इसरो साल 2022 तक भारत के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन पर गगनयान को भेजने की तैयारी में जोर-शोर से जुट गया है। इस अभियान का मकसद भारतीय गगनयात्रियों को अंतरिक्ष यात्रा पर भेजकर उन्हें सुरक्षित वापस लाना है।
इसे लेकर इसरो के चेयरमैन के. सिवन ने बताया कि अंतरिक्ष यात्रा के कुल 12 में से पहले चार कैंडिडेट्स का चयन हो चुका है और वे रूस में इसी महीने की आखिर से इसकी ट्रेनिंग करेंगे। इसके साथ ही के.सिवन ने यह भी बताया कि ये सभी वायुसेना के टेस्ट पायलट हैं और इनकी पहचान गुप्त रखी जा रही है।
इस अभियान के लिए चयन किए गए लोगों का असली काम कुछ दिनों बाद शुरू होगा। अंतरिक्ष यात्रियों को गुरूत्वाकर्षण का भार महसूस होता है। उन्हें पृथ्वी पर 1 किलो का गुरूत्वाकर्षण भार महसूस होता है। जबकि उड़ान और दोबारा पृथ्वी पर वापसी के दौरान कई गुना ज्यादा महसूस होता है। उन्हें भारहीनता के क्षेत्र में प्रवेश करने पर मोशन सिकनेस को बर्दाश्त करना पड़ता है। क्योंकि गुरूत्वाकर्षण क्षेत्र बदलने पर रक्त का प्रवाह प्रभावित होता है। ऐसे में अगर ट्रेनिंग नहीं मिले तो इंसान बेहोश हो सकता है।
बेहद कम गुरूत्वाकर्षण, अलगाव और स्थितिभ्रम को हैंडल करना अंतरिक्ष यात्रियों को ट्रेनिंग का अहम हिस्सा होता है। इशके लिए भारत में इंस्टिट्यूट ऑफ एयरोस्पेश मेडिसिन और रूस के यूए गागरिन ऐंड टेस्ट कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में कई सिम्युलेटर्स काम कर रहे हैं। क्योंकि गुरूत्वाकर्षण क्षेत्र में आने वाले बदलाव से पैदा हुए परिस्थितियों को सहन करने की क्षमता निर्माण के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को सेंट्रीफ्यूजेज आधारित सिम्युलेटर्स में रखा जाएगा।
आपको बता दें की भारत उन देशों में सुमार है जिसने सेंट्रीफ्यूज तैयार किया है। आईएएम ने सेंट्रीफ्यूज बनाया है जो उच्च गुरूत्वाकर्षण बल तैयार करता है। गागरिन सेंटर में भी इस तरह के दो सेंट्रीफ्यूज हैं। गागरिन सेंटर का भारहीन वातावरण अभ्यास केंद्र या हाइड्रो लैब में पानी में नकली भारहीनता की स्थितियां पैदा की जाती है। जहां बाह्य अंतरिक्ष मे ऐस्ट्रोनॉट की मदद के साथ-साथ कई अन्य ट्रेनिंग दी जाती है। यहां गगनयात्रियों को सबी सिस्टम और नेविगेशन, थर्मल कंट्रोल, ऑर्बिट मकैनिक्स एवं अर्थ ऑब्जर्वेशन जैसी चीजों से परिचित होना पड़ता है।
इसरो और भारतीय वायुसेना की चाहत होगी कि गगनयात्रियों को मिली ट्रेनिंग का इस्तेमाल कभी नहीं करना पड़े और सारे सिस्टम योजना के मुताबिक काम करें। हलांकि, आवश्यक गतिविधियों और आपातकालीन परिस्थितियों के लिए ट्रेनिंग की दरकार होती है।
गगनयात्रियों को जीव विज्ञान, भौतिकी और चिकित्सा शास्त्र के सामान्य जानकारी की जरूरत भी होती है। इन सबकी ट्रेनिंग लेने के बाद गगनयात्रियों को गगनयान में इस्तेमाल किए जाने वाले सिस्टम्स से परिचित होना होगा। इसके लिए IAM कुछ विशेषज्ञों की मदद से खास मॉड्युल्स तैयार करेगा।