
नई दिल्ली : देश में बढ़ते कोरोना महामारी के बीच एक बार फिर कई राज्यों में लॉकडाउन और नाइट कर्फ्यू का सिलसिला शुरू हो गया है। जिसे लेकर मुंबई से लोगों ने पलायन भी शुरू कर दिया हैं, उन्हें आशंका है कि कहीं एक बार फिर मुंबई की स्थिति पिछले साल की तरह ना हो जाएं। आपको बता दें कि विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा दुबारा क्षेत्रों में लॉकडाउन या नाइट कर्फ्यू लगाने से कई कंपनियां फिर बंद होने की स्थिति में है।
वहीं दूसरी तरफ आरबीआई ने लोगों को राहत देते हुए रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया है। जिससे रेपो रेट पहले की तरह 4% और रिवर्स रेपो रेट 3.35% पर ही रहेगा। इसके साथ ही आरबीआई गवर्नर ने साल 2021-22 के लिए 10.5% जीडीपी का अनुमान जताया है। आपको बता दें कि आरबीआई प्रत्येक दो महीनों पर अपना मौद्रिक नीति पेश करता है, जिसमें उन्होंने ये अनुमान जताया है।
मौद्रिक नीति पेश करते हुए आरबीआई गवर्नर ने कहा कि, “कोरोना के बावजूद देश की आर्थिक स्थिति सुधर रही है। जिस तरह से मामले बढ़े हैं, उससे थोड़ी अनिश्चितता बढ़ी है। लेकिन भारत चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार है।” बता दें कि इससे पहले 5 फरवरी को पेश हुए मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया था। उस वक्त भी रेपो रेट 4% और रिवर्स रेपो रेट को 3.35 फीसदी पर बरकरार रखा था।
वहीं इस बारे में बाजार एक्सपर्ट का भी कहना था कि मुद्रास्फीति बढ़ने, सरकार के महंगाई लक्ष्य के दायरे को पूर्ववत बनाये रखने (दो प्रतिशत घटबढ के साथ चार प्रतिशत पर) तथा कोविड-19 संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति के मामले में नरम रुख अपनाते हुये यथास्थिति बनाये रख सकता है।
रेपो रेट क्या है?
रेपो रेट वह रेट होता है, जिस दर पर आरबीआई कमर्शियल बैंकों और दूसरे बैंकों को लोन देता है। रेपो रेट कम होने का मतलब होता है कि अब बैंक से मिलने वाले सभी तरह के लोन सस्ते हो जाएंगे। इससे आपकी जमा पर ब्याज दर में भी बढ़ोतरी हो जाती है।
रिवर्स रेपो रेट
रिवर्स रेपो रेट वह रेट है, जिस दर पर आरबीआई बैंको को उनके जमा पूंजी के आधार पर ब्याज देता है। आपको बता दें कि बैंकों के पास जो अतिरिक्त कैश होता है उसे रिजर्व बैंक के पास जमा करा दिया जाता है।
अगर हम देश में कोरोना महामारी को आंकड़ों की बात करें तो, पिछले 24 घंटों में भारत में #COVID19 के 1,15,736 नए मामले आने के बाद कुल पॉजिटिव मामलों की संख्या 1,28,01,785 हुई। 630 नई मौतों के बाद कुल मौतों की संख्या 1,66,177 हो गई है। जिससे देश में सक्रिय मामलों की कुल संख्या 8,43,473 है और डिस्चार्ज हुए मामलों की कुल संख्या 1,17,92,135 है।