केंद्र सरकार द्वारा लाये गए कृषि कानून को लेकर जहां देश भर में आंदोलन चल रही है। वही देश के किसान इस कानून को वापस लेने की मांग कर रहे है। वही दूसरी तरफ सरकार ने ये साफ़ कर दिया है की वह इस कानून को वापस नहीं लगे बल्कि संशोधन किया जायेगा।
वही आज कृषि कानून को लेकर चल रहे प्रदर्शन को एक महीना होने वाला है। आज प्रदर्शन का 29वां दिन है। सरकार ने किसानो को कहा है की वह उनसे बात करने के लिए तैयार है। पर किसान सरकार से बात नहीं करना चाहती है।
वही राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और इसके आसपास हजारों की संख्या में किसानों के प्रदर्शन का मंगलवार को 28वां दिन है। तीनों नए कृषि कानूनों की वापसी की अपनी जिद पर किसान संगठन अड़े हुए हैं।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी एक बार फिर इस मसले पर पार्टी नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात करेंगे। यह मुलाकात 24 दिसंबर (गुरुवार) को होगी। इस मुलाकात के दौरान राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस नेता कृषि कानूनों के खिलाफ 2 करोड़ लोगों के हस्ताक्षर वाले दस्तावेज राष्ट्रपति को सौपेंगा।
इस बारे में जानकारी देते हुए कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बताया कि कांग्रेस ने सितंबर में कृषि कानूनों को वापस लेने के समर्थन में हस्ताक्षर अभियान चलाया था। इस अभियान में देश भर से लोगों ने कृषि कानूनों के खिलाफ अपने हस्ताक्षर किए हैं।
देश भर से आए इन हस्ताक्षरों को एकत्र किया गया है, जिसे 24 दिसंबर को राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्रेस नेताओं का दल राष्ट्रपति को सौंपेंगा और कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग करेगा।
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बताया कि कृषि कानूनों के खिलाफ लगभग 2 करोड़ लोगों ने हस्ताक्षर करते हुए मांग की है कि इन कानूनों को वापस लेने के लिए राष्ट्रपति दखल दें।
केसी वेणुगोपाल ने कहा कि अहंकारी मोदी सरकार ने शुरू से ही किसानों के साथ धोखा किया है। अब साफ हो गया है कि बीजेपी किसानों और मजदूरों की बजाय बड़े पूंजीपतियों के फायदे के लिए काम कर रही है। उन्होंने सरकार पर आंदोलनकारी किसानों को बदनाम करने का आरोप लगाया।
बता दें कि मोदी सरकार द्वारा पारित कराए गए विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले कई महीने से देश भर में किसान आंदोलन कर रहे हैं। इस बात नहीं सुने जाने पर पिछले 26 नवंबर से लाखों किसानों दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाला हुआ है और वहीं लगातार आंदोलन कर रहे हैं।
इस बीच किसानों के प्रदर्शन को खतेम करने के लिए केंद्र ने किसानों के साथ कई बात बात भी की है, लेकिन अब तक कोई नतीजा नहीं निकला है। सरकार कृषि कानूनों को वापस लेने से इनकार कर रही है, जबकि किसान इन कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं।
आप को बता दे कि कृषि कानून को लेकर कोई राजनीति पार्टी भी इस आंदोलन का समर्थन कर रही है। और इस कानून को लेकर केंद्र और मोदी सरकार पर हमलावर हो कर अपने सवालों से घेरने की कोशिश कर रही है।