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सब्जी किसानों पर दोहरी मार, लॉक डाउन में सब्जी नही बिकने पर आर्थिक तंगी से जूझ रहा किसान,

By RNI Hindi Desk 
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मां शाकुम्भरी का वरदान है कि सहारनपुर जनपद के बेहट और मिर्जापुर क्षेत्र के घाड क्षेत्र में सब्जी की पैदा वार अच्छी होती है।

तभी तो यहां शाक का वरदान देने वाली सिद्ध पीठ मां जिसने दैत्यो का संहार किया था। अपने भक्तो को वरदान दिया था कि इस भूमि पर शाक-सब्जी का उत्पादन भरपूर होगा।

लेकिन आज भी माता का आशीर्वाद कम नही हुआ और शाक-सब्जी का उत्पादन भी भरपूर मात्रा मे हुआ है लेकिन अफसोस की बात यह कि सब्जी उत्पादक होने के बाद भी किसान भूखे मरने को मजबूर हैं।

आपको बता दें कि बेहट के घाड़ क्षेत्र में लोगों के पास फल- सब्जी उत्पादन के अलावा अन्य कोई रोजगार ना होने के कारण उनका जीवन इसी पर निर्भर हैं उनकी जीविका इसी फल- सब्जी के उत्पादन पर चलती है घाड़ क्षेत्र में सब्जी उत्पादन में कमी नहीं, लेकिन खरीदार कोई न होने के कारण अब किसान क्या करें सब्जीयो का।

इतना ही नही किसान सब्जियों को लेकर नई मंडी में भी गए थे। लेकिन लगता भी सही न मिलने के कारण कुछ सब्जी वही को छोड़कर वापस काली हाथ आने को मजबूर हो गए। उनको कहना है कि क्या करें जितना पैसा गांव से लेकर मंडी तक जाने में लगता है उतना पैसा भी नही मिल पा रहा है .

इसलिए जो सब्जी बेचने के लिए लेकर मंडी में गए थे उसको वही छोड़कर आने को मजबूर होना पड़ा है अब तो हालात यह है कि कई किसानो को अपने परिवार के साथ भूखे मरने की नौबत आ गई है उनकी माने तो लोक डाउन के बाद अब खरीदार ना मिलना उनकी सबसे बड़ी समस्या है .

जिसके चलते वह अब बैंक से कर्जा कैसे चुकाए जो पैसा मिलता है वह मजदूरों को देने में ही चला जाता है। ऐसे मे वह अपना परिवार कैसे पाले, कैसे कर्जा चुकाये।

किसानों का कहना है कि यदि उन्हें सरकार से कोई राहत ना मिली तो वह अपने परिवार के साथ मरने के लिए मजबूर हो जाएंगे वही एक किसान का तो यह भी कहना है कि 500000 का बैंक का कर्जा है ऐसे में जब सब्जिया ही नहीं बिक रही है कोई खरीदार ही नहीं है तो वह मजदूरों को पैसे दे अपना परिवार चलाएं या फिर बैंक का कर्जा उतारे।

अब क्या करें यह उनकी समझ में नहीं आ रहा है। उन्होंने बताया कि बड़े शौक से सब्जियों की उत्पादन का काम शुरू किया था और मुनाफा भी मिल रहा था।

लेकिन इस बार तो दो वक्त की रोटी के भी लाले पड़ गए हैं सब्जी बेचने जाते हैं तो कभी पुलिस के डर के कारण रास्ते में ही छोड़ कर आना पड़ता है।

तो नहीं सब्जी मंडी मे जाते हैं तो वहां इतना कम दाम उन्हें मिलता है कि वह सोचते हैं जितनी सब्जी दिखाई दी गई बाकी सब छोड़कर बहाना पड़ता है क्योंकि उस सब्जी को लाने के लिए जो मजदूरी उन्हें देनी पड़ती है वह उनके पास ही नहीं होती .

ऐसे में वह अपनी दो वक्त की रोटी का पैसा भी अब सब्जी बेचकर नहीं निकाल पा रही हैं सब्जी उत्पादकों ने ऐसे हालात में सरकार से राहत देने की मांग की है।

वहीं इस पूरे म मामले पर जिलाधिकारी अखिलेश सिंह का कहना है कि यह बात सही है कि लोग डाउन के चलते जो सब्जी उत्पादक हरियाणा और उत्तराखंड में सब्जियों की सप्लाई करते थे इस बार नहीं कर पाए .

लेकिन जल्दी ही लोग डाउन में छूट मिलेगी और तब वह इस घाटे को मुनाफे में तब्दील कर पाएंगे उन्होंने कहा कि इस बार लोग उनके अलावा भी ओलावृष्टि के चलते फसलों को नुकसान पहुंचा है इसका आंकलन वह करा रहे है .

अब देखना यह है कि मां शाकंभरी देवी के आशीर्वाद से फलीभूत यह फल पट्टी घाड़ क्षेत्र जहां केवल फल और सब्जी के उत्पादन पर ही किसान निर्भर करता है ऐसे में सरकार इन्हें जीवित रखने के लिए क्या सुविधा मुहैया कराते हैं।

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