पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी आक्रामक मोड में तैयारी कर रही है। बीते दिनों बंगाल का दौरा करने वाले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जनवरी में फिर कोलकाता पहुंचेंगे।
आने वाली 12 जनवरी को बीजेपी नेता अमित शाह हावड़ा में एक जनसभा को संबोधित करेंगे। इस दौरान बड़ी संख्या में कई नेता भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं।
आप को बता दे कि पश्चिम बंगाल में मई 2021 में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में बीजेपी और टीएमसी की लड़ाई तेज हो रही है। टीएमसी की ओर से जहां ममता बनर्जी लगातार केंद्र और बीजेपी पर आक्रामक है, तो बीजेपी की ओर से खुद अमित शाह ने कमान संभाली हुई है।
मंगलवार को चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने पार्टी नेताओं को सार्वजनिक तौर पर यह स्वीकार करने की चुनौती दी कि यदि पार्टी 200 सीटें नहीं जीत पाई तो वे अपने पद छोड़ देंगे।
किशोर ने अपना आंकलन दोहराते हुए कहा, “बीजेपी को दहाई का आंकड़ा पार करने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा और उसे पश्चिम बंगाल में 100 से कम सीटें मिलेंगी। अगर उन्हें इससे ज्यादा सीटें मिलती हैं तो मैं अपना काम छोड़ दूंगा।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अगर बीजेपी उनके बताए गए अनुमान से बेहतर प्रदर्शन करता है तो भी वह अपना काम छोड़ देंगे।
किशोर ने 2014 में प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी के चुनाव प्रचार का सफलतापूर्वक प्रबंधन किया था और इस बार वह पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के लिये काम कर रहे हैं ताकि अगले साल अप्रैल मई में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी की संभावनाओं को मजूबती प्रदान कर सके।
चुनाव रणनीतिकार ने सोमवार को ट्वीट किया था कि पश्चिम बंगाल में सीटें जीतने के मामले में बीजेपी दहाई की संख्या पार नहीं कर पाएगी। इसके बाद ट्विटर पर बीजेपी नेताओं के साथ उनकी जबानी जंग शुरू हो गई थी।
गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की बंगाल यात्रा के बाद किशोर की टिप्पणी आई है। शाह की यात्रा के दौरान तृणमूल कांग्रेस के पूर्व नेता सुवेंदु अधिकारी, नौ विधायक एवं तृणमूल कांग्रेस के एक सांसद बीजेपी में शामिल हो गए थे। शाह ने दावा किया है कि बीजेपी पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में 200 सीटें जीतेगी।
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव एवं बंगाल में पार्टी मामलों के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने किशोर पर तंज कसते हुए ट्वीट किया, “बीजेपी की बंगाल में जो सुनामी चल रही हैं, सरकार बनने के बाद इस देश को एक चुनाव रणनीतिकार खोना पड़ेगा।”