चीन से दुनियाभर के शहरों में फैल रहे करॉना वायरस का अबतक कोई इलाज नहीं ढूंढा जा सका है। इस वायरस से होने वाली बीमारी की रोकथाम के लिए किसी तरह का कोई भी वैक्सीन नहीं है। बीच भारत ने अपने अस्पतालों में इस बीमारी के फैलने के बचाव की पूरी तैयारी में जुट गया है। अगर चीन से कोई भारतीय इस बीमारी से प्रभावित होकर आता है तो यहां उसका उचित उचार किया जाएगा।
इस बीमारी की शुरूआत में फ्लू जैसे लक्ष्ण दिखते हैं, शुरूआत में सर्दी- जुकाम और सांस लेने की तकलीफ के साथ होती है। सरकार ने इससे संभावित प्रभावितों की जांच के लिए देशभर के तमाम हवाई अड्डों पर थर्मल स्कैनर्स लगा दिए हैं। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरू, हैदराबाद और कोचिन के अंतरर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों पर थर्मल स्क्रीनिंग की जा रही है। हलांकि अबतक एक भी वायरस से पीड़ित व्यक्ति पक़ड़ में नहीं आया है। अगर किसी में भी पहचान होती है तो इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए अस्पतालों में पर्याप्त संसाधन और विशेषज्ञता है।
आरएमएल औऱ सफदरजंग के अस्पतालों में भी बेहद कम समय में अलग वार्ड बनाने की पर्याप्त जगहें हे। प्रभावित लोगों को आम मरीजों से अलग रखने की व्यवस्था करनी पड़ रही है। मौसमी सर्दी जुकाम की तरह यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में हवा के माध्यम से फैलता है। जब इससे प्रभावित व्यक्ति खांसता या फिर छींकता है तो पास में खड़ा व्यक्ति भी संक्रमित हो जाता है।
यह बीमारी की शुरूआत चीन के वुहान शहर से शुरू हुई थी और सिंगापुर और वियतनाम तक पहुंच चुकी है। जिसके बाद पेइचिंग में भारतीय दूतावास ने एक अडवाइजरी जारी किया है और चीन की यात्रा करने वाले भारतीयों के लिए कई तरह के निर्देश दिए गए हैं।