Those things of Bharat Ratna Atal Bihari Vajpayee that you have not heard till date; भारत आज मना रहा है अपने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का 97वां जन्मदिन । अटल बिहारी वाजपेयी के अनजाने किस्से। भारत रत्न से सम्मानित हो चुके अटल बिहारी वाजपेयी।
नई दिल्ली : भारत आज अपने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का 97वां जन्मदिन मना रहे है। इस अवसर पर कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे है। लेकिन हम यहां आपको किसी सरकार के कामों की नहीं बल्कि अटल बिहारी वाजपेयी की वो बातें बताएंगे, जिसे न आपने पहले कभी सुना होगा और न कभी पढ़ा होगा। आपको बता दें कि इनके मुरीद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू भी थे, जिन्होंने इनके प्रधानमंत्री बनने की भविष्यवाणी की थी।
आपको बता दें कि वाजपेयी का जन्म 25 दिसम्बर 1924 को ग्वालियर में हुआ था। उनका जन्मदिन 25 दिसम्बर “गुड गवर्नेंस डे” के रूप में मनाया जाता है। वह तीन बार भारत के प्रधानमंत्री रहे. अटल बिहारी वाजपेयी भारत के 10वें पूर्व प्रधानमंत्री हैं। साल 1996 में वह 13 दिन के लिए प्रधानमंत्री बने। इसके बाद 1998 से 1999 में 13 महीने के लिए और 1999 से 2004 के दौरान उन्होंने अपना पूरा कार्यकाल पूरा किया। वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सदस्य थे और भारतीय जनता पार्टी की नींव रखने वाले सदस्यों में से एक थे। वाजपेयी को साल 1992 में पदमा विभूषण और साल 2015 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया। वह 16 अगस्त 2018 को इस दुनिया को अलविदा कह गए।
अटल बिहारी वाजपेयी मूल रूप से उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा जिले के प्राचीन स्थान बटेश्वर के रहने वाले थे, जो उनका पैतृक गांव था। इसलिए अटल बिहारी वाजपेयी का पूरे ब्रज सहित आगरा से खास लगाव था। इनके पिता का नाम पण्डित कृष्ण बिहारी वाजपेयी था, जो ग्वालियर में अध्यापक थे। वहीं उनकी माता का नाम कृष्णा वाजपेयी था। जो हिन्दी व ब्रज भाषा के सिद्धहस्त कवि भी थे।
वाजपेयी जी ने अपनी हाई स्कूल की शिक्षा सरस्वती शिक्षा मंदिर, गोरखी, बाड़ा, विद्यालय से प्राप्त की इसके बाद उन्होंने स्नातक की शिक्षा लक्ष्मीबाई कॉलेज से पूरी की और विधि स्नातक की डिग्री उन्होंने कानपुर में स्थित डीएवी (DAV) कॉलेज से अर्थशास्त्र विषय में ली। अटल जी छात्र जीवन से ही राजनीतिक तथ्यों से संबंधित वाद विवाद में हिस्सा लेना पसंद करते थे और वे हमेशा ऐसी प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहते थे। आगे चलकर सन् 1939 अपने छात्र जीवन में उन्होंने स्वयंसेवक की भूमिका भी निभाई। उन्होंने हिंदी न्यूज़ पेपर में संपादक (Editor) का काम भी किया।
आपको बता दे की वाजपेयी जी ने कभी शादी नहीं की उन्होंने दो बच्चियों को गोद लिया था जो बीएन कॉल की बेटियां नमीता और नंदिता थी। ऐसा कहा जाता है कि बीएन कॉल उनकी गर्लफ्रेंड थी, जो उनकी पहली चाहत थी। आजादी की लड़ाई में वे अनेक नेताओं के साथ मिलकर लड़े। फिर हमारे देश के लिए अत्यंत दुःख भरा दिन रहा, जब 16 अगस्त 2018 को दिल्ली के एम्स अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। यह दिन हमारे देश की सभी देशवासियों के लिए अत्यंत क्षति वाला दिन था। हमारे देश ने एक महान राजनेता को खो दिया। आज भी अटल जी द्वारा दिए गए भाषण, लिखी गयी किताबें, कविताओं और प्रधानमंत्री के तोर पर किये गए कामों आदि द्वारा उन्हें सम्मान के साथ याद किया जाता है।
