लखनऊ: आईपीएस डॉ. अजयपाल शर्मा और हिमांशु कुमार पर विजिलेंस मेरठ सेक्टर में एंटी करप्शन एक्ट के अंतर्गत FIR दर्ज हो गई है। दोनों अधिकारियों पर ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए गड़बड़ी का आरोप है।
अजयपाल और हिमांशु कुमार के खिलाफ सबूत फोन कॉल और चैट से मिले हैं। साथ ही, दोनों अधिकारियों पर सस्पेंशन की तलवार लटकी हुई है. कथित पत्रकार चंदन राय,स्वप्निल राय और अतुल शुक्ला का नाम भी एफआईआर में शामिल है।
इन सभी पर सरकारी अधिकारी को भ्रष्टाचार के लिए प्रेरित करने का आरोप. बता दें, सभी लोगों पर ‘प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट’ की धारा 8 और 12 में रिपोर्ट दर्ज की गई है।
क्या है पूरा मामला? गौतमबुद्धनगर के एसएसपी रहे वैभव कृष्ण का एक आपत्तिजनक वीडियो वायरल हुआ था, जिसके बाद उन्हें पद से हटा दिया गया था। इस मामले में वैभव कृष्ण ने डीजीपी को पत्र लिख पांच आईपीएस अधिकारियों अजय पाल शर्मा, सुधीर कुमार सिंह, राजीव नारायण मिश्रा, गणेश साहा और हिमांशु कुमार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे।
उन्होंने इस पत्र में अजय पाल और हिंमाशु कुमार के विरुद्ध ट्रांसफर-पोस्टिंग के नाम पर धन उगाही का भी आरोप लगाया था। शुरुआती जांच में सुधीर कुमार सिंह, राजीव नारायण और गणेश साहा के खिलाफ आरोप साबित नहीं हो सके थे। वहीं, अजय पाल और हिमांशु कुमार के खिलाफ पर्याप्त सुबूत पाए गए थे, जिसके आधार पर विजिलेंस जांच की सिफारिश की गई थी।
जनवरी में भ्रष्टाचार का मामला उजागर होने के बाद इन सभी पांचों आईपीएस अफसरों को उनके पदों से हटा दिया गया था। इतना ही नहीं, योगी सरकार ने आरोपों की जांच के लिए डायरेक्टर विजिलेंस के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी ने 14 सितंबर को अपनी जांच पूरी कर ली है और रिपोर्ट शासन को भेज दी थी। सूत्रों के मुताबिक, जांच के दौरान एसआईटी को अजय पाल शर्मा और हिमांशु की कई बेनामी संपत्तियों के बारे में भी जानकारी मिली थी।