प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी और बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी में उनके संस्मरण को लेकर ट्विटर पर बहस हो गई है। मंगलवार को किताब के प्रकाशन को लेकर दोनों नेताओं में सार्वजनिक बहस हो गई थी।
आप को बता दे कि अभिजीत मुखर्जी ने अपने पिता और पूर्व राष्ट्रपति के आत्मकथा की आखिरी कड़ी ‘The Presidential Years’, जो जनवरी, 2021 में आ रही है, के प्रकाशन पर रोक लगाने की मांग की थी और पहले किताब को पढ़ने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि अगर उनके पिता अगर होते तो वो भी इसे पहले पढ़ने की मांग करते।
अभिजीत मुखर्जी ने ट्विटर पर किताब के पब्लिकेशन हाउस को टैग कर लिखा था कि ‘मैं, ‘The Presidential Memoirs’ के लेखक का पुत्र, आपसे आग्रह करता हूं कि संस्मरण का प्रकाशन रोक दिया जाए, और उन हिस्सों का भी, जो पहल ही चुनिंदा मीडिया प्लेटफॉर्मों पर मेरी लिखित अनुमति के बिना चल रहे हैं।
I, daughter of the author of the memoir ‘The Presidential Years’, request my brother @ABHIJIT_LS not to create any unnecessary hurdles in publication of the last book written by our father. He completed the manuscript before he fell sick 1/3
— Sharmistha Mukherjee (@Sharmistha_GK) December 15, 2020
चूंकि मेरे पिता अब नहीं रहे हैं, मैं उनका पुत्र होने के नाते पुस्तक के प्रकाशन से पहले उसकी फाइनल प्रति की सामग्री को पढ़ना चाहता हूं, क्योंकि मेरा मानना है कि यदि मेरे पिता जीवित होते, तो उन्होंने भी यही किया होता।’
The final draft contains my dads’ hand written notes & comments that have been strictly adhered to. The views expressed by him are his own & no one should try to stop it from being published for any cheap publicity. That would be the greatest disservice to our departed father 2/2
— Sharmistha Mukherjee (@Sharmistha_GK) December 15, 2020
उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा था कि ‘कुछ लोगों के विचार के उलट, मैं किताब के प्रकाशन के खिलाफ नहीं हूं। मैं बस इसके छपने से पहले इसे पढ़ना चाहता हूं और मेरा मानना है कि उनके बेटे के तौर पर मेरा यह अधिकार है और मेरा आग्रह सही है।’
Btw bro, the title of the book is ‘The Presidential Years’, not ‘The Presidential Memoirs’. 3/3
— Sharmistha Mukherjee (@Sharmistha_GK) December 15, 2020
उन्होंने आगे लिखा कि ‘अगर मेरे पिता जीवित होते तो वो भी ऐसा करते, जैसा कि उन्होंने आत्मकथा की बाकी कड़ियों के साथ किया था। तब तक और मैं दोहरा रहा हूं कि तबतक प्रकाशक से यह आग्रह है कि वो सस्ती लोकप्रियता के लिए किताब के अंश न प्रकाशित करे।’
* Read as " The Presidential Years "
— Abhijit Mukherjee (@ABHIJIT_LS) December 15, 2020
आप को बताते चले कि शर्मिष्ठा मुखर्जी ने मंगलवार को अपने भाई पर ‘सस्ती लोकप्रियता’ हासिल करने का आरोप लगाया और कहा कि वो किताब प्रकाशित होने में ‘गैरजरूरी बाधाएं’ न डालें। उन्होंने यह भी कहा कि उनके पिता के किताब से कांट-छांट करना उनके सिद्धांतों के उलट होगा।
2/2
Had my father been alive , he too would have gone through it before the final roll out as he had done in the past too for his other volumes . Till then , & I repeat , till then , the publisher has been requested to stop publishing motivated excerpts to gain cheap publicity.— Abhijit Mukherjee (@ABHIJIT_LS) December 16, 2020
दरअसल, रूपा प्रकाशन ने इस किताब के कुछ अंशों को पिछले हफ्ते प्रकाशित किया था, जिसमें पूर्व राष्ट्रपति ने सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह की क्षमता को लेकर टिप्पणियां की थीं और 2014 में कांग्रेस की हार के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया था।
वहीं यह भी लिखा था कि कांग्रेस में कुछ लोगों का मानना था कि अगर मनमोहन सिंह की जगह वो प्रधानमंत्री होते तो कांग्रेस आज ज्यादा अच्छी स्थिति में होती।