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प्रणब मुखर्जी की किताब को लेकर बेटा-बेटी में हुई ट्विटर पर बहस, पढ़े

By RNI Hindi Desk 
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प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी और बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी में उनके संस्मरण को लेकर ट्विटर पर बहस हो गई है। मंगलवार को किताब के प्रकाशन को लेकर दोनों नेताओं में सार्वजनिक बहस हो गई थी।

आप को बता दे कि अभिजीत मुखर्जी ने अपने पिता और पूर्व राष्ट्रपति के आत्मकथा की आखिरी कड़ी ‘The Presidential Years’, जो जनवरी, 2021 में आ रही है, के प्रकाशन पर रोक लगाने की मांग की थी और पहले किताब को पढ़ने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि अगर उनके पिता अगर होते तो वो भी इसे पहले पढ़ने की मांग करते।

अभिजीत मुखर्जी ने ट्विटर पर किताब के पब्लिकेशन हाउस को टैग कर लिखा था कि ‘मैं, ‘The Presidential Memoirs’ के लेखक का पुत्र, आपसे आग्रह करता हूं कि संस्मरण का प्रकाशन रोक दिया जाए, और उन हिस्सों का भी, जो पहल ही चुनिंदा मीडिया प्लेटफॉर्मों पर मेरी लिखित अनुमति के बिना चल रहे हैं।

चूंकि मेरे पिता अब नहीं रहे हैं, मैं उनका पुत्र होने के नाते पुस्तक के प्रकाशन से पहले उसकी फाइनल प्रति की सामग्री को पढ़ना चाहता हूं, क्योंकि मेरा मानना है कि यदि मेरे पिता जीवित होते, तो उन्होंने भी यही किया होता।’

उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा था कि ‘कुछ लोगों के विचार के उलट, मैं किताब के प्रकाशन के खिलाफ नहीं हूं। मैं बस इसके छपने से पहले इसे पढ़ना चाहता हूं और मेरा मानना है कि उनके बेटे के तौर पर मेरा यह अधिकार है और मेरा आग्रह सही है।’

उन्होंने आगे लिखा कि ‘अगर मेरे पिता जीवित होते तो वो भी ऐसा करते, जैसा कि उन्होंने आत्मकथा की बाकी कड़ियों के साथ किया था। तब तक और मैं दोहरा रहा हूं कि तबतक प्रकाशक से यह आग्रह है कि वो सस्ती लोकप्रियता के लिए किताब के अंश न प्रकाशित करे।’

आप को बताते चले कि शर्मिष्ठा मुखर्जी ने मंगलवार को अपने भाई पर ‘सस्ती लोकप्रियता’ हासिल करने का आरोप लगाया और कहा कि वो किताब प्रकाशित होने में ‘गैरजरूरी बाधाएं’ न डालें। उन्होंने यह भी कहा कि उनके पिता के किताब से कांट-छांट करना उनके सिद्धांतों के उलट होगा।

दरअसल, रूपा प्रकाशन ने इस किताब के कुछ अंशों को पिछले हफ्ते प्रकाशित किया था, जिसमें पूर्व राष्ट्रपति ने सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह की क्षमता को लेकर टिप्पणियां की थीं और 2014 में कांग्रेस की हार के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया था।

वहीं यह भी लिखा था कि कांग्रेस में कुछ लोगों का मानना था कि अगर मनमोहन सिंह की जगह वो प्रधानमंत्री होते तो कांग्रेस आज ज्यादा अच्छी स्थिति में होती।

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