कश्मीर में धारा 370 के कुछ खंड को खत्म करने के सरकार के निर्णय के बाद राज्य में लगाए गए प्रतिबंधों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद और अन्य की याचिकाओं पर फैसला सुनाया है।
कोर्ट ने कहा कि, सरकार अपने सभी आदेशों की एक हफ्ते के अंदर समीक्षा करे और जरूरी सेवाओं के लिए इंटरनेट शुरू किया जाए। कोर्ट ने इंटरनेट के इस्तेमाल को अभिव्यक्ति के अधिकार का हिस्सा माना है।
सर्वोच्च अदालत की तीन जजों की बेंच ने यह फैसला दिया है। जस्टिस एनवी रमणा की अध्यक्षता वाली बेंच में जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस बीआर गवई ने यह महत्वपूर्ण फैसला दिया। आपको बताते चलें कि, इस मामले में कोर्ट ने कहा कि, कोर्ट आजादी और सुरक्षा के बीच संतुलन बनाएगा और कश्मीर की राजनीति में हस्तक्षेप नहीं करेगा।
आपको बता दें कि, 5 अगस्त 2019 को कश्मीर से आर्टिकल 370 खत्म करने के बाद से पूरे प्रदेश में इंटरनेट सेवाए बंद हैं। ब्रॉडबैंड के माध्यम से कश्मीर के लोगों का इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन हो पा रहा है। सरकार ने लैंडलाइन फोन और पोस्टपेड मोबाइल पर लगी पाबंदियों को कुछ दिन के बाद हटा दिया था। वहीं कश्मीर में इंटरनेट पर जारी पाबंदियों को लेकर संसद के दोनों सदनों में भी काफी हंगामा हुआ था।