केंद्र सरकार द्वारा लाये गए 3 कृषि कानून को लेकर देश भर में आक्रोश देखने को मिल रहा है। देश में नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध देखने को मिल रहा है। नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान पिछले एक महीने से ज्यादा वक्त से दिल्ली बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं।
किसानों की ओर से नए कृषि कानूनों का विरोध किया जा रहा है। वहीं कई राजनीतिक पार्टियां भी इन कानूनों का विरोध कर रही हैं। जबकि सरकार किसनो से बात करने की कोशिश कर रही है।
वही किसान अपनी मांग पर अड़े है की इस कानून को वापिस लिया जाए, वही सरकार यह साफ़ कर चुकी है कि वह कृषि कानून को वापस नहीं लेगी, बल्कि इस कानून में संशोधन किया जाए। किसान सरकार की बात सुनने के लिए तैयार नहीं है।
आप को बता दे कि राहुल गाँधी और कांग्रेस पार्टी अकसर विभिन्न मुद्दों को लेकर निशाना साधते रहते हैं। कोरोनो वायरस, किसान आंदोलन, अर्थव्यवस्था सहित कई विषयों को लेकर वे केंद्र सरकार की आलोचना करते रहते हैं।
इस बीच अब कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। सुरजेवाला ने मोदी जी पर निशाना साधते हुए ट्वीट एक ट्वीट किया जिसमे उन्होंने लिखा एक और दिन, एक और किसान की क़ुर्बानी !
एक और दिन, एक और किसान की क़ुर्बानी !
टिकरी बॉर्डर पर कैथल, गांव भाना से रामकुमार जी आज सुबह शहीद हो गए। पिछले 20 दिन से लगातार टिकरी बॉर्डर पर डटे हुए थे !
46 किसान शहीद हो गए।
कब जागेंगे खट्टर-दुष्यंत चौटाला?
कब जागेंगे मोदी जी?#किसान_आंदोलन pic.twitter.com/N5G68LO9aq
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) December 31, 2020
मंगलवार को भी यहां एक बुजुर्ग किसान की मौत ठंड लगने से हो गई। किसान नेताओं का कहना है कि हम लगातार किसानों को खोते जा रहे हैं, इससे किसानों में केंद्र सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ती जा रही है।
इस ही के साथ आप को बता दे की शुक्रवार को भी टीकरी बॉर्डर पर एक बुजुर्ग किसान की मौत हो गई। किसान प्यारा सिंह (70) पंजाब के डिस्ट्रिक्ट मानसा से यहां एक महीने पहले ट्रैक्टर लेकर पहुंचे थे, तभी से वे धरना स्थल पर ही मौजूद थे।
किसान नेता ने बताया कि कुछ दिन पहले उन्हें ठंड लग गई थी। मंगलवार को उन्होंने धरना स्थल पर ही दम तोड़ दिया। इसकी सूचना उनके परिजनों को दे दी गई है। उनका ट्रैक्टर भी अभी बॉर्डर पर ही है।
किसान नेताओं का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को नहीं मान रही है, दिन प्रतिदिन किसान ठंड में दम तोड़ रहे हैं। अभी तक करीब 40 किसान इस आंदोलन में शहीद हो गए हैं, लेकिन सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। किसानों की लगातार हो रही मौत के बाद किसानों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है।
किसानों का कहना है कि आज सरकार के साथ होने वाली बैठक में बात नहीं बनी, तो आगे वे अपनी लड़ाई और भी मजबूती के साथ लड़ेंगे। आगे की रणनीति अलग होगी। हमारे किसान शहीद होते जा रहे हैं, लेकिन सरकार कृषि बिल वापसी के लिए तैयार नहीं है।
टीकरी बॉर्डर पर पंजाब से आए एक बुजुर्ग किसान मनदीप सिंह ने बतया कि यहां काफी तादाद में बुजुर्ग किसान पंजाब और हरियाणा से आए हुए हैं। वे ठंड की चपेट में आकर अपना दम तोड़ रहे हैं। यहां अधिकतर मौतें हार्ट अटैक के कारण हो रही हैं।
कई किसान बीमार चल रहे हैं, सरकार अगर जल्द उनकी मांगे नहीं मानती है तो और भी किसान इस ठंड की चपेट में आ सकते हैं। इस बीच बुजुर्ग किसानों की सेफ्टी के लिए कई संस्थाएं भी काम कर रही हैं, लेकिन बुजुर्ग किसानों की तादाद अधिक होने के कारण संस्था से जुड़े युवा सभी का केयर नहीं कर पा रहे हैं।