ताजमहल का दीदार करने वालों की संख्या में इजाफा
नए साल पर अगर आप ताजमहल का दीदार करना चाहते है और आगरा आ रहे है तो यह खबर आपके लिए बेहद खास है। दरअसल, पर्यटन उद्योग को बढ़वा देने के लिए ताजमहल का दीदार करने वालों की संख्या में इजाफा कर दिया गया है।
अब रोजाना 15 हजार सैलानी ताजमहल का दीदार कर सकेंगे। इस नई व्यवस्था को आज रविवार 27 दिसंबर से लागू कर दिया गया है। इस बात का जानकारी आगरा जिले के जिलाधिकारी प्रभु एन. सिंह ने दी है। साथ ही बताया कि ताजमहल के टिकट सिर्फ ऑनलाइन बुक हो सकेंगे।
आपको बता दें कि ताजमहल पर लगी पर्यटकों की कैपिंग सीमा में फिर से बदलाव किया गया है। इससे पहले 10 को भी पर्यटकों की संख्या में बदलाव किया गया था। तो वहीं, आगरा किला में भी सैलानियों की क्षमता अब पांच हजार से बढ़कर साढ़े सात हजार कर दी गई है।
इसके अलावा अन्य किसी मोनुमेंट्स के लिए कैपिंग सीमा में कोई परिवर्तन नहीं किया गया। खबरों के मुताबिक, नए साल पर पर्यटक की संख्या बढ़ने के मद्देनजर प्रशासन ने कोविड-19 समीक्षा के बाद यह निर्णय किया है।
दरअसल, कोरोना वायरस और लॉकडाउन के चलते ताजमहल करीब छह महीने बंद रहा था। सितंबर के महीने में ताम बंदिशों के साथ ताजमहल को पर्यटकों के लिए खोल दिया गया था। पर्यटकों की भीड़ को देखते हुए इसे बढ़ा 10 हजार किया गया।
अब नए साल पर पर्यटक बढ़ने के मद्देनजर प्रशासन ने ताजमहल के टिकटों की संख्या 15 हजार कर दी है। टिकट ऑनलाइन ही मिलेंगे। प्रशासन के इस फैसले पर पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों ने खुशी जाहिर की है।
टिकटों की संख्या बढ़ने से ताजमहल पर सैलानियों की भीड़ उमड़ आई है। ताजमहल पर शनिवार को 8,256 सैलानी आए। दोपहर एक बजे ही पूरे 10 हजार टिकट बुक हो चुके थे।
ताजमहल पर दोपहर एक बजे के बाद पहुंचे ऐसे सैलानी, जिन्होंने ऑनलाइन पहले से टिकट बुक नहीं किया था, वह निराश हुए तो पास के दुकानदारों और एएसआई कर्मचारियों की सलाह पर महताब बाग पहुंच गए। यही वजह रही कि इस साल महताब बाग से सबसे ज्यादा 1112 सैलानियों ने ताजमहल देखा। आगरा किला पर भी सैलानियों की भीड़ रही।
आगरा किला पर 2500 की जगह 4 हजार कैपिंग करने के बाद पहली बार यहां 4041 पर्यटकों ने प्रवेश किया। इनमें से 3040 पर्यटक और 1001 बच्चे शामिल रहे। ताजमहल पर शनिवार को 8256 सैलानी आए, जिनमें से 4161 सैलानियों ने मुख्य गुंबद का 200 रुपये का अतिरिक्त प्रवेश शुल्क लेकर शाहजहां-मुमताज की कब्रें देखीं।
दो साल पहले मुख्य गुंबद पर टिकट लगाया गया था। तब भारतीय सैलानियों में महज 15 फीसदी ही शाहजहां-मुमताज की कब्रें देखने जाते थे, लेकिन अब इनकी संख्या 50 फीसदी तक पहुंच गई है।