ज्यादा चीनी के खाने से मस्तिष्क में रासायनिक क्रियाएं होने से सेरेटोनिन का स्राव हो सकता है, जिससे स्वभाव में चिड़चिड़ापन, अवसाद जैसे लक्षण आते हैं। इसमें सुक्रोज बचता है, इसकी अधिक मात्रा शरीर के लिये नुकसानदायक होती है।
नोएडा: ज्यादा चीनी के खाने से मस्तिष्क में रासायनिक क्रियाएं होने से सेरेटोनिन का स्राव हो सकता है, जिससे स्वभाव में चिड़चिड़ापन, अवसाद जैसे लक्षण आते हैं। इसमें सुक्रोज बचता है, इसकी अधिक मात्रा शरीर के लिये नुकसानदायक होती है। अधिक मात्रा में चीनी का इस्तेमाल वसा से ज्यादा नुकसान करती है। इससे मधुमेह की दिक्कत होती है।
ज्यादा इस्तेमाल करने से वजन बढ़ सकता है। चीनी या इससे बनी चीजें खाने के बाद मुंह साफ करना चाहिए। ये दांतों की सुरक्षा कवच को नुकसान पहुंचाती है। अधिक मात्रा में लेने में स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती है।
चीनी की बजाय मिनरल्स, विटामिन्स युक्त गुड़, शहद, खजूर, फलों का रस, फलों का प्रयोग करना चाहिए। इनके इस्तेमाल से रक्त में ग्लूकोज का स्तर तेजी से नहीं बढ़ता है। 10 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए खाने से ली गई ऊर्जा में शक्कर। दूध, फल और सब्जी में मौजूद शक्कर से किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता है।
चीनी चार प्रकार की होती है। ग्रनुलेटेड (दानेदार) चीनी कुकीज़, केक, पाई, आइसक्रीम बनाने में प्रयोग की जाती है। कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम और आयरन से भरपूर ब्राउन शुगर रोग प्रतिरोधकता व पाचन सही रखता है। चिपचिपी ब्राउन शुगर को रिफाइंड नहीं किया जाता है। ब्राउन शुगर की तरह और महंगी शुगर को आइसक्रीम सॉस और ब्रेड पुडिंग में प्रयोग होता है। कन्फेक्शनर शुगर मक्का स्टार्च के साथ रिफाइंड दानेदार चीनी का पाउडर के रूप में होता है।