रिपोर्ट: सत्यम दुबे
बागपत: कोरोना महामारी से बचाव का केवल एक ही उपाय है, और वह उपाय वैक्सीन है। सरकार महामारी को मात देने के लिए तेजी से वैक्सीनेशन करवा रही है। हर दिन लाखों लोगो को कोरोना वैक्सीन दी जा रही है। तो वहीं दूसरी ओर गांवों में अभी भी वैक्सीन को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। पश्चिमी यूपी के कई गांवों में भी टीकों को लेकर लोगों के मन में सवाल खड़े हो रहे हैं। इसमें बागपत जिले में भ्रम फैलने से कोविड के खिलाफ लड़ाई को कमजोर कर रही है। गांवों में कुछ लोगों ने कोरोना वैक्सीन लगवाने के बाद मौत होने जैसी अफवाहें तक उड़ा दी हैं।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से लगभग 60 किलोमीटर दूर बागपत के निवाड़ा गांव, जो मुस्लिम बहुल इलाका है। यहां शरारती लोगों ने टीकाकरण के बाद बुखार और मौत की अफवाह फैला दी है। ग्रामीणों को कोविड के टीके से डर लगने लगा है। स्थानीय निवासी मोहम्मद अली का कहना है कि, ”यहां के लोग टीकाकरण से डरते हैं। कोरोना टीकाकरण के बाद कुछ लोगों ने बुखार आने और मौत की अफवाहें उड़ा दी हैं, जिसकी वजह से लोग झिझक रहे हैं। बहुत से लोगों ने टीकाकरण के लिए रजिस्ट्रेशन भी करवाया है, लेकिन वे पहले अपने शॉट लेने के लिए दूसरे का इंतजार कर रहे हैं ताकि उन्हें किसी भी तरह के दुष्परिणाम के बारे में पता चल सके।”
CMO ने भी इस बात की पुष्टि की है और कहा है कि निवाड़ा सहित कुछ गांवों में टीकाकरण में हिचकिचाहट है। प्रशासन लोगों को उनके टीके लेने के लिए मनाने की कोशिश कर रहा है। सीएमओ डॉ. आरके टंडन ने कहा कि, ”गांवों में कोरोना के टीकों से झिझकने की खबरें हैं। हम ग्रामीणों को समझाने के लिए प्रशासन और धर्मगुरुओं की भी मदद ले रहे हैं। हम किसी को वैक्सीन लेने के लिए मजबूर नहीं कर सकते हैं। हालांकि, अभी तक टीकाकरण अभियान अच्छा चल रहा है। हम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के पुनर्निर्माण पर भी काम कर रहे हैं।”
जबकि सरकार के दावों और तमाम कोशिशों के बावजूद कई गांवों में टीकाकरण की संख्या में कमी है। इसके पीछे एक बड़ी वजह स्वास्थ्य संबंधी इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी होना है। ग्रामीणों का दावा है कि पैरामेडिकल कर्मचारियों ने बहुत पहले सीएचसी का दौरा करना बंद कर दिया था और रख-रखाव के अभाव में, यहां पानी भरने लग गया, जिसके बाद से बिल्डिंग को ऐसे ही छोड़ दिया गया।