आज प्रधानमंत्री मोदी जी ने छात्रों के साथ परीक्षा पर चर्चा की है, तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित इस प्रोग्राम में छात्रों को परीक्षा के तनाव से बचने के कई टिप्स दिए जिसमें उन्होंने चंद्रयान 2 का जिक्र भी किया, पीएम मोदी ने चंद्रयान-2 का उदाहरण देकर छात्रों को बताया कि कैसे विफलता से निपटा जाए।
इस कार्यक्रम का मकसद यह सुनिश्चित करना था कि छात्र तनावमुक्त होकर आगामी बोर्ड एवं प्रवेश परीक्षाएं दें, इस कार्यक्रम में करीब 2,000 छात्रों ने भाग लिया, जिनमें से 1,050 छात्रों का चयन निबंध प्रतियोगिता के जरिए किया गया।
आपको बता दे कि चंद्रयान 2 इसरो का एक महत्वपूर्ण मिशन था जो आखिर समय पर अपना मकसद पूरा करने में विफल रहा और उसी को आधार बनाकर एक उदाहरण पेश करते हुए पीएम मोदी ने बच्चों को निराश ना होनें के टिप्स दिये है।
पीएम मोदी ने कहा कि चंद्रयान-2 जब सही तरह से लैंड नहीं कर पाया तो आप सब निराश हुए थे। मैं भी निराश हुआ था। मैं आज सीक्रेट बताता हूं। कुछ लोगों ने मुझे बताया था कि मोदी जी आपको उस कार्यक्रम में नहीं जाना चाहिए था। इस कार्यक्रम की निश्चितता नहीं थी।
उन्होंने कहा कि अगर यह फेल हो गया तो….इसके बाद मैंने कहा कि इसीलिए तो मुझे जाना चाहिए। मैं उस वक्त वैज्ञानिकों का चेहरा देख रहा था। अचानक मुझे ऐसा लगा कि कुछ तो गलत हुआ है। फिर वैज्ञानिकों ने बताया कि चंद्रयान-2 मिशन फेल हो गया।
इसके बाद मैंने वैज्ञानिकों को चिंता न करने की बात कह कर होटल चला गया। लेकिन मैं चैन से नहीं बैठा। सोने का मन नहीं कर रहा था। पीएमओ की टीम अपने कमरे में चली गई थी। मगर मेरा मन नहीं मान रहा था। मैंने फिर सबको बुलवाया। मैंने कहा कि सुबह हम देर से नहीं जाएंगे। क्या ये वैज्ञानिक सुबह आठ बजे-नौ बजे इकट्ठा हो सकते हैं क्या। मैं खुद को नहीं समझा सकता था। इसलिए मैंने सुबह वैज्ञानिकों से मिला।
अपने वैज्ञानिकों से भाव व्यक्त किया। उसके बाद माहौल बदल गया। उसके बाद आपने सब देखा जो हुआ। हम विफलताओं मैं भी सफलता की शिक्षा पा सकते हैं। हर प्रयास में हम उत्साह भर सकते हैं और किसी चीज में आप विफल हो गए तो उसका मतलब है कि अब आप सफलता की ओर चल पड़े हो।
चंद्रयान 2 के बाद सही मायनों में देश के वैज्ञानिकों ने जो जोश और जज़्बा दिखाया उससे हम बहुत कुछ सीख सकते है और यही बात आज प्रधानमंत्री मोदी जी ने बच्चों को सिखाई है।