रायसीना डायलॉग के दूसरे दिन देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) ने आतंकवाद को लेकर कहा कि, दुनिया को आतंकवाद से मुक्ति दिलाने के लिए आतंकवादियों और उनका साथ देने वालों पर कड़ी कार्रवाई करनी होगी। जनरल रावत ने कहा कि आतंकवाद को अमेरिका के तरीके से ही परास्त किया जा सकता है। इस कार्यक्रम में उन्होंने देश में लोगों को कट्टर बनाए जाने औऱ कश्मीर में पैलेट गन के इस्तेमाल जैसे गंभीर सवालों के भी जवाब दिए।
कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि, हमें आतंकवाद को खत्म करना होगा औऱ ऐसा सिर्फ उसी तरीके से किया जा सकता है जो तरीका अमेरिका ने 9/11 के हमले के बाद अपनाया था। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक युद्ध छेड़ दिया था।
सीडीएस रावत ने कहा कि, आतंकवाद के खात्मे के लिए आतंकवादियों के साथ-साथ उन सभी को अलग-थलग करने की जरूरत है जो आतंकवाद की फंडिंग या फिर उसका बचाव करते हैं। इन्हें भी दंडित करना होगा। उन्होंने आतंकवादी संगठनों के साथ शांति समझौतों के बारे में कहा कि ऐसे समझौतो में अमन-चैन सुनिश्चित करने की गारंटी ली जानी चाहिए। जनरल रावत ने कहा कि, आपको (अफगानिस्तान में) सभी के साथ शांति समझौता करना है। तालिबान हो या आतंकवाद में संलिप्त कोई भी संगठन उन्हें आतंक के मंसूबे को त्यागना होगा, उन्हें मुख्यधारा की राजनीति में आना ही होगा।
रायसीना डायलॉग के दौरान एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि लोगों को कट्टर बनाने वालों की पहचान कर उनपर कार्रवाई करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि स्कूल, यूनिवर्सिटी से लेकर धार्मिक स्थलों तक में कट्टरता का पाठ पढ़ाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वे कौन लोग हैं जो लोगों को कट्टर बना रहे हैं। स्कूलों, विश्वविद्यालयों में, धार्मिक स्थलों में ऐसे लोगों का एक समूह है जो कट्टरवाद फैला रहे हैं। आपको सबसे पहले उन्हें पकड़ना होगा और उन्हें अलग-थलग करने की जरूरत है।
सीडीएस जनरल विपिन रावत ने कहा कि, जम्मू-कश्मीर में लोगों को कट्टर बनाया गया। 12 साल के लड़के-लड़कियों को भी कट्टरता का पाठ पढ़ाया जा रहा है। इनलोगों को धीरे-धीरे कट्टरता से दूर किया जा सकता है। इसके लिए डीरैडिकलाइजेशन कैंप बनाना होगा।