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गुजरात की तर्ज पर वाराणसी में भी होगी ‘दुग्ध क्रांति’, मिलेंगे कई लोगों को रोजगार; जानें कब तक पूरी होगी यह योजना

There will be a 'milk revolution' in Varanasi on the lines of Gujarat, many people will get employment; गुजरात की तर्ज पर वाराणसी में भी होगी 'दुग्ध क्रांति'। पीएम मोेदी ने किया प्लांट का शिलान्या। वाराणसी और आस-पास के लोगों के मिलेगा रोजगार।

By Amit ranjan 
Updated Date

नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले पीएम मोदी ने वाराणसी को एक और बड़ी सौगात दी है, वो है ‘अमूल प्लांट’ का। जिससे पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में आने वाले समयों में ‘दुग्ध क्रांति’ आ सकती है। इससे जहां एक तरफ कई लोगों को रोजगार मिल सकता है, वहीं दूसरी तरफ वाराणसी के आस-पास के क्षेत्रों का भी तेजी से विकास हो सकता है।

डेढ़ से दो साल में बनकर तैयार हो जाएगा यह प्लांट

आपको बता दें कि पीएम मोदी ने गुरूवार को अमूल प्लांट का शिलान्यास रख दिया है, जिसका निर्माण पिंडरा ब्लॉक के इंडस्ट्रियल एरिया करखियांव में होगा। आपको बता दें कि यह प्लांट 475 करोड़ के लागत से बनेगा, जिसे तैयार होने में  तकरीबन डेढ़ से दो साल लग जाएंगे। बता दें कि इस प्लांट के निर्माण से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करीब 1 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। इससे किसानों (Farmer) की हेल्थ और वेल्थ दोनों में सुधार होगा।

प्लांट से 50 किलोमीटर तक के गांव को होगा फायदा

वाराणसी के इस प्लांट से 50 किलोमीटर तक के गांव जुड़ जाएंगे। वहीं प्लांट के शुरू होने के बाद कंपनी की ओर से गांवों में दुग्ध कलेक्शन सेंटर भी खोले जाएंगे। हर गांव में दूध समिति बनाए जाने के साथ ही इस परियोजना में दूध के अलावा आइसक्रीम, पनीर, खोवा, मक्खन का भी उत्पादन होगा।

750 लोगों को फैक्टरी में मिलेगी नौकरी

फैक्ट्री में करीब 750 लोगों को प्लांट में प्रत्यक्ष रूप में रोजगार मिलेगा और करीब 2,350 लोग फील्ड में अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ेंगे। पूर्वांचल के किसानों, गोपालको समेत अन्य करीब 1 लाख लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप रोज़गार पाएंगे। 120 किलोमीटर के दायरे में चिलिंग सेंटर खुलेगा। कंपनी हर गांव में दूध कलेक्शन सेंटर खोलेगी। इसके लिए हर गांव में दुग्ध क्रय समिति बनाई जाएगी। जो स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसेस के तहत दूध खरीदेंगी. निर्धारित समय पर कंपनी की गाड़ी से दूध का कलेक्शन किया जाएगा। इस प्लांट के खुलने से प्रति व्यक्ति आय बढ़ेगी। किसानों की आय दोगुनी करने में मदद मिलेगी। इस प्लांट में दूध के अलावा आइसक्रीम, पनीर, खोवा, घी, मक्खन का भी उत्पादन किया जाएगा।

किसानों को होगा तुरंत भुगतान

इस प्लांट में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी का प्रयोग किया जाएगा। मसलन, जैसे ही किसान अपने गांव में मंडली को दूध देगा, उसके मोबाइल में ये सूचना मिल जाएगी कि दूध कितना है, इसमे फैट कितना है आदि जानकारियां। दूध देने के पांच मिनट के भीतर उसके एकाउंट में भुगतान हो जाएगा। दूध प्लांट तक लाने वाली गाड़ियां जीपीएस से लैस होगी, जिसके जरिए लगातार उनकी लोकेशन से जुड़ी सारी जानकारियां मिलेंगी।

