भाजपा ने धर्म को धंधा बना दिया: प्रियंका गांधी के सियासी सलाहकार का बड़ा हमला , कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी के राजनितिक सलाहकार और बेबाक सीनियर लीडर आचार्य प्रमोद कृष्णम से आरएनआई न्यूज़ के सीनियर एडिटर डॉ मुमताज़ आलम रिज़वी की मौजूदा उत्तर प्रदेश की सियासत पर ख़ास की बातचीत
नई दिल्ली : प्रश्न : उत्तर प्रदेश की सियासत का रुख़ क्या है कि जब 2022 के शुरू में ही विधानसभा के चुनाव होने हैं ?
उत्तर : देखिये मुमताज़ भाई मुझे लग रहा है उत्तर प्रदेश में भाजपा घबरा रही है। उसकी घबराहट का कारण यह है कि वह जान चुकी है कि उत्तर प्रदेश की जनता ने जो उम्मीदें उनसे की थीं उन पर वह खरा नहीं उतरी। दूसरा यह है कि जो जो वादे किये थे, जिसकी बुनियाद पर बहुत प्रचंड बहुमत से भाजपा की सरकार बनाई, तो उत्तर प्रदेश की जनता को ऐसा लग रहा है इन्होने वादा ख़िलाफ़ी की है। यह बात भाजपा और सपोर्टिंग आर्गेनाईजेशन आरएसएस को पता चल गई है कि उत्तर प्रदेश की जो अवाम है वह भाजपा से खुश नहीं है। अब देखते हैं , फ़ैसला तो उत्तर प्रदेश की जनता को करना है।
प्रश्न : बिलकुल ठीक बात है कि भाजपा से लोग खुश नहीं हैं तो फिर जनता किससे खुश है और किस की तरफ़ जाएगी यह एक सवाल है ?
उत्तर : सवाल है और इसका जवाब मैं दे भी सकता हूँ लेकिन अभी जवाब देना मुनासिब नहीं है। क्यूंकि सारी सियासी पार्टियां अपना अपना दांव लगा रही हैं। इसमें से कांग्रेस भी लगा रही है। अखिलेश यादव जी मेहनत कर रहे हैं। योगी आदित्यनाथ जी बहुत मेहनत कर रहे हैं। उनके साथ पूरी भाजपा लगी हुई है। सुनने में आया है कि उत्तर प्रदेश के जो छोटे छोटे इलाक़े हैं उनको मरकज़ी हुकूमत के जो वज़ीर हैं उनको दिया जा रहा है। बड़े बड़े लीडर आ रहे हैं तो पूरी ताक़त झोंकने का इरादा भाजपा का है। होना भी चाहिए। कांग्रेस पार्टी भी कोशिश कर रही है। उसका कहना है कि हम 32 साल से उत्तर प्रदेश की हुकूमत से बाहर हैं और इन 32 बरसों में जो सूरत ए हाल वह ख़राब है। बद से बदतर हुई है। यहाँ जाति के नाम पर सियासत हुई, धर्म के नाम पर सियासत हुई। यहाँ अगड़े पिछड़ों की सियासत, तो समाज को लगातार डिवाइड करने का जो खेल शुरू हुआ तो वह इन बत्तीस बरसों में हुआ।
प्रश्न : क्या भाजपा को लगता है कि उसको वोट सिर्फ़ मंदिर के नाम पर ही मिल सकता है ? अब मथुरा का मामला उठा दिया है। इससे क्यूं नहीं निकल पा रही है भाजपा ?
उत्तर : देखिये सियासी पार्टियां वही दिशा अपनाती हैं कि जिस दिशा में आगे जाकर उन्हें कुर्सी मिलती है। यह एक बुनियादी बात है। भाजपा को पूरे मुल्क की सियासत में अगर ताक़त मिली है, पॉवर मिली है तो वो धर्म की राजनीति के आधार पर मिली है। तो उनको अगर कुर्सी मिलती है राम के नाम से, कृष्ण के नाम से, गंगा के नाम से, गाय के नाम से, संतों के साथ रहकर तो फिर वह उस पॉलिटिक्स को कैसे छोड़ें? उनका तो जन्म सिद्ध अधिकार है कि धर्म को धंधा बनाकर उन्होने कुर्सी पाई है।
प्रश्न : अगर ऐसा है तो फिर जो अभी पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर बड़े बड़े जहाज़ उतारे उसकी क्या ज़रूरत थी ?
उत्तर: देखिये भाजपा का जो चेहरा है वह हाथी के दांत जैसा है। दिखाने का और है खाने का और है। दिखाते हैं ये विकास का मॉडल, और असली जो इनका मॉडल है वह अभी धीरे धीरे आपको देखने को मिलेगा। जैसे जैसे इलेक्शन नज़दीक होगा , तो इलेक्शन विकास के नाम पर नहीं, भाषण विकास के नाम पर होगा, इलेक्शन होगा हिंदुस्तान पाकिस्तान, तालिबान, अफ़ग़ानिस्तान, हिन्दू मुसलमान , यह सब होगा। (जारी है)