मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी एकता को लेकर सीएम नीतीश कुमार द्वार बुलाई गई 12 जून को होने वाली बैठक टल गई है। बताया जा रहा है कि यह बैठक 23 जून को हो सकती है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और कांग्रेस नेता राहुल गांधी का 12 जून को उपलब्ध नहीं होना इस बैठक को टालने का मुख्य कारण बताया जा रहा है। लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञ इसका अलग कारण मानते हैं।
सीनियर जर्नलिस्ट प्रताप राव की कलम से…
नई दिल्ली: मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी एकता को लेकर सीएम नीतीश कुमार द्वार बुलाई गई 12 जून को होने वाली बैठक टल गई है। बताया जा रहा है कि यह बैठक 23 जून को हो सकती है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और कांग्रेस नेता राहुल गांधी का 12 जून को उपलब्ध नहीं होना इस बैठक को टालने का मुख्य कारण बताया जा रहा है। इस बैठक में पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन, एनसीपी प्रमुख शरद पवार समेत कई दलों के नेता शामिल होने वाले थे। वहीं राजनीतिक विश्लेषक बैठक को टालने की वजह कुछ और ही बता रहे हैं। दरअसल आगामी लोकसभा चुनाव में क्षेत्रीय दल कांग्रेस पर 200 से 250 सीटों पर चुनाव लड़ने का दबाव बना रहे हैं। जाहिर सी बात है कि कांग्रेस इस बात से बिलकुल सहमत नहीं होगी। इसलिए कांग्रेस को इस बैठक में पहुंचे कोई फायदा नहीं होगा। लिहाजा कांग्रेस बैठक में जाने पर दिलचस्पी नहीं दिखाएगी। उधर तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी ने यह शर्त रख दी थी कि जो दल जिस राज्य में मजबूत हैं, वहां से उसे उनकी मर्जी के आधार पर सीटें दी जाएंगी। वहीं ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के एकमात्र विधायक बायरन विश्वास को अपनी पार्टी में शामिल करा लिया था। यह बात भी कांग्रेस को अच्छी नहीं लगी होगी।
यूपी में विधान परिषद के उपचुनाव में भी सपा और कांग्रेस की खींचतान भी सामने आई थी। कांग्रेस और बसपा ने जहां विधान परिषद चुनाव का बहिष्कार किया तो सपा अकेले मैदान में डटी रही। इसी तरह अरविंद केजरीवाल ने पहले तो विपक्ष का साथ देने का भरोसा दिया और फिर कुछ दिनों के बाद ही घोषणा कर दी कि आम आदमी पार्टी लोकसभा चुनाव किसी गठबंधन के साथ नहीं लड़ेगी। इधर कांग्रेस इस बात को बखूबी जानती है कि आज की तारीख में विपक्षी दलों में वो सबसे ताकतवर है। चार राज्यों राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकारें हैं। वहीं तीन राज्यों बिहार, झारखंड और तमिलनाडु में कांग्रेस गठबंधन सरकारों का हिस्सा है। इन सब कारणों को समझते हुए कांग्रेस बैठक में आने के लिए टाल मटोल कर रही है। विपक्षी दलों का बिना शर्त समर्थन न देना और कांग्रेस का टाल मटोल करना बैठक को टालने का मुख्य कारण समझा जा रहा है। ऐसे में नीतीश कुमार के पास बैठक टालने के अलावा कोई चारा भी तो नहीं है।