NITI Aayog has proposed to create a digital bank, there will be no branch, know how to provide services; देश में शुरु किये जा सकते हैं डिजिटल बैंक। ये डिजिटल बैंक पूरी तरह से इंटरनेट पर निर्भर रहेगा।
नई दिल्ली : जल्द ही देश में डिजिटल बैंक शुरु किये जा सकते हैं। ये डिजिटल बैंक पूरी तरह से इंटरनेट पर निर्भर रहेगा और फिजिकल ब्रांचों की जरूरत को पूरा करेगा। इसके लिए नीति आयोग ने डिजिटल बैंक बनाने का प्रस्ताव दिया है और इसे लेकर डिस्कशन पेपर जारी किया है। आयोग ने डिजिटल बैंक्स: अ प्रपोजल फॉर लाइसेंसिंग एंड रेगुलेटरी रिजीम फॉर इंडिया शीर्षक का एक डिस्कशन पेपर जारी किया है। डिजिटल बैंक के डिस्कशन पेपर को लेकर नीति आयोग ने 31 दिसंबर तक सभी लोगों से सुझाव मांगे हैं।
इस पेपर में कहा गया है कि डिजिटल बैंक बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट, 1949 (बी आर एक्ट) में परिभाषित किए गए बैंक हैं। दूसरे शब्दों में ये इकाइयां डिपॉजिट जारी, लोन देने समेत वो सारी सेवाएं देने में सक्षम होंगी, जिनके लिए बी आर एक्ट उन्हें सशक्त करता है। पेपर में कहा गया है कि आरबीआई को बैंकिंग कंपनी को लाइसेंस देने का अधिकार सीधे बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट के तहत प्राप्त है। वहीं डिजिटल बिजनेस बैंकों के लिए लाइसेंसिंग की व्यवस्था बनाने के लिए एक अतिरिक्त कदम लेने की जरूरत है।
नीति आयोग की ओर से कहा गया है कि भारत का पब्लिक डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर खासतौर पर यूपीआई ने दिखाया है कि पहले से स्थापित चीजों को किस तरह से चुनौती दी जाती है। गौरतलब है कि यूपीआई ट्रांजैक्शन ने कीमत के मामले में 4 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार किया है, जबकि आधार प्रमाणीकरण का आंकड़ा 55 लाख करोड़ के पार पहुंच गया है।
नीति आयोग के मुताबिक भारत ने प्रधानमंत्री जन धन योजना के जरिये वित्तीय समावेश के लक्ष्य के हासिल करने में बहुत प्रगति की है। हालांकि कर्ज विस्तार में धीमी गति पॉलिसी बनाने वालों के लिये हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा है खासतौर से 6.30 करोड़ MSMEs के लिये जिनका देश के जीडीपी में 30 फीसदी योगदान है, मैन्युफैकचरिंग में 45 फीसदी योगदान है और निर्यात में 40 फीसदी हिस्सेदारी है। ये ऐसा सेक्टर है जो सबसे ज्यादा रोजगार सृजित करता है।