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मोदी सरकार CAA के तहत गैर-मुस्लिम शरणार्थियों से नागरिकता के लिए मांगा आवेदन, गृह मंत्रालय ने जारी की अधिसूचना

By RNI Hindi Desk 
Updated Date

रिपोर्ट: सत्यम दुबे

नई दिल्ली: मोदी सरकार ने शुक्रवार को पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से ताल्लुक रखने वाले गैर-मुस्लिम शरणार्थियों से भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन मांगे हैं, जो गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा तथा पंजाब के 13 जिलों में रह रहे हैं। गृह मंत्रालय ने नागरिकता कानून-1955 और उसके तहत 2009 में बनाए गए नियमों के अंतरगत इस निर्देश के तत्काल क्रियान्वयन के लिए अधिसूचना जारी की।

आपको बता दें कि मोदी सरकार ने 2019 में अमल में आए नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के तहत अभी नियम-कायदे तय नहीं किया है। सरकार जब इस कानून को लेकर आई थी, तो देश के कई हिस्सों में जबरदस्त विरोध हुआ था। मोदी सरकार ने 28 मई से गैर-मुस्लिम शरणार्थियों से आवेदन मंगवाना शुरू किया है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जो अधिसूचना जारी की है, उसमें कहा गया है कि, ‘नागरिकता कानून-1955 की धारा-16 में दिए गए अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार ने पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों को धारा-5 के तहत भारतीय नागरिक के तौर पर पंजीकृत करने या धारा-6 के अंतर्गत भारतीय नागरिकता का प्रमाणपत्र देने का फैसला किया है। मोरबी, राजकोट, पाटन, वडोडरा (गुजरात), दुर्ग और बलोदाबाजार (छत्तीसगढ़), जालौर, उदयपुर, पाली, बाड़मेर, सिरोही (राजस्थान), फरीदाबाद (हरियाणा) तथा जालंधर (पंजाब) में रह रहे पाकिस्तान, अफगानिस्तान व बांग्लादेश के गैर-मुस्लिम इसके तहत भारतीय नागरिकता के लिए ऑनलाइन आवेदन करने के पात्र हैं।’

मोदी सरकार ने साल 2019 में CAA कानून बनाया गया था, तो देश के विभिन्न हिस्सों में इसके खिलाफ जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया गया था। हालात ये हो गये थे कि विरोधों के मद्देनजर 2020 की शुरुआत में राजधानी दिल्ली में दंगे भी हुए थे। इसके बाद ही यह कानून अभी तक ठंडे बस्ते में है। सीएए के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में उत्पीड़न के शिकार उन हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है, जो 31 दिसंबर 2014 तक भारत आ गए थे।

इस दौरान गृह मंत्रालय ने कहा कि शरणार्थियों के आवेदन का सत्यापन राज्य के सचिव या जिले के डीएम द्वारा किया जा सकेगा। इसके लिए ऑनलाइन पोर्टल होंगे। इसके अलावा डीएम या राज्य के गृह सचिव केंद्र के नियमों के अनुसार एक ऑनलाइन और लिखित रजिस्टर बनाएंगे, जिसमें भारत के नागरिक के रूप में शरणार्थियों के पंजीकरण की जानकारी होगी। इसकी एक प्रति सात दिनों के अंदर केंद्र सरकार को भेजनी होगी।

 

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