नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव होने में अभी कई माह शेष है, लेकिन उससे पहले ही उत्तर प्रदेश की राजनीति में उथल-पुथल मचा हुआ है। एक तरफ जहां योगी सरकार अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करने का सोच रही है। वहीं दूसरी तरफ जिस राममंदिर को बीजेपी अपनी सबसे बड़ी कामयाबी मानती है। राम मंदिर के लिए उन्होंने जिस ट्रस्ट की स्थापना की है, उसी ट्रस्ट पर राम मंदिर के लिए खरीदी गई जमीन मामले में भ्रष्टाचार का आरोप लगा है।
आपको बता दें कि ये आरोप आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने लगाई है। उन्होंने जमीन की खरीद में भ्रष्टाचार का दावा किया है। संजय सिंह ने आरोप लगाया है कि श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने दो करोड़ की जमीन साढ़े 18 करोड़ में खरीदी और महज चंद मिनटों में भी पूरे घोटाले को अंजाम दिया गया।
सवाल सिर्फ पांच मिनट में जमीन के दाम में करोड़ों के हेरफेर का नहीं है। सवाल ये भी है कि आखिर ट्रस्ट ने किन वजहों ये जमीन इतने महंगे दामों में खरीदी और इसकी मंजूरी कब और कैसे मिली।
राजनीतिक पार्टियों ने पूछे सवाल…
श्रीरामजन्म भूमि से पूरे देश की आस्था जुड़ी है। ट्रस्ट पर राम मंदिर निर्माण के काम का पूरा जिम्मा है। ऐसे में जमीन के घोटाले के इन आरोपों के साथ इस पर सियासत भी तेज हो गई है और विरोधी इसे रामभक्तों की आस्था का अपमान बता रहे हैं।
दस्तावजों का हवाला देकर ट्रस्ट पर गंभीर आरोप लगाने वाले AAP के संजय सिंह भी पूरे मामले की जांच सीबीआई और ईडी से कराने की मांग कर रहे हैं। सिर्फ आम आदमी पार्टी ही नहीं ट्रस्ट पर जमीन घोटाले के यही गंभीर आरोप पूर्व मंत्री पवन पांडेय ने भी लगाए हैं।
ट्रस्ट महासचिव ने बताया आरोपों को गलत
जमीन खरीद को लेकर लगाए गए आरोपों पर ट्रस्ट की ओर से सफाई भी दी गई। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव और विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के नेता चंपत राय ने आधिकारिक पत्र जारी कर इन आरोपों का खंडन किया है।
उन्होंने कहा है कि वास्तु के अनुसार सुधार के लिए मंदिर परिसर के पूर्व और पश्चिम दिशा में यात्रा को सुलभ बनाने और मंदिर परिसर की सुरक्षा के लिए कुछ छोटे-बड़े मंदिर और गृहस्थों के मकान खरीदने जरूरी हैं। जिनसे मकान खरीदा जाएगा, उन्हें पुनर्वास के लिए जमीनें दी जाएंगी। इस काम के लिए भूमि की खरीदारी की जा रही है।
चंपत राय ने अपने पत्र में कहा कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने अभी तक जितनी जमीनें खरीदी हैं, वह खुले बाजार की कीमत से बहुत कम हैं। लोग राजनीतिक विद्वेष से प्रेरित होकर भ्रम फैला रहे हैं।
गौरतलब है कि अगले साल प्रदेश में चुनाव होने हैं और अक्सर अयोध्या चुनावों में बड़ा मसला बना है। ऐसे में इस वक्त विपक्ष की ओर से इस तरह का आरोप लगाना आने वाले चुनाव में बड़ा मोड़ साबित हो सकता है। बता दें कि राम मंदिर का निर्माण पिछले साल अगस्त में शुरू हुआ था, तब से अबतक लगातार काम जारी है और अभी नींव की भरपाई की जा रही है।