चीन के साथ जारी तनाव के बीच पीएम मोदी सोमवार को वियतनाम के प्रधानमंत्री गुयेन जुआन फुक के साथ शाम 4.30 बजे डिजिटल सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। जिसमें वह दोनों देशों के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर ध्यान केंद्रित करने पर चर्चा करेंगे।
इस सम्मेलन में रक्षा, ऊर्जा एवं स्वास्थ्य क्षेत्रों समेत समग्र द्विपक्षीय संबधों को और विस्तार देने के लिए दोनों देशों के बीच कई समझौते और घोषणाएं हो सकती हैं। सूत्रों ने बताया कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र की स्थिति (चीन की बढ़ती दखलअंजादी) पर चर्चा की उम्मीद है, क्योंकि दोनों ही देशों के मुक्त, खुले, शांतिपूर्ण, समृद्ध और नियम आधारित क्षेत्रीय व्यवस्था में साझा हित हैं।
बैठक में दोनों ही पक्ष ‘भारत-वियतनाम समग्र रणनीतिक साझेदारी’ के भावी विकास के लिए संयुक्त पत्र जारी कर सकते हैं, जिसका लक्ष्य विविध क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का मार्ग तय करना होगा।
भारत और वियतनाम 2016 में अपने द्विपक्षीय संबंध को आगे बढ़ाकर समग्र रणनीतिक साझेदारी तक ले गए थे और रक्षा सहयोग इस तेजी से बढ़ते द्विपक्षीय संबंधों के अहम स्तंभों में एक रहा है।
इससे पहले साल 2018 में प्रधानमंत्री मोदी ने वियतनाम का दौरा किया था। इस दौरान भारत और वियतनाम के बीच रिश्ते मजबूत हुए थे। इस दौरे में भारत और वियतनाम के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर संधि हुई थी। यह संधि अब तक वियतनाम ने सिर्फ रूस और चीन के साथ की है।
साल 2018 में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने वियतनाम का दौरा किया था। इसके बाद 2019 में उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू भी वियतनाम गए थे। 2018 में वियतनाम के राष्ट्रपति त्रान दाई और प्रधानमंत्री गुयेन जुआन फुच भी भारत आए थे।
वियतनाम की उपराष्ट्रपति सुश्री डांग थी नगोक थिन्ह फरवरी 2020 में एक आधिकारिक यात्रा पर भारत आईं। दोनों देश के पीएम ने कोरोना महामारी से उत्पन्न स्थिति पर चर्चा के लिए 13 अप्रैल, 2020 को दूरभाष के माध्यम से वार्तालाप किया।
25 अगस्त, 2020 को दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की सह-अध्यक्षता वाली संयुक्त आयोग की बैठक के 17वें संस्करण का आयोजन किया गया। 27 नवंबर, 2020 को रक्षा मंत्री ने अपने समकक्ष के साथ एक ऑनलाइन बैठक की।
सूत्रों ने बताया कि वियतनाम के वास्ते तीव्र गति वाली गश्ती नौकाओं के लिए रक्षा ऋण सहायता को बैठक के दौरान आगे बढ़ाने की संभावना है। दोनों ही देशों का हिंद-प्रशांत क्षेत्र में काफी कुछ दांव पर है और वे भारत एवं आसियान द्वारा इस क्षेत्र के लिए अपने-अपने दृष्टिकोण के आधार पर वहां सहयोग बढ़ाने की संभावनाएं तलाश सकते हैं।
पिछले साल बैंकाक में पूर्व एशिया सममेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समुद्री क्षेत्र के संरक्षण और सतत इस्तेमाल तथा सुरक्षित समुद्री क्षेत्र के निर्माण के वास्ते सार्थक प्रयास करने के लिए हिंद-प्रशांत सागर पहल की स्थापना का प्रस्ताव दिया था।
दस सदस्यीय आसियान ने ‘आसियान आउटलुक ऑन इंडो पैसफिक’ नामक दस्तावेज में इस क्षेत्र के वास्ते अपना दृष्टिकोण सामने रखा है। आसियान के अहम सदस्य देश वियतनाम का दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में चीन के साथ क्षेत्रीय विवाद है।
भारत की वहां वियतनाम की समुद्री सीमा में तेल उत्खनन परियोनजाएं हैं। गौरतलब है कि 2020 में, दोनों देशों ने उच्च-स्तरीय आदान-प्रदान को बनाए रखा है।