मेरठ के हस्तिनापुर में रहने वाले रवि के पास एक अज्ञात कॉल आई जिसमें उनके खाते की जानकारी मांगी गई आवेदक ने बैंक कर्मी समझकर खाते की जानकारी दे दी।
जिसके बाद उनके खाते से ₹31990 गायब हो गए। वही मेरठ के एक हाई प्रोफाइल सोसायटी में रहने वाले जयप्रकाश मिश्रा को भी एक अज्ञात कॉल आया।
जिसमें कॉलर ने खुद को बैंक कर्मी बताते हुए डेबिट कार्ड की जानकारी मांगी और उनके खाते से ₹82000 ठग लिए गए ।वही मेरठ के ही रहने वाले शिवम सेठी नाम के शख्स मैं भी साइबरसेल को एक प्रार्थना पत्र दिया।
जिसमें उन्होंने लिखा कि एक अज्ञात व्यक्ति द्वारा ओएलएक्स पर मोटरसाइकिल बेचने के नाम पर उनसे ₹42000 की ठगी कर ली गई।
वही इन प्रार्थना पत्रों की जांच के दौरान जब साइबर सेल में तकनीक का इस्तेमाल किया तो ठगी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाली कंपनी और वॉलेट को विश्वास में लेकर पुलिस ने खाताधारकों को ठगी की रकम वापस करवा दी।
पुलिस अधिकारियों की माने तो इन साइबर ठगों के अंदाज़ को समझकर कर अब पुलिस भी हाईटेक हो गई है।
पुलिस अधिकारियों की माने तो लोगों को किसी भी कीमत पर अपने खाते की कोई भी ऐसी जानकारी नहीं देनी चाहिए जो उन्हें ठगी का शिकार बना दें।
पुलिस ने हाल ही में 2 दिन में हुई इन तीन साइबर फ्रॉड कि घटना का खुलासा करते हुए ₹136000 की रकम पीड़ितों को वापस करवा दी। हालांकि फ्रॉड करने वाले पुलिस की पकड़ से बाहर है।