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बिजनौर : बेबस मां के आंचल से बच्चों को दूर कर रही है भारत पाक सरहद

By RNI Hindi Desk 
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अब आपको एक ऐसी खबर दिखाते है जिसे देखकर आप भी हैरत मे पड़ जायेंगे l भारत व पाकिस्तान की बंदिशों में जकड़े मां और बच्चे बिछड़ कर रहने को मजबूर हैं। भारत में शादी करने के बाद भी बच्चों की मां को भारत में नागरिकता नहीं मिल पाई है।

इस हालत में मां पाकिस्तान मे तो बच्चे भारत में रह रहे हैं। बच्चों के सिर पर मां के अलावा और कोई साया नहीं बचा हैं। दोनों भाई बहन मां- के साथ रहने को तड़प रहे हैं। पर देखिए इसे अचंभा कहें या दुर्भाग्य दोनों देशों की बंदिशे मां और बच्चों को अलग कर रहे हैंl

बिजनौर के जाने-माने हास्य व्यंग कलाकार राशिद बिजनौरी का 1979 में पाकिस्तान की कराची शहर की रिश्ते की अपनी तहरी बहन नाज़नीन फातिमा उर्फ शबनम से निकाह हुआ। इसके बाद नाज़नीन भारत आ गई। कई साल वे भारत में रही, नाज़नीन को भारत की नागरिकता दिलाने के लिए राशिद बिजनौरी ने एड़ी से चोटी तक के जोर लगाएं, पर उन्हें भारत की नागरिकता नहीं मिल पाई। 26 अक्टूबर 2018 को राशिद बिजनौरी का इंतकाल हो गया।

राशिद बिजनौरी की 35 साल की बेटी रेशमा नकवी युवा 37 साल का बेटा असद नकवी है। रेशमा नकवी ने एम.ए. बीएड से किया है। असद इंटर पास है। 8 अगस्त को दोनों पाकिस्तान से भारत लौट आए। नाज़नीन फातिमा पाकिस्तान के कराची शहर के नाजिमाबाद में अपने पुश्तैनी मकान में रहती हैं। दोनों बच्चे बचपन से पाकिस्तान आते जाते रहे हैं। रेशमा नकवी के मुताबिक तीन तीन माह की एनओसी पर वह पाकिस्तान व उनकी माँ भारत आती जाती रहती हैं।

भारत की नागरिकता नहीं मिल पाने के कारण माँ अब पाकिस्तान में ही रहने को मजबूर है। पिता की लंबी लड़ाई के बाद भी मां को भारत की नागरिकता नहीं मिल पाई। पाकिस्तान की दोनों भाई बहनों को नागरिकता लेने के लिए कड़ी शर्तों से गुजरना होगा। रेशमा नकवी को पाकिस्तान की नागरिकता मिल सकती है। जब यह पाकिस्तान में शादी करें इस बात के लिए रेशमा कतई तैयार नहीं है।

रेशमा व उसका भाई असद नकवी चाहते हैं कि वह भारत में ही रहे दोनों को अपने वतन से बहुत प्यार है। वह इस बात की दुआ कर रहे हैं कि किसी तरह मां को भारत की नागरिकता मिल जाए और वह भारत में ही रहे। रेशमा ने बताया कि वह पाकिस्तान जाते जरूर है पर अपने वतन से उन्हें बहुत लगाव है।

 

 

रेशमा ने बताया कि पाकिस्तान के लोग अपने देश की बात करते हैं। वे तो केवल अपनी मां व उनसे जुड़ी तमाम यादों तक ही नाता रखते हैं। इसके आलावा पाकिस्तान मे उन्हें किसी से नाता नहीं है। तीन मामा में केवल एक मामा ही बचे हैं। पाकिस्तान में उनके ननिहाल का परिवार भी बड़ा है। उनके मामा भी वहां सरकारी नौकरी में है। परिवार के कई लोग अमेरिका व अन्य देशों में नौकरी करते हैं। अब सवाल ये है कि क्या एक बेबस माँ और उसके प्रदेश मे रह रहे दूर अभागे बच्चो को क्या दोनों मुल्क मिलवाएंगे क्या दोनों मुल्क प्रेम कि गंगा बहाएंगे या फिर आपसी विवाद मे इन दोनों परिवारों का भरत मिलाप नहीं होगा।

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