रीता बहुगुणा जोशी उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा और कमला बहुगुणा की बेटी हैं। जो पूर्व सांसद थे। उन्होंने एमए पूरा किया और इतिहास में पीएचडी किया है। वह इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मध्ययुगीन और आधुनिक इतिहास में प्रोफेसर भी हैं।
रीता बहुगुणा जोशी उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा और कमला बहुगुणा की बेटी हैं। जो पूर्व सांसद थे। उन्होंने एमए पूरा किया और इतिहास में पीएचडी किया है। वह इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मध्ययुगीन और आधुनिक इतिहास में प्रोफेसर भी हैं।
उन्होंने इलाहाबाद की मेयर बनकर 1995 में राजनीति में प्रवेश किया। वह वर्तमान में उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। वह 2007 से 2012 तक उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्षा थी। 20 अक्टूबर 2016 को, वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गईं।
पार्टी छोड़ने से पहले 24 साल तक वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ थीं। उन्होंने दो बार लोकसभा चुनाव में चुनाव लड़ा लेकिन दोनों बार हार गई। 2012 के विधानसभा चुनावों में, उन्हें लखनऊ छावनी के लिए विधान सभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित किया गया था। उन्होंने पेट्रीस लुमुंबा विश्वविद्यालय के एक यांत्रिक इंजीनियर पी. सी. जोशी से विवाह किया। उनका एक बेटा, मयंक जोशी हैं।
बहुगुणा का परिवार भी राजनीति में सक्रिय है
67 साल की रीता यूपी कांग्रेस की अध्यक्ष रह चुकी हैं। पर 2016 में उन्होंने अमित शाह की मौजूदगी में भाजपा जॉइन कर ली। रीता बहुगुणा इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में इतिहास की प्रोफेसर रह चुकी हैं। हेमवती नंदन यहीं से पढ़े थे। रीता समाजवादी पार्टी की ओर से 1995 से 2000 तक इलाहबाद की मेयर भी रहीं। राष्ट्रीय महिला आयोग की उपाध्यक्ष रह चुकीं रीता ने बाद में अखिल भारतीय महिला कांग्रेस और उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमिटी की कमान भी संभाली। फिर 2007 से 2012 के बीच यूपी कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं और इसी दौरान बसपा प्रमुख मायावती के खिलाफ टिप्पणी करने के चलते उन्हें जेल भी जाना पड़ा। 2012 में उन्होंने लखनऊ कैंट से विधानसभा चुनाव जीता। 2014 में उन्होंने लखनऊ सीट से लोकसभा चुनाव में अपना भाग्य आजमाया लेकिन हार का सामना करना पड़ा। 2017 में वो भाजपा की तरफ से लखनऊ कैंट से उम्मीदवार बनी थीं।
मार्च 2016 में हेमवती के बेटे विजय ने भी भाजपा जॉइन कर ली थी। इलाहाबाद में जन्मे विजय बहुगुणा राजनीति में आने से पहले महाराष्ट्र हाई कोर्ट में जज रह चुके हैं। इस्तीफा देने के बाद उन्होंने इलाहाबाद से राजनीति में कदम रखा. पर बहुत सफलता नहीं मिली. तो वो उत्तराखंड लौट गए। 1997 में उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी का सदस्य बनाया गया। विजय बहुगुणा को 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायणदत्त तिवारी के कार्यकाल में उत्तराखंड योजना आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया।
2004 में वो 14वीं लोकसभा के लिए चुने गए। इसके बाद 2009 में वह 15वीं लोकसभा के लिए टिहरी गढ़वाल लोकसभा सीट से चुन लिए गए। 2012 के विधानसभा चुनाव में राज्य में कांग्रेस की वापसी हुई तो उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया। हालांकि लोकसभा चुनाव 2014 से पहले उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा और उनकी जगह हरीश रावत ने ली। मार्च में उत्तराखंड में कांग्रेस विधायकों के बगावती तेवरों से संवैधानिक संकट खड़ा हुआ तो विजय बहुगुणा ने पार्टी छोड़ दी और भाजपा में शामिल हो गए।
वही, अमिताभ बच्चन ने भी 1984 में इलाहबाद से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा था । उस समय अमिताभ और राजीव गांधी के रिश्ते नई ऊंचाई पर थे । राजीव गांधी ने अपने दोस्त अमिताभ बच्चन को कांग्रेस के टिकट पर इलाहाबाद से चुनाव लड़ने के लिए तैयार कर लिया। अमिताभ बच्चन को इलाहाबाद से कांग्रेस का टिकट मिला और उन्होंने बड़े अंतर से हेमवती नंदन बहुगुणा को हराया। बहुगुणा और अमिताभ के बीच हुए चुनावी संघर्ष के कई दिलचस्प किस्से हैं।
1977 में अगर उत्तर भारत में कांग्रेस का सफाया हुआ था तो कांग्रेस ने 1984 में अमिताभ बच्चन को चुनाव में खड़ा कर उसका बदला लिया था । जब इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उपजी सहानुभूति लहर ने विपक्ष के कई बड़े दिग्गजों को चुनावी अखाड़े में जमीन सुंघा दी थी। ग्वालियर में अटल बिहारी वाजपेयी और माधव राव सिंधिया जैसा ही एक और दिलचस्प चुनावी मुकाबला उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में माटी के लाल हेमवती नंदन बहुगुणा और छोरा गंगा किनारे वाला अमिताभ बच्चन के बीच भी हुआ था।
वही इतिहास एक बार फिर दोहरा रहा है। दअसरल प्रयागराज से भाजपा सांसद रीता बहुगुणा जोशी के बेटे मयंक जोशी ने आज समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया, आजमगढ़ के एक चुनावी रैली में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने उनका पार्टी में स्वागत किया।
रीता बहुगुणा जोशी प्रयागराज से भाजपा की सांसद हैं और पिछ्ले दिनों उनके बेटे की मुलाकात सपा प्रमुख अखिलेश यादव से हुई थी जिसके बाद ये अटकलें लगाई जा रहीं थी कि मयंक जोशी सपा में शामिल हो सकतें हैं। लेकिन खुद मयंक जोशी ने इसका खंडन करते हुए कहा था कि ये बस एक शिष्टाचार मुलाकात है।
हालाँकि आज मयंक ने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया। विधानसभा के चुनाव से पहले ऐसा कहा जा रहा था कि रीता बहुगुणा जोशी अपने बेटे के लिए भाजपा से टिकट मांग रहीं है। गौरतब है कि इस विषय पर खुद रीता बहुगुणा ने कुछ कहा नहीं था। मयंक जोशी के सपा में शामिल होने पर उनकी माँ रीता बहुगुणा जोशी ने अभी कुछ कहा नहीं है।