपा का उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहा था। इस बार पार्टी ने यहां से मुस्लिम चेहरा उतारा है। इससे दलित वोटों के साथ ही मुस्लिम वोटों में भी बसपा सेंध लगा सकती है। रालोद के प्रत्याशी के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है। इस बार यहां से भाजपा के अजीत पाल त्यागी, सपा-रालोद के सुरेंद्र कुमार मुन्नी और बसपा के हाजी अय्यूब इदरीशी चुनाव मैदान में हैं। इस विधानसभा सीट पर जाट मतदाता 55 हज़ार, त्यागी 40 हज़ार, मुस्लिम 45 हजार, ब्राह्मण 40 हज़ार, दलित 45 हजार, पंजाबी 20 हज़ार, यादव 17 हज़ार, वैश्य 25 हज़ार और ओबीसी 75 हजार हैं। वर्ष 2017 के चुनाव में यहां से भाजपा के अजीत पाल त्यागी 140759 वोट पाकर जीते थे। बसपा के सुधन कुमार 51147 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे। कांग्रेस के सुरेंद्र प्रकाश 49989 वोट पाकर तीसरे रहे थे।

  1. 9. धौलाना (हापुड़) विधानसभा सीट: रालोद को नुकसान पहुंचाएगा बसपा का मुस्लिम चेहरा

धौलाना (हापुड़) विधानसभा सीट पर मुस्लिम वोटर सर्वाधिक हैं। उसके बाद ठाकुर वोट हैं। भाजपा ने ठाकुर चेहरे के तौर पर धर्मेश तोमर को उतारा है। पिछली बार बसपा के टिकट पर जीते असलम चौधरी इस बार रालोद के टिकट पर मैदान में हैं। मगर बसपा ने भी मुस्लिम चेहरा ही उतारा है। ऐसे में अगर मुस्लिम वोट बंटा तो फायदा भाजपा को होगा। इस बार यहां से भाजपा के धर्मेश तोमर, सपा-रालोद के असलम चौधरी और बसपा के वासिद प्रधान चुनाव मैदान में हैं। हापुड़ जिले की धौलाना विधानसभा में लगभग 3 लाख 80 हजार मतदाता हैं। यहां मुस्लिम 1 लाख 50 हज़ार, ठाकुर (क्षत्रिय) 70 हज़ार, दलित 50 हज़ार, ब्राह्मण 20 हज़ार, यादव 8 हज़ार, जाट 7 हज़ार और अन्य 45 हज़ार हैं। वर्ष 2017 के चुनाव में यहां से बसपा के असलम चौधरी 88580 वोटों के साथ चुनाव जीते थे। भाजपा के रमेशचंद तोमर 85004 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर थे। सपा के धर्मेश सिंह तोमर 71786 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे।

  1. 10. जेवर (गौतमबुद्ध नगर) विधानसभा सीट: इस बार भी समीकरण बिगाड़ेगी बसपा

गौतमबुद्ध नगर की जेवर विधानसभा सीट पर गुर्जर, मुस्लिम और एससी वोटर सबसे ज्यादा हैं। इसके अलावा ठाकुर समुदाय भी अच्छी पकड़ रखता है। पिछले चुनावों में भाजपा के धीमेंद्र सिंह को गुर्जर, ठाकुर और जाट वोटरों का अच्छा फायदा मिला था। इस बार रालोद ने भाजपा छोड़कर आए अवतार सिंह भड़ाना को टिकट दिया है। यहां 59 प्रतिशत शहरी मतदाता हैं। इनमें बसपा की पकड़ अच्छी है। सपा को नुकसान होना तय है। इस बार यहां से भाजपा के धीरेंद्र सिंह, सपा-रालोद के अवतार सिंह भड़ाना, बसपा के नरेंद्र भाटी डाडा चुनाव मैदान में हैं। यहां ठाकुर मतदाता 60 हजार, गुर्जर 85 हजार, बनिया-वैश्य 20 हजार, एससी 70 हजार, मुस्लिम 85 हजार. जाट 35 हजार और अन्य जातियां 80 हजार हैं।

वर्ष 2017 के चुनाव में यहां से भाजपा के धीरेंद्र सिंह 1,02,979 वोट पाकर जीते थे। बसपा के वेदराम भाटी 80,806 वोट पाकर दूसरे स्थान पर थे। सपा के नरेंद्र नागर 13,239 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर और रालोद के कमल शर्मा 9016 वोट पाकर चौथे स्थान पर रहे थे।

  1. 11. शिकारपुर (बुलंदशहर) विधानसभा सीट: जाट+मुस्लिम समीकरण में सेंध लगाएगी बसपा

बुलंदशहर की शिकारपुर विधानसभा सीट ब्राह्मण बहुल है। मगर जाट व मुस्लिम वोट भी अच्छे-खासे हैं। रालोद को इसी समीकरण पर भरोसा है। मगर बसपा ने यहां से मुस्लिम चेहरा उतार इन वोटों में सेंध की तैयारी कर ली है। इस बार यहां से भाजपा के अनिल शर्मा, सपा-रालोद के किरन पाल सिंह और बसपा के मो. रफीक उर्फ फड्डा चुनाव मैदान में हैं। बुलंदशहर जिले की शिकारपुर विधानसभा सीट में लगभग 3 लाख 10 हजार मतदाता हैं। शिकारपुर विधानसभा सीट के जातिगत समीकरणों के अनुसार यह सीट ब्राह्मण बहुल सीट है। जाट वोटर भी प्रभावी भूमिका में हैं। जबकि दलित, मुस्लिम और ठाकुर वर्ग के वोटर भी अहम माने जाते हैं। शिकारपुर विधानसभा सीट पर ब्राह्मण 45 हजार और जाट मतदाता 42 हजार हैं। वर्ष 2017 के चुनाव में यहां से भाजपा के अनिल कुमार चुनाव जीते थे। इन्हें 1, 01, 912 वोट मिले थे। बसपा के मुकुल उपाध्याय को 51,667 वोट मिले थे। अनिल कुमार पिछला चुनाव बसपा के टिकट पर लड़े थे। दूसरे नंबर पर रहे थे। कांग्रेस के उदय करण सिंह तीसरे नंबर पर थे, उन्हें 32,914 वोट मिले थे। रालोद के मुकेश शर्मा को 7734 वोट मिले थे।

