प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काल भैरव मंदिर से खिड़किया घाट पहुंचे हैं. यहां पर उनके साथ सीएम योगी आदित्यनाथ मौजूद हैं. खिड़किया घाट को हाल ही में मनोरम घाट के रूप में विकसित किया गया है. यहां पर पीएम मोदी और सीएम योगी ने गंगा तट का जायजा लिया और पूरे तट का भ्रमण किया. यहां से पीएम मोदी एक बोट के जरिए सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ ललिता घाट के लिए निकले. गंगा नदी के दोनों किनारों पर लोगों की भीड़ है. पीएम मोदी हाथ हिलाकर लोगों का स्वागत कर रहे हैं.
वाराणसी: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में महत्वाकांक्षी काशी विश्वनाथ गलियारे (Kashi Vishwanath Corridor) को सोमवार (13 दिसंबर, 2021) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों को समर्पित कर दिया। इस विशाल परियोजना से बनारस में न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, बल्कि भक्तों को भी ढेर सारी सुविधाएं और सहूलियतें मिलेंगी।
चूंकि, इस परियजोना के तहत बाबा धाम (काशी विश्वनाथ मंदिर) को सीधे गंगा जी से जोड़ दिया गया है। श्रद्धालुओं को अब घाट से मंदिर तक पहुंचने के लिए भीड़ और तंग गलियों का सामना भी नहीं करना होगा। वे आसानी से गंगा स्नान के बाद बाबा धाम जाकर दर्शन लाभ पा सकेंगे।
आइए जानते हैं कि इस कॉरिडोर के बनने से भक्तों और क्या सुविधाएं व सहूलियतें मिलेंगी
पांच लाख वर्ग फुट से अधिक क्षेत्रफल में विकसित किए गए श्रीकाशी विश्वनाख धाम में अब जगह की कम नहीं है, जबकि पहले अधिक भीड़ होने की स्थिति में मंदिर परिसर में जगह की कमी लगने लगती थी। ऐसा खासकर पावन अवसरों मसलन शिवरात्रि और सावन आदि में होता था।
मंदिर प्रांगण का रास्ता गंगा से जोड़ दिया गया है, इसलिए स्नान के बाद श्रद्धालु ललिता घाट, मणिकर्णिका घाट और जलासेन घाट से सीधे मंदिर पहुंच सकेंगे। गलियारे में तीन यात्री सुविधा केंद्र भी बनाए गए हैं, जहां भक्त अपने सामान को रख पाएंगे। उन्हें इसके अलावा वहां बैठने और आराम करने की सुविधा भी मिलेगी।
बाहर से आने वाले भक्तों के लिए आध्यात्मिक पुस्तक केंद्र भी धार्मिक पुस्तकों का नया केंद्र होगा, जबकि वैदिक केंद्र को योग और ध्यान केंद्र के तौर पर विकसित किया गया है। एक दो मंजिल की इमारत सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए भी रहेगी।
भोगशाला भी स्थापित की गई है, जहां एक वक्त पर 150 भक्त बैठकर प्रसाद पा सकेंगे। मंदिर परिसर और उसके आसपास इमरजेंसी चिकित्सा सुविधा से लेकर एंबुलेंस तक का बंदोबस्त रहेगा। यही नहीं, बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए काशी विश्वनाथ मंदिर में खास इंतजामात किए गए हैं। इनमें रैंप और एस्किलेटर सुविधा शामिल हैं।
भारत की प्रतीकात्मक पृष्ठभूमि में पत्थर से बनी भारत माता प्रतिमा, महारानी अहिल्याबाई होल्कर और संत आदि शंकराचार्य की प्रतिमाओं को काशी विश्वनाथ धाम के विशाल परिसर में स्थापित किया गया है।
मंदिर की मौजूदा संरचना का निर्माण इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होलकर ने 1780 के आसपास कराया था। 19वीं शताब्दी में महाराजा रणजीत सिंह ने इसके शिखर पर सोना मढ़वाया था। काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट की वेबसाइट के अनुसार, प्रसिद्ध धार्मिक स्थल को ‘स्वर्ण मंदिर’ के नाम से भी जाना जाता है। कई पुराने नक्शों में इस नाम का उल्लेख देखा जा सकता है।
बता दें कि इस भव्य गलियारे की नींव आठ मार्च 2019 को रखी गई थी, जो एक गलियारे के माध्यम से मुख्य मंदिर को ललिता घाट से जोड़ता है। इसकी चार दिशाओं में विरासत वास्तुकला शैली में भव्य प्रवेश द्वार और सजावटी मेहराब बनाए गए हैं। इस गलियारे को अब काशी विश्वनाथ धाम कहा जाता है।
विश्वनाथ धाम के जीर्णोद्धार में लगे श्रमजीवियों के साथ PM किया भोजन
इस पावन धाम के निर्माण में लगे श्रमिकों तथा कामगारों पर पुष्प वर्षा की। प्रधानमंत्री ने समाज में काफी नीचे रहने वाले लोगों को आज अपने पास बैठाने के साथ उन पर पुष्प वर्षा भी की। इतना ही नहीं पीएम ने इन लोगों के साथ दोपहर में भोजन भी किया। प्रधानमंत्री के इस आचरण से ऊंची-नीच और छोटे-बड़े वर्ग के बीच खाई भी पटती नजर आई।
प्रधानमंत्री भोजन से पहले सभी कार्मिकों के पास गए और कुछ से को उन्होंने बात भी की। कुछ ने तस्वीर खिंचवाने की इच्छा जताई तो प्रधानमंत्री ने मना नहीं किया और ग्रुप फोटो भी कराई। इनमें निर्माण करने वाले श्रमिकों के साथ सफाई कर्मी भी थे। इन सभी पर पीएम मोदी ने काफी देर तक पुष्पवर्षा भी की।