दिल्ली के लिए कहा जा रहा था कि जुलाई के अंत तक दिल्ली में साढ़े पांच लाख केस होंगे लेकिन गृह मंत्री अमित शाह की कुशल रणनीति से अब एक्टिव मरीजों की संख्या सिर्फ 15 हज़ार रह गई है वही कल सिर्फ 954 मरीज मिले।
ऐसा 27 मई के बाद पहली बार ऐसा हुआ है ,आखिर ये कैसे संभव हुआ ? पुरे देश में सबसे अधिक रिकवरी रेट दिल्ली का है जो की 85% तक जा चुका है।
दरअसल एक समय सीएम केजरीवाल जब ये कह चुके थे की लोगो को कोरोना के साथ जीना होगा और मनीष सिसोदिया ने जब ये स्वीकार किया की जुलाई के अंत में साढ़े पांच लाख केस होंगे तो खुद पीएम मोदी ने अमित शाह को मैदान में उतरने का आदेश दिया।
अमित शाह अपनी आक्रामक रणनीति के लिए जाने जाते है। यहां भी उन्होंने यही किया। दिल्ली की जनता में डर बैठ गया था और उसे दूर करना सबसे जरुरी था।
14 जून को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राज्य सरकार और एमसीडी को साथ लेकर बैठक की और एक कमेटी बनाई। स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ साथ रेल मंत्रालय, सेना, पैरा मिलिट्री, समाजसेवी संस्थाएं सबको जोड़ा और अस्पताल तक का दौरा किया।
आइटीबीपी, रेल और सेना की मदद से एक महीने के अंदर 30 हजार अन्य बेड का इंतजाम किया गया। उन्होंने आदेश दिया की हर कोविड का मरीज सीसीटीवी की निगरानी में हो। इसके बाद उन्होंने एम्स के निदेशक के साथ बैठक की।
कोरोना की जांच के दाम आधे किये। प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी को खत्म किया। हल्के लक्षण वाले मरीजों को घर में ही निगरानी में रखा। कोरोना टेस्ट, कांट्रेक्ट ट्रेसिंग और कंटेनमेंट जोन को लेकर रोज़ हाई लेवल मीटिंग अमित शाह लेते रहे।
आज कोविड-19 रोगियों के लिए 15,475 बेड में से 11,958 बेड खाली हैं वहीं कोविड देखभाल केंद्र में 9,454 बेड में से 7,289 बेड खाली हैं।
अमित शाह की इस रणनीति ने ना सिर्फ दिल्लीवासियों बल्कि डॉक्टर्स में भी एक उत्साह भर दिया था और आज उसी का परिणाम है कि सारे अनुमानों को धता बताते हुए आज दिल्ली में सिर्फ 15 हज़ार एक्टिव केस है और रोज़ 25 हज़ार से अधिक जांच सरकार कर रही है।