  1. 12. खैर (अलीगढ़) विधानसभा सीट: रालोद-सपा का खेल बिगाड़ सकती है बसपा

अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट पर पिछले चुनाव में सपा और रालोद ने अलग-अलग उम्मीदवार उतारे थे। रालोद तीसरे और सपा चौथे स्थान पर रही थी। बसपा का उम्मीदवार दूसरे स्थान पर था। इस बार सपा-रालोद साथ है। लेकिन बसपा अपना वोट-बैंक बरकरार रखने में कामयाब रही तो भाजपा को ही फायदा होगा। इस बार यहां से भाजपा के अनूप प्रधान वाल्मीकि, सपा-रालोद के भगवती प्रसाद सूर्यवंशी और बसपा के प्रेमपाल सिंह जाटव चुनाव मैदान में हैं। खैर (SC) विधानसभा में लगभग 3 लाख 75 हजार मतदाता हैं। यहां जाट 1 लाख 10 हज़ार, ब्राह्मण 50 हज़ार, जाटव 45 हज़ार, मुस्लिम 25 हज़ार, ठाकुर (क्षत्रिय) 20 हज़ार, गड़रिया 13 हज़ार, वैश्य 13 हज़ार और अन्य 5 हज़ार हैं। वर्ष 2017 के चुनाव में भाजपा के अनूप वाल्मीकि जीते थे। इन्हें 124198 वोट मिले थे। बसपा से राकेश कुमार मौर्य को 53477 वोट मिले थे। रालोद के ओम पाल सिंह को 41888 वोट मिले थे और सपा के प्रशांत कुमार को 7496 वोट मिले थे।

  1. 13. कोल विधानसभा सीट: मुस्लिम वोट बांटने की जुगत में बसपा

2017 में कोल विधानसभा सीट भाजपा ने जीती थी। इस बार भाजपा ने मौजूदा विधायक अनिल पाराशर को ही टिकट दिया है। सीट पर सबसे ज्यादा मुस्लिम वोटर हैं और सपा-रालोद ने यहां से मुस्लिम चेहरा उतारा है। मगर बसपा ने भी इस बार यहां से मुस्लिम चेहरे को ही टिकट दिया है। ऐसे में मुस्लिम वोट बंट सकते हैं, फायदा भाजपा को होगा। इस बार यहां से भाजपा के अनिल पाराशर, सपा-रालोद के सलमान सईद और बसपा के मोहम्मद बिलाल चुनाव मैदान में हैं। यहां लगभग 3 लाख 60 हजार मतदाता हैं। जिनमें मुस्लिम 1.25 लाख, ब्राह्मण 60 हजार, दलित 50 हज़ार, ठाकुर (क्षत्रिय) 50 हज़ार, वैश्य 35 हज़ार, बघेल 13 हज़ार, जाट 13 हज़ार, सिंधी 13 हज़ार और पंजाबी 13 हज़ार हैं। वर्ष 2017 के चुनाव में यहां से भाजपा के अनिल पाराशर जीते थे, जिन्हें 93814 वोट मिले थे। सपा के शाज इशाक उर्फ अज्जू इश्क को 42851 वोट मिले थे। कांग्रेस के विवेक बंसल को 38623 वोट मिले थे। बसपा के राम कुमार शर्मा को 37909 वोट मिले थे।

  1. 14. बलदेव (मथुरा) विधानसभा सीट: बसपा ने चेहरा बदला, इस बार नए समीकरण गढ़ेगी

मथुरा की बलदेव (सुरक्षित) विधानसभा सीट पर पिछले चुनाव में भाजपा जीती थी और रालोद दूसरे स्थान पर रहा था। इस बार भी भाजपा ने मौजूदा विधायक को ही टिकट दिया है। जबकि रालोद और बसपा ने चेहरे बदले हैं। बसपा पिछली बार तीसरे स्थान पर रही थी। इस बार चेहरा बदलकर पिछड़े वोटों का समीकरण बदलने की तैयारी है। इस बार यहां से भाजपा के पूरन प्रकाश जाटव, सपा-रालोद की बबीता देवी और बसपा के अशोक कुमार सुमन चुनाव मैदान में हैं। बलदेव (SC) विधानसभा में लगभग 3 लाख 50 हजार मतदाता हैं। यहां जाट 1 लाख 5 हज़ार, अनुसूचित जाति 60 हज़ार, ब्राह्मण 50 हज़ार, सैनी 40 हजार, बघेल 40 हजार और यादव 40 हजार हैं। वर्ष 2017 के चुनाव में यहां से भाजपा के पूरन प्रकाश जीते थे। इन्हें 88411 वोट मिले थे। रालोद के निरंजन सिंह धनगर को 75203 वोट मिले थे। बसपा के प्रेम चंद को 53539 वोट मिले थे।

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