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एमसीडी का वित्तीय वर्ष 2022-2023 निराशजनक : आतिशी

MCD's financial year 2022-2023 disappointing: Atishi; कॉर्पोरेशन के चुनाव को लेकर 'आप' के हमले तेज़। एमसीडी बजट पर उठायें है सवाल।

By RNI Hindi Desk 
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मुमताज़ आलम रिज़वी

नई दिल्ली : कॉर्पोरेशन के चुनाव जैसे जैसे नज़दीक आ रहे हैं दिल्ली प्रदेश की हुक्मरा पार्टी ‘आप’ ने हमले तेज़ कर दिए हैं। आप ने आज एमसीडी के बजट पर भी सवाल उठायें हैं और इसको निराशजनक क़रार दिया है। आप’ विधायक आतिशी ने एमसीडी के वित्तीय वर्ष 2022-2023 के बजट को निराशाजनक बताया है। आतिशी ने कहा कि नॉर्थ एमसीडी ने आज एक ऐतिहासिक बजट प्रस्तुत किया है, जिसमें बजट को घटा दिया गया है और टैक्सेस बढ़ा दिए गए हैं। 2021-22 में जो बजट 7330 करोड़ था, अब वह घटकर 5802 करोड़ हो गया है। प्रॉपर्टी टैक्स को 2% से बढ़ाने का प्रस्ताव है और शुरुआती दाखिले के लिए मिलने वाली छूट को 15% से घटाकर 10% कर दिया है।

2021-22 में सफाई की व्यवस्था के लिए जहां तकरीबन 1570 करोड़ का बजट आउटले था उसको एमसीडी ने 300 करोड़ रुपए से घटा दिया। भाजपा की एमसीडी पूरी दुनिया में पहली सरकार होगी जिसका बजट हर साल बढ़ने की बजाय कम होता जा रहा है। भाजपा शासित एमसीडी का यह बजट स्पष्ट करता है कि वह दिल्ली की जनता पर पैसे खर्चना नहीं चाहती बल्कि उनसे ज्यादा से ज्यादा पैसा ऐंठना चाहती है। बजट में हर पार्षद का फंड 1 करोड़ जबकि कॉन्ट्रैक्टर्स के कई भुगतान लंबित हैं। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल की सरकार ने 2015 के 30,000 करोड़ के बजट को 5 साल के अंदर-अंदर दुगना कर दिया और 60,000 करोड़ तक पहुंचा दिया।

आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता और विधायक आतिशी ने गुरुवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित किया। आतिशी ने कहा कि  आज एमसीडी में वित्तीय वर्ष 2022-2023 का बजट प्रस्तुत किया गया है। जो भाजपा शासित एमसीडी ने आज यह बजट प्रस्तुत किया है, यह भाजपा के 15 साल के शासन की तरह बहुत ही निराशाजनक है। आज जो बजट नॉर्थ एमसीडी ने प्रस्तुत किया है, उसने दिल्ली की जनता के सामने यह स्पष्ट कर दिया है कि नॉर्थ एमसीडी ने जो कुशासन पिछले 15 साल में किया है उसको सुधारने का भाजपा का कोई इरादा नहीं है।

अगर आप आज का बजट देखेंगे, तो जहां 2021-22 में 7330 करोड़ रुपए का नॉर्थ एमसीडी का बजट प्रस्तुत किया गया था, 2022-23 में उसे घटाकर 5802 करोड़ रुपए का प्रस्तुत किया गया है। मेरा ऐसा मानना है कि हमारे देश के इतिहास में नॉर्थ एमसीडी पहली ऐसी सरकार होगी, जिसने बजट को एक साल से दूसरे साल में घटाया है। वर्ना अगर आप राज्य सरकारों, केंद्र सरकार और स्थानीय सरकारों को देखिए जो अलग-अलग माध्यम से अपना राजस्व, अपना इनफ्लो बढ़ाते हैं। कोई थोड़ा कम बढ़ाता है, कोई थोड़ा ज्यादा बढ़ाता है लेकिन राजस्व को बढ़ाया जाता है कि अलग-अलग प्रकार की नीतियों को ज़मीनी स्तर पर उतारा जा सके।