सन् 1942 में अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी राजनीतिक जीवन के सफर शुरू किया था। जैसा की आप सभी को पता होगा उस समय भारत छोड़ो आंदोलन जोर शोर से चल रहा था और इसी दौरान उनके भाई को इस आंदोलन में गिरफ्तार कर लिया गया था। इनके भाई को 23 दिनों के लिए जेल कारावास में रहना पड़ा था, उसके बाद उन्हें रिहा कर दिया गया था। उसी समय उनकी मुलाकात श्यामा प्रसाद मुखर्जी से हुई और उनके आग्रह करने पर उन्होंने भारतीय जनसंघ पार्टी को ज्वाइन कर लिया। भारतीय जनसंघ पार्टी का गठन सन् 1951 में हुआ था।
इसके बाद सन् 1957 में जनसंघ पार्टी द्वारा अटल बिहारी वाजपेयी को अपने उम्मीदवार के तौर पर उत्तर प्रदेश जिले के बलरामपुर लोकसभा सीट से इलेक्शन के लिए टिकट दी गयी और अटल ने लोकसभा चुनाव में अपनी पहली जीत दर्ज की। इसके बाद उनकी उपलब्धि को देखते हुए उन्हें पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया। अटल जी 2 साल तक मोरारजी देसाई की सरकार में वर्ष 1977 से 1979 तक विदेश मंत्री रहे जिससे हमारे देश की प्रति विदेशों में एक विश्वासी देश की पृष्ठभूमि तैयार करने में उनका बहुत योगदान रहा।
इसके बाद सन् 1980 में अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी एक पार्टी का गठन किया जो थी भारतीय जनता पार्टी और 06 अप्रैल 1980 को अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला। लोकसभा चुनाव सन् 1996 में भारतीय जनता पार्टी का देश भर में पहला विजय चुनाव रहा। इस चुनाव से बीजेपी ने देश में पहली बार अपनी सरकार को स्थापित किया और मात्र 13 दिनों के लिए 06 मई से 21 जून 1996 तक देश के दसवें प्रधानमंत्री के रूप में अटल जी ने शपथ ली।
13 दिनों तक ही सरकार चलने के बाद अटल जी की सरकार गिर गई और फिर सन् 1988 में सरकार गिरने के 2 साल बाद पार्टी सत्ता में आई और 19 मार्च 1998 में अटल जी ने दूसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली और फिर 10 अक्टूबर 1999 को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद के लिए शपथ ली।
सबसे पहले अटल बिहारी वाजपेयी जी ने प्रधानमंत्री रहते हुए राजस्थान के पोखरण में सन् 1998 में 11 मई और 13 मई को पांच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट करके हमारे देश को परमाणु शक्ति संपन्न देश बनाया। यह एक साहसिक कदम था, जिससे हमारे देश को अलग ही पहचान मिली। भारत देश का यह परमाणु परिक्षण इतनी गोपनीयता से किया गया था की पश्चिमी देशों की आधुनिक तकनीक भी नहीं पकड़ पायी थी। परमाणु परिक्षण के बाद कुछ देशों ने अनेक प्रतिबंध भी लगाये परन्तु अटल जी ने इन सब चीज़ों की परवाह न करते हुए आगे बढ़े और हमारे देश को नई आर्थिक विकास की ऊँचाईयों तक ले गए।
अटल जी ने 19 फरवरी 1999 में दिल्ली से लाहौर तक की बस सेवा शुरू की, जिसे सदा-ए-सरहद का नाम दिया गया। बस सेवा शुरू कर के दोनों देश के बीच आपसी रिश्ते में सुधार लाने की पहल की और उस समय उन्होंने पाकिस्तान का दौरा भी किया और वहां के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज़ सरीफ से मुलाकात भी की।
कुछ समय बाद पाकिस्तानी सेना प्रमुख परवेज़ मुसर्रफ की शह पर पाकिस्तानी सेना और आतंकवादियों द्वारा कारगिल क्षेत्र में घुसपैठ शुरू कर दी और कई पहाड़ की चोटियों पर अपना कब्ज़ा कर लिया। तब जवाबी कार्यवाही में अटल बिहारी जी की सरकार ने ठोस कदम उठाएं और भारतीय सेना को खुला समर्थन दिया। जिससे कि हमारी सेना ने पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ दिया और उन्हें धूल चटा दी।
अटल बिहारी वाजपेयी जी ने ही भारत के सड़क मार्ग को जोड़ने का काम चारों कोनों से किया है। इसमें दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और मुंबई जैसे प्रमुख शहरों को राजमार्गों से जोड़ने का काम किया गया जिसे स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना का नाम दिया गया और अभी तक अटल बिहारी वाजपेय जी की सरकार ने ही सबसे ज्यादा सड़के बनवाई है।
अटल जी की सरकार में 100 वर्ष से भी पुराने कावेरी जल विवाद को सुलझाया गया।
कई समितियों और आयोगों का गठन किया गया जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा समिति, आर्थिक सलाह समिति, व्यापार एवं उद्योग समिति आदि।
राष्ट्रीय राजमार्गों एवं हवाई अड्डों का विकास किया गया।
नयी टेक्नोलॉजी, विद्यतीकरण को गति देना, दूरसंचार को बढ़ावा देना आदि।
ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा करना और विदेशों में बसे भारतीयों के लिए बिमा योजना को शुरू किया।
अर्बन सीलिंग एक्ट समाप्त कर आवास निर्माण को प्रोत्साहन दिया।
नई टेलीकॉम नीति और कोकण रेलवे की शुरुआत की। इनके कार्यकाल में टेलीकॉम क्षेत्र और रेलवे विभाग विकास की नई ऊँचाईयों को छुआ।
अटल बिहारी वाजपेयी जी को हमेशा से ही एक साफ छवि के नेता के तौर पर देखा जाता रहा है और रहेगा भी। पंरतु इसके साथ कुछ विवाद भी जुड़े है। इसमें सबसे पहले बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले का नाम लिया जाता है। जिस वक्त बाबरी मजिस्द को गिराया गया था, उस वक्त विपक्ष के कई नेताओं द्वारा अटल जी की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए गए थे। क्योंकि इस मजिस्द के खिलाफ उस वक्त बीजेपी के कई नेताओं द्वारा रैली निकाली गई थी।
दूसरा विवाद कंधार प्लेन हाईजैक से जुड़ा है। यह बाद 24 दिसंबर 1999 की है, तब काठमांडू से दिल्ली से उड़े एक विमान को हथियारबंद आतंकियों द्वारा हाईजैक कर लिया था। तब विमान में 176 यात्रियों और 15 क्रू मेंबर्स की जान बचाने के लिए तीन आतंकी: मसूद अजहर, उमर शेख और अहमद जरगर को रिहा करना पड़ा था। इस मामले को लेकर अटल जी कड़ी निंदा हुई थी। विपक्ष का कहना था की यदि सरकार सूझबूझ से काम लेती तो विमान यात्रिओं की जान आतंकियों को छोड़े बिना भी बचायी जा सकती थी।
तीसरा मामला उनपर कारगिल युद्ध को लेकर भी सवाल उठाये जाते थे।
अटल जी के पास कुल 2 मिलियन डॉलर की संपत्ति है। इसके अलावा अटल जी का दिल्ली के ईस्ट ऑफ कैलाश इलाके में एक फ्लैट भी है, जिसकी कीमत करोड़ रुपए में है।