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कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बोले- कोई ‘मां का लाल’ किसानों से उनकी जमीन नहीं छीन सकता

By RNI Hindi Desk 
Updated Date

कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार और किसानों के बीच में गतिरोध जारी है। केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हजारों किसान कड़ाके की सर्दी के बावजूद अपनी मांगों से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। किसान एक महीने से अधिक समय पहले सिंघू बॉर्डर पहुंचे थे।

नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) खत्म करने का इरादा इस सरकार का ना तो कभी था, ना है और ना रहेगा। मंडी व्यवस्था भी कायम रहेगी। कोई भी ‘मां का लाल’ किसानों से उनकी जमीन नहीं छीन सकता।

रक्षामंत्री ने हिमाचल प्रदेश सरकार के तीन साल पूरे होने पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कहा, “ये दुष्प्रचार किया गया कि किसानों की जमीन कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के माध्यम से छीन ली जाएगी, कोई भी मां का लाल किसानों से उनकी जमीन नहीं छीन सकता है, ये मुकम्मल व्यवस्था कृषि कानूनों में की गई है।”

राजनाथ सिंह ने कहा कि कुछ लोग नए कृषि कानूनों को लेकर जानबूझकर गलफहमी फैला रहे हैं। उन्होंने आगे कहा, “ऐतिहासिक कृषि सुधार से उन लोगों के पैरों तले जमीन खिसक गई है जो लोग किसानों के नाम पर अपने निहित स्वार्थ साधते थे। उनका धंधा खत्म हो जाएगा इसलिए जानबूझ कर देश के कुछ हिस्सों में एक गलतफहमी पैदा की जा रही है कि हमारी सरकार एमएसपी की व्यवस्था खत्म करना चाहती है।”

वहीं हिमाचल प्रदेश को लेकर राजनाथ सिंह ने कहा, “जब केंद्र में मोदी जी के नेतृत्व वाली सरकार आई तो हमने यह सोच बदली। हम सभी राज्यों को बराबरी की नज़र से देखते हैं। हमने हिमाचल को उसके आकार के हिसाब से नहीं, बल्कि उसके आर्थिक और सामरिक महत्व के हिसाब से देखना प्रारंभ किया।”

इसके साथ ही उन्होंने कहा, “पहले क्या होता था कि हिमाचल प्रदेश, कम आबादी वाला एक छोटा पहाड़ी राज्य है इसलिए वहां संसाधनों की कोई खास जरूरत नहीं है। इस सोच के कारण केंद्र से हिमाचल को दी जाने वाली धनराशि काफी कम होती थी।”

बता दें कि राजनाथ सिंह का बयान ऐसे समय में आया है जब एक तरफ किसानों का आंदोलन चल रहा है, वहीं इसके साथ ही उन्होंने सरकार से बातचीत के लिए 29 दिसंबर को बातचीत का प्रस्ताव दिया है।

हालांकि इस बातचीत के लिए किसानों ने चार शर्त रखी है जिसमें पहली शर्त तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की बात है। सरकार ने कई मौकों पर साफ किया है कि कानून वापस नहीं होंगे।

हिमाचल प्रदेश में जयराम ठाकुर नीत बीजेपी सरकार के तीन साल पूरे होने के अवसर पर एक राज्य स्तरीय कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि नये कृषि कानून किसानों की आय बढ़ाएंगे, लेकिन कांग्रेस उन्हें (किसानों को) गुमराह कर रही है।

सिंह ने डिजिटल माध्यम से कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि जब कभी कभी सुधार लागू किए जाते हैं, तब इसके सकारत्मक परिणाम दिखने शुरू होने में कुछ साल लग जाते हैं।

उन्होंने कहा कि चाहे वह तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह द्वारा लाए गए 1991 के आर्थिक सुधार हों या फिर वापजेयी सरकार के दौरान लाए गए अन्य सुधार हों, उनके सकारात्मक परिणाम दिखने में चार-पांच साल लग गए।

रक्षामंत्री ने कहा कि इसी तरह नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा किए गए कृषि सुधारों के सकारात्मक परिणामों को देखने के लिए यदि हम 4-5 साल इंतजार नहीं कर सकते हैं तो हम कम से कम दो साल तो इंतजार कर ही सकते हैं।

आप को बता दें कि दिल्ली के साथ लगती सीमाओं पर हजारों किसान पिछले एक महीने से आंदोलन कर रहे हैं। किसान तीनों कृषि कानून को वापिस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं वहीं सरकार का कहना है कि वो इसमें संशोधन को तैयार है लेकिन कानून वापिस नहीं होगा। किसानों को समझाने के लिए मोदी सरकार के सारे मंत्री मैदान में हैं।

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