उन्होंने कहा कि लेकिन भाजपा ने आज अपने कुशासन का प्रमाण इसमें दे दिया है। उन्होंने ऐसा ऐतिहासिक बजट आज प्रस्तुत किया कि 2021-22 से लेकर 2022-23 के बीच में बजट 7330 करोड़ से घटकर 5802 करोड़ पर आ गया है। न सिर्फ इतना, अगर एक तरफ आप बजट कम करते हैं, आप अलग-अलग नीतियों पर आउटलेट कम करते हैं लेकिन दूसरी तरफ फिर हम उम्मीद करते हैं कि अगर बजट कम हुआ होगा तो टैक्सेस भी कम होंगे। लेकिन टैक्सेस को बढ़ा दिया जाता है। जो प्रॉपर्टी टैक्स पर प्रस्ताव आज भाजपा शासित नॉर्थ एमसीडी ने प्रस्तुत किए हैं, उसमें प्रॉपर्टी टैक्स को 2% से बढ़ाने का प्रस्ताव है और जो शुरुआती दाखिले के लिए 15% की छूट मिलती रहती है प्रॉपर्टी टैक्स में, उसको घटाकर 15% से 10% कर दिया है।

आतिशी ने प्रश्न उठाते हुए कहा कि तो मैं यह पूछना चाहती हूँ कि यह कैसा बजट है जो एक तरफ टैक्स को बढ़ा रहा है लेकिन दूसरी तरफ बजट को और आपके आउटफ्लो को जो अलग-अलग नीतियों के लिए होना है, जो ज़मीनी स्तर पर काम करने के लिए होना है उस बजट को कम कर दिया जाता है। तो यह तो ऐसा लग रहा है कि भाजपा शासित एमसीडी ने यह सोच लिया है कि कैसे दिल्ली की जनता से ज्यादा से ज्यादा पैसा लिया जाए। अपनी जेब को भरा जाए और दिल्ली की जनता पर कम से कम पैसा खर्च किया जाए।उन्होंने कहा कि अगर आप एमसीडी की ज़िम्मेदारियां देखिए तो एमीसीडी की सबसे महत्तवपूर्ण ज़िम्मेदारी है साफ-सफाई और आज दिल्ली की जनता, दिल्ली में गंदगी जितनी है उससे सबसे ज्यादा त्रस्त है।

अभी कुछ दिन पहले, भाजपा की केंद्र सरकार का जो स्वच्छता सर्वेक्षण आता है तो उसमें दिल्ली की तीनों एमसीडी सबसे खराब रैंकिंग पर आती हैं। जो नॉर्थ एमसीडी है उसकी रैंक पिछले साल तो कम थी ही, वह 43वें नंबर पर थे, लेकिन इस साल इन्होंने सोचा कि इससे भी नीचे आ जाते हैं, हम 45वें नंबर पर आ जाते हैं। जो स्वच्छता की रैंकिंग में अपने इतने निचले स्तर से भी नीचे आ गई, तो हम दिल्ली की जनता होने के नाते क्या अपेक्षा कर रहे थे। हम यह अपेक्षा कर रहे थे कि स्वच्छता रैंकिंग से नॉर्थ एमसीडी की सरकार को थोड़ा तो झटका लगा होगा। थोड़ा तो उस स्तर ने इन्हें झकझोरा होगा कि वह अपनी सफाई की व्यवस्था को दुरुस्त करें।

नॉर्थ दिल्ली की जनता ने यह उम्मीद की थी कि इस बार नॉर्थ एमसीडी में ज्यादा साफ-सफाई होगी। उसके लिए जितना बजट आवंटन साफ-सफाई को किया जाता है वह आवंटन बढ़ाया जाएगा, चाहे मशीनें खरीदनी हों, चाहे सफाई कर्मचारी लगाने हों। लेकिन मेरे ख्याल से भाजपा शासित एमसीडी ने 45वें नबंर से भी और नीचे आने की योजना बनाई है। क्योंकि 2021-22 में सफाई की व्यवस्था के लिए जहां तकरीबन 1570 करोड़ का बजट आउटले था उसको 300 करोड़ रुपए घटा दिया है। और इस साल सिर्फ 1270 करोड़ का आउटले साफ-सफाई की व्यवस्था के लिए किया है। तो जहां हम उम्मीद कर रहे थे, दिल्ली की जनता उम्मीद कर रही थी कि साफ-सफाई पर ज्यादा खर्चा होगा, रैंकिंग बढ़ाने के लिए प्रयास होगा। लेकिन ऐसा लग रहा है कि नॉर्थ एमसीडी ने सोचा है कि नंबर एक पर आना है। लेकिन ऊपर से नहीं बल्कि नीचे से नंबर 1 पर आने का भाजपा शासित नॉर्थ एमसीडी प्लान बना रही है।

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