मुमताज़ आलम रिज़वी
नई दिल्ली: क़ुरआन मजीद की 26 आयतों पर ऊँगली उठाने वाले और उनको हटाने की वकालत करने वाले वसीम रिज़वी अब सनातनी हो गए हैं। आज की बड़ी ख़बर है कि सेंट्रल शिया वक्फ़ बोर्ड उत्तर प्रदेश के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने गाजियाबाद के शिव शक्ति धाम स्थित डासना देवी मंदिर में आज सनातन धर्म ग्रहण कर लिया। यह प्रक्रिया यति नरसिंहानंद गिरि महाराज के माध्यम से धार्मिक रीति-रिवाज से पूर्ण हुई। वसीम रिज़वी ने सबसे पहले वैदिक मंत्रों के साथ मां काली की पूजा की और उसके बाद उनका शुद्धिकरण हुआ। उन्हें जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी नाम दिया गया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि धर्म परिवर्तन की यहां कोई बात नहीं है। जब मुझे इस्लाम से निकाल दिया गया, तब यह मेरी मर्जी है कि मैं किस धर्म को स्वीकार करूं। सनातन धर्म दुनिया का सबसे पहला धर्म है और उसमें इतनी अच्छाइयां हैं, इंसानियत है कि हम समझते हैं कि इतनी किसी और धर्म में नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि इस्लाम को हम धर्म समझते ही नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जब हमें इस्लाम से निकाल दिया गया तो हर जुमे के बाद हमारा सर काटने के लिए कहा जाता है। दूसरी जानिब अखिल भारतीय हिन्दू महा सभा के राष्ट्रिय अध्य्क्ष स्वामी चक्रपाणि महाराज ने बयान जारी करते हुए वसीम रिज़वी की जमकर वकालत की है। उन्होंने अपने बयान में कहा है कि ”पूर्व मुस्लिम धर्मगुरु वसीम रिजवी साहब का हिंदू सनातन धर्म स्वीकार करना स्वागत योग्य, अखिल भारत हिंदू महासभा, संत महासभा उनका स्वागत करती है, वसीम रिजवी साहब अब हमारे हिंदू सनातन धर्म के अंग है कोई भी कट्टरपंथी उनके खिलाफ फतवा जारी करने के लिए दुसाहस ना करें ,केंद्र ,प्रदेश सरकार उन्हें उचित सुरक्षा मुहैया कराए।”
ख़ैर चक्रपाणि जी ने जो कहा सब ठीक है लेकिन अब लोगों की तरफ़ से कहा जा रहा है कि स्वामी जी को यह ज़रूर मालूम होना चाहिए वसीम रिज़वी धर्म गुरु नहीं हैं। लोगों का कहना है कि ”पहुंची वहीँ पे ख़ाक जहाँ का ख़मीर था”, यह बात ख़ानदान नहीं बल्कि मतलब परस्ती के एतबार से कही जा रही है।