रिपोर्ट: सत्यम दुबे
नई दिल्ली: केंद्र सरकार अब ग्राम पंचायतों के भारी फंड की कड़ी निगरानी करने के लिए मजबूत तंत्र बनाने जा रही है। अब गांवों के विकास कार्यों की नियमित सोशल ऑडिट के साथ ही धनराशि खर्च करने के तौर तरीकों का आनलाइन ऑडिट होगा। निगरानी प्रणाली देश के सभी ग्राम पंचायतों में लागू की जाएगी। वहीं गांवों के सभी कार्य निर्धारित ग्राम पंचायत विकास योजना के तहत कराए जा सकेंगे। इसी के अनुरूप ही खर्च भी किया जा सकेगा।
सरकार के इस नियम से इससे निचले स्तर पर कार्य करने वाले ग्राम प्रधानों व सचिवों की मनमानी पर रोक लगनी तय है। केंद्र सरकार ने मंगलवार को इसके लिए विस्तृत गाइड लाइन जारी कर दी, जिसे सभी ग्राम पंचायतों में लागू किया जाएगा। आपको बता दें कि केंद्र सरकार व राज्यों की ढेर सारी योजनाओं की ज्यादातर धनराशि सीधे ग्राम पंचायतों के बैंक खाते में पहुंचती है। केंद्र व राज्य के वित्तीय आयोगों की सिफारिशों के आधार पर भी ग्राम पंचायतों को काफी धन प्राप्त होने लगा है।
आपको बता दें कि इसके खर्च को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं। जिसको ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने पहले सभी पंचायतों से अपनी ग्राम पंचायत विकास योजना तैयार कराई है। देश में 2.60 लाख से अधिक ग्राम पंचायतें हैं। इनमें 31 लाख से अधिक प्रतिनिधि निर्वाचित हैं जिनमें 14 लाख महिला प्रतिनिधि हैं।
इस मामले में केंद्रीय ग्राम विकास व पंचायती राज मंत्री नरेंद्र तोमर ने गाइड लाइन जारी कर दिया है। इसके साथ ही उन्होने कहा है कि ग्राम पंचायतों के कामकाज और वित्तीय लेनदेन में पारदर्शिता लाना बहुत जरूरी है। इससे पंचायतों की साख व प्रतिष्ठा बढ़ेगी और विकास के कार्य भी तेजी से होंगे। उन्होंने आगे कहा कि पंचायतों के पास धन की कोई कमी नहीं है। कामकाज के साथ पंचायतों की जवाबदेही भी तय होनी चाहिए।
आपको बता दें कि देश के 14 राज्यों की 20 फीसद ग्राम पंचायतों में लेखा परीक्षण का कार्य आनलाइन हो चुका है, जिसे बढ़ाकर 100 फीसद करना है। देश को बुनियादी स्तर पर मजबूत बनाने में ग्राम पंचायतों की सबसे बड़ी भूमिका है।
तोमर ने कहा कि 14वें वित्त आयोग ने ग्राम पंचायतों को 2.03 लाख करोड़ राशि प्रदान करने की सिफारिश की थी। राजग सरकार ने इसे मंजूर करते हुए पंचायतों को भेज दिया है। पिछले पांच सालों के दौरान इसका 97 फीसद हिस्सा गांवों को प्राप्त हो चुका है। 15वें वित्त आयोग ने ग्राम पंचायतों को 2.36 लाख करोड़ रुपये देने की सिफारिश की है, जिसे सरकार ने मंजूर कर लिया है।