रिपोर्ट: सत्यम दुबे
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में अगले साल विधान सभा चुनाव होने वाले हैं, जिसको लेकर भारतीय जनता पार्टी ने कमर कस ली है। विधान सभा चुनाव की तैयारियां सूबे में पंचायत चुनाव के साथ ही शुरु हो गई थी। पंचायत चुनाव को सभी राजनीतिक पार्टियां सेमीफाइनल के तौर पर देख रही थी। जैसृजैसे दिन बीत रहा है, सूबे में सियासी हलचल तेज होती जा रही है। इस बात को आप इसी से समझ सकते हैं कि बुधवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता जितिन प्रसाद ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है।
जितिन प्रसाद का BJP में शामिल होना सूबे के सियासी समींकरण को ही बदल दिया है। विधान सभा चुनाव से पहले ही कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। जितिन प्रसाद ने बीजेपी मुख्यालय में बुधवार को केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल की मौजूदी में हाथ का साथ छोड़ कमल का फूल थाम लिया। भारतीय जनता पार्टी यूपी चुनाव में जितिन प्रसाद को ब्राहम्ण चेहरे के तौर पर इस्तेमाल कर सकती है। जितिन प्रसाद यूपी में कांग्रेस के चर्चित युवा चेहरों में से एक थे। इसके साथ ही वो राहुल गांधी के करीबी नेताओं में से एक माने जातो थे।
बात करें जितिन प्रसाद के राजनीतिक सफर की तो, उन्होंने अपना राजनीतिक करियर साल 2001 में कांग्रेस के युवा संगठन यूथ कांग्रेस के साथ महासचिव के तौर पर शुरू किया। साल 2004 में उन्होंने अपने गृह जिले शाहजहांपुर से अपना पहला लोकसभा चुनाव जीता। यूपीए सरकार में जितिन को केंद्रीय राज्य इस्पात मंत्री बनाया गया था।
जितिन प्रसाद यूपीए की मनमोहन सरकार में सबसे युवा मंत्रियों में से एक थे। साल 2009 के लोकसभा चुनाव में जितिन प्रसाद, धौरहरा सीट से लड़े और करीब दो लाख वोटों से जीत हासिल की थी। 2009 से 2011 तक वो सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री रहे। 2011-12 में उन्होंने पेट्रोलियम मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली। इसके बाद साल 2012-14 तक जितिन, मानव संसाधन विकास मंत्रालय में राज्यमंत्री भी रहे। साल 2008 में इस्पात मंत्री रहते हुए उन्होंने अपने लोकसभा क्षेत्र में एक स्टील फैक्ट्री भी लगवाई। जितिन प्रसाद का जन्म 29 नवंबर 1973 में यूपी के शाहजहांपुर जिले में हुआ था। दिल्ली विश्वविद्यालय से बीकॉम और फिर एमबीए की बढ़ाई की है।
आपको बता दें कि जितिन के पिता जितेंद्र प्रसाद भी साल 2000 में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए चुनाव में सोनिया गांधी के खिलाफ लड़े थे। लेकिन वो चुनाव हार गए और कुछ ही समय बाद उनका निधन भी हो गया। जितेंद्र प्रसाद ने सांसद रहते हुए सोनिया गांधी के लगातार पार्टी अध्यक्ष बनने का विरोध किया।
एक दौर में जितिन प्रसाद ने ब्राह्मण चेतना परिषद् की स्थापना की थी। वे शुरू से ब्राह्मणों की राजनीति पर फोकस करते रहे हैं। अभी हाल में उन्होंने यूपी के ब्राह्मणों के खिलाफ पुलिसिया कार्रवाई का मुद्दा उठाया था। उनकी अगुवाई में ब्राह्मण कल्याण बोर्ड के गठन की मांग भी उठ चुकी है। अब जब वे बीजेपी में शामिल हो रहे हैं, तो उम्मीद की जा रही है कि बीजेपी से ब्राह्मणों की नाराजगी को दूर की जा सकेगी।
आपको बता दें कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हार मिली और इसके साथ ही साल 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा। हार का सिलसिला 2019 के लोकसभा चुनाव में भी जारी रहा है और उन्हें बीजेपी से करारी हार मिली। खास बात ये है कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस पार्टी ने उन्हें राज्य का प्रभारी नियुक्त किया था, लेकिन वहां कांग्रेस अपना खाता खोलने में नाकाम रही थी। इसके अलावा यूपी पंचायत चुनाव में भी वो अपने इलाके में कांग्रेस को जीत नहीं दिला सके थे। इन सब के बाद वो कांग्रेस में हाशिए पर थे।
जितिन प्रसाद के परिवार को कांग्रेस और देश की राजनीति से पुराना नाता रहा है। जितिन अपनी पीढ़ी के तीसरे नेता हैं, इससे पहले उनके दादा ज्योति प्रसाद कांग्रेस पार्टी के नेता रहे और स्थानीय निकायों से लेकर विधानसभा तक कांग्रेस के नेतृत्व का किया। इसके साथ ही उनके पिता जितेंद्र प्रसाद भी कांग्रेस में बड़े नेता रहे। जितेंद्र प्रसाद, पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और नरसिम्हा राव के राजनीतिक सलाहकार रह चुके हैं।
यूपी में कांग्रेस में जितिन के खिलाफ आवाजें भी उठीं। पिछले साल ही कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर बड़े बदलावों की मांग की थी। इन नेताओं के समूह को जी-23 के नाम से जाना जाता है। चिट्ठी लिखने वालों में से एक प्रमुख नाम जितिन प्रसाद का भी था। प्रदेश इकाई ने चिट्ठी लिखने वाले सभी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी, जिसमें जितिन प्रसाद का खास जिक्र था।
आपको बता दें कि जितिन प्रसाद शाहजहाँपुर ,लखीमपुर तथा सीतापुर में काफी लोकप्रिय नेता माने जाते हैं। जितिन को उत्तर प्रदेश में शांतिप्रिय और विकासवादी राजनीति के लिए भी जाना जाता है। ऐसे में जहां बीजेपी में ही कलह की खबरें सामने आ रहीं हैं, जितिन प्रसाद के पार्टी में शामिल होने से पार्टी ब्राह्मण की नाराजगी दूर करने की कोशिश करेगी।