प्लांट में अत्याधुनिक मशीनों से होगा दूध का उत्पादन

प्लांट में लेटेस्ट अत्याधुनिक मशीनों से दूध का उत्पादन होगा। भविष्य में अच्छे नस्लों के पशुओं के लिए कंपनी कृत्रिम गर्भाधान की व्यवस्था करेगी। इससे अधिक दुग्ध उत्पादन हो सके। कंपनी की ओर से दुग्ध उत्पादकों को उच्च गुणवत्ता वाला पशु आहार भी उपलब्ध कराया जाएगा। प्लांट के खुलने से पूर्वांचल ख़ास तौर पर वाराणसी में कुछ ख़ास मौकों पर दूध कि कमी अब नहीं पड़ेगी। मिलावाट खोरों पर भी लगाम लगेगा।

अमूल कंपनी का इतिहास

आपको बता दें कि अमूल एक सहकारी दुग्ध उत्पाद कंपनी है। AMUL का पूरा नाम आनंद मिल्क यूनियन लिमिटेड है। इसकी स्थापना 1946 में स्वतंत्रता सेनानी त्रिभुवनदास पटेल के सहयोग द्वारा की गई। दरअसल, 1940 के दशक में गुजरात में व्यापारियों द्वारा दूध उत्पादक किसानों का खूब शोषण किया जाता था। उस वक़्त की मुख्य डेयरी पोलसन के एजेंटों द्वारा कम दामों में किसानों से दूध खरीदकर महंगे दामों में बेचा जा रहा था।

इस समस्या से निजात दिलाने के लिए किसानों ने वहां के स्थानीय नेता त्रिभुवनदास पटेल से संपर्क साधा। उन्होंने अपने लोगों के साथ सरदार वल्लभ भाई पटेल से मुलाकात की। सरदार पटेल ने समाधान करने के लिए मोरारजी देसाई को गुजरात भेजा। उन्होंने हालात का जायजा लिया। फिर साल 1945 में बॉम्बे सरकार ने बॉम्बे मिल्क योजना शुरू की।

इसके बाद देश को दूध उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने और किसानों की दशा सुधारने के लिए कई प्रयास किए जाने लगे। 14 दिसंबर 1946 में त्रिभुवन दास पटेल के प्रयासों द्वारा अहमदाबाद से 100 किमी दूर आणंद शहर में खेड़ा जिला सहकारी समिति की स्थापना की गई। प्रत्येक गांव के सदस्य दूध इकट्ठा करके खेड़ा जिले में भेजते थे।

श्वेत क्रांति से रहा गहरा संबंध

1970 के दशक में शुरू हुई श्वेत क्रांति से देश में काफी बदलाव आया। श्वेत क्रांति को ऑपरेशन फ्लड के नाम से भी जाना जाता है। जिसका जनक भारत के मिल्कमैन डॉ वर्गीज कुरियन को माना जाता है। अमूल के मॉडल की सफलता के कारण ही भारत दुनिया में सबसे बड़े दूध उत्पादक के रूप में उभरा। इसके साथ ही किसानों की स्थिति को सुधारने में मदद मिली थी। श्वेत क्रांति के बाद ही साल 1975 में दूध और दूध से बने प्रोडक्ट्स के आयात को बंद कर दिया गया।

दरअसल, भारत अब दूध उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर हो गया था। अमूल डेयरी का मॉडल काफी मशहूर हुआ और पूरे देश में सफलता की बुलंदियों को छूने लगा। अमूल देश की पहचान बन गया। जिसकी सफलता का श्रेय डॉ वर्गीज कुरियन को जाता है। उनके विचार “सहयोग से काम करना और सबके साथ काम करना” ने वो चमत्कार कर दिखाया जो आसान नहीं था। उनके अथक प्रयासों की बदौलत अमूल कंपनी देश की नंबर वन डेयरी बन गई